Gaya Wolf News: गया में पिछले कई दिनों से भेड़ियों के आतंक की खबरें और लोगों के घायल होने की सूचनाएं आ रही थीं, लेकिन वन अधिकारियों का कहना है कि प्राथमिक जांच में गया में भेड़ियों के होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. वन अफसर तो यहां तक कहते हैं कि ग्रामीण जिस जानवर की बात कर रहे हैं, वो दरअसल भेड़िया नहीं बल्कि सियार है.
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बचपन में कहानी सुनते थे, भेड़िया आया... भेड़िया आया पर भेड़िया आता नहीं था. एक दिन सच में भेड़िया आ गया. गया में ऐसा ही कुछ देखने सुनने को मिल रहा है. जिले के मकसुदपुर में पिछले कुछ दिनों भेड़ियों के आतंक के दावे किए जा रहे थे. दावा किया जा रहा था कि लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया है और दहशत के साये में जी रहे हैं. गया से पहले उत्तर प्रदेश के बहराइच में भी भेड़ियों के आतंक की कहानी से लोग दहशत में थे. अब वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गया में जिन भेड़ियों की बातें कही जा रही हैं, उनके होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. अफसरों का यह भी कहना है कि प्राथमिक जांच के आधार पर यह कहा जा सकता है कि गया के मकसुदपुर में जिस जानवर को लेकर दावे किए जा रहे हैं, वह दरअसल भेड़िया नहीं सियार है.
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गया के वन प्रमंडल पदाधिकारी शशिकांत कुमार ने बताया, वन विभाग ने भेड़ियों को पकड़ने के लिए बीते दिन एक पिंजड़ा भी लगाया है. मकसूदपुर गांव में भेड़ियों को लेकर कौतुहल की रिपोर्ट मिली है. इसके बाद वहां फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की क्विक रिस्पांस टीम को लगाया गया है. अभी तक ऐसा कोई एविडेंस नहीं मिला है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि मकसुदपुर में भेड़ियों का आंतक है. उन्होंने कहा, प्राइमरी जांच के आधार पर कहा जा सकता है कि यह भेड़िया नहीं, सियार है.
वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा, ग्रामीणों को डरना नहीं चाहिए और उन्हें उस जानवर का फोटो खींचकर हमें अवगत कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि वन विभाग की टीम पूरी तरह नजर बनाए हुए हैं और वहां पर हमारी क्यूआरटी तैनात कर दी गई है. किसी भी तरह के कौतूहल पर साफ नजर रखी जा रही है.
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बता दें कि गया के मकसूदपुर में पिछले कई दिनों से लोग दहशत में हैं. लोगों का कहना है कि कुछ आदमखोर भेड़िए गांव में स्थित पुराने किले से शाम को बाहर निकलते हैं और जो भी मिलता है, उन्हें घायल कर देते हैं. ग्रामीणों का यह भी दावा है कि भेड़िए के हमले में अब तक गांव के 4 लोग घायल हो चुके हैं.