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नई दिल्ली: एक साल से ज्यादा समय तक चला किसान आंदोलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े फैसले के खत्म हो गया है. केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हैं. कई महीनों से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान अब अपने घरों को लौट गए हैं. हालांकि अब भी कुछ किसान बाकी हैं, जो निकलने की तैयारी में हैं. इसी बीच भारतीय किसान संघ के प्रमुख राकेश टिकैत ने आगे की रणनीति बता दी है. इसे लेकर उन्होंने एक बड़ी घोषणा की है.
कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद टिकैत ने कहा था कि यह आंदोलन खत्म नहीं हुआ है बल्कि केवल स्थगित किया जा रहा है. हम आगे भी अपने हक के लिए लड़ाई जारी रखेंगे. एएनआई के मुताबिक रविवार को किसानों का एक बड़ा समूह गाजीपुर बॉर्डर खाली करने जा रहा है. इससे पहले टिकैत ने कहा कि हमने कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग सफलता पूर्वक पूरी करा ली है लेकिन इसके बाद भी किसान महापंचायतें जारी रहेंगी. टिकैत ने कहा, हम हर साल 10 दिवसीय किसान आंदोलन मेला करेंगे. इसके अलावा किसानों से जुड़े मुद्दे पर समय-समय पर महापंचायत भी आयोजित की जाएंगी."
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प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 19 नवंबर को कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद किसानों ने अपनी सारी मांगे पूरी होने तक धरना खत्म करने से इनकार कर दिया था. इन मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी और उनके खिलाफ दर्ज हुए मामलों को वापस लेना शामिल था. इस पर सरकार ने लिखित आश्वासन दिया था. जिसके बाद किसानों ने 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमा को खाली करने की बात कही थी. एसकेएम ने कहा है, यदि सरकार अपने वादे पूरे नहीं करती है, तो हम अपना आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं. इसे लेकर 15 जनवरी 2022 को एक समीक्षा बैठक की जाएगी.
वहीं टिकैत ने कहा है कि सारे किसानों के घर लौटने में अभी 4-5 दिन का समय लगेगा. उसके बाद ही 15 दिसंबर तक वो खुद यहां से हटेंगे.