बिहार के 16 जिले हर साल बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित होते हैं. वहीं, राजधानी पटना में भी गंगा नदी के दूसरे किनारों के लगभग 6 पंचायत बाढ़ से ग्रसित हैं.
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Patna: बिहार में इस साल बारिश ना के बराबर हुई है, लेकिन उसके बाद भी इलाके में बाढ़ के हालात बने हुए है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में लगातार बारिश हो रही है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बिहार के 16 जिले हर साल बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित होते हैं. वहीं, राजधानी पटना में भी गंगा नदी के दूसरे किनारों के लगभग 6 पंचायत बाढ़ से ग्रसित हैं. हालातों के बिगड़ने के बाद भी सरकार, अधिकारियों और स्थानीय विधायकों ने यहां के लोगों की सुध नहीं ली है.
कई इलाके आए बाढ़ की चपेट में
बिहार विकास की ओर बढ़ रहा है. राजधानी में मेट्रो ट्रेन चलने को तैयार है. उसके बाद भी राजधानी पटना में गंगा के पार आज भी लोग बाढ़ से ग्रसित हैं. बिहार में लगभग हर साल बाढ़ आती है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पटना से जुड़े आसपास के इलाके नकटा दियारा, हैबतपुर, पानापुर, मानस गंगा हरा और ऐसे कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं.
लोगों को दिनचर्या में हो रही परेशानी
गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण लोगों को अपने घरों से पलायन करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि यह हर साल ऐसा ही होता है. लोगों को हर साल अपने मवेशियों को लेकर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ता है. इसके अलावा बाढ़ के कारण किसानों की सारी खेती बर्बाद होती है और इस साल भी बाढ़ के कारण खेती बर्बाद हो रही है. मानस पंचायत के पूरे इलाके में पानी भर चुका है. लोगों के घरों में पानी घुस चुका है. जिससे लोगों को खाने पीने और दिनचर्या में भी परेशानी हो रही है. बाढ़ के पानी के कारण सांप-बिच्छू और जंगली जानवरों से भी लोगों की जान को खतरा है.
बाढ़ ने बढ़ाई गर्भवती महिलाओं की मुश्किलें
वहीं, बाढ़ के कारण गर्भवती महिलाओं को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बाढ़ के दौरान गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सकता है. जिसके कारण ऐसे में अक्सर महिलाओं की जान को खतरा बना रहता है.
खाने पीने के लिए राशन उपलब्ध नहीं
लोगों का कहना है कि प्रत्येक चीजों में परेशानी हो रही है. खाने-पीने से लेकर रहने सोने और बाकी आने जाने में परेशानी है. जिसमें से सबसे ज्यादा परेशानी खाने को लेकर हो रही है. जिन भी लोगों के पास एलपीजी सिलेंडर नहीं है. वो खाने का इंतजाम कैसे करेंगे क्योंकि बाढ़ के कारण ईंधन बर्बाद हो चुका है. सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन यहां लोगों के हालात एकदम अलग हैं. लोगों को समय पर राशन भी नहीं मिल रहा है. वहीं स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को भी काफी परेशानी हो रही है. इलाके में चारों तरफ पानी भरने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. जिससे उनकी पढ़ाई पर काफी असर पड़ रहा है.
बच्चों की पढ़ाई पर हो रहा असर
इसी बीच गांव के कुछ युवाओं ने बताया कि 20 दिनों से स्कूल पानी में डूबा हुआ है. स्कूल के बच्चों का कहना है कि अगले साल उन्हें मैट्रिक का एग्जाम देना है और पढ़ाई पूरी तरीके से ठप हो चुकी है. बच्चों का कहना है कि यह पानी कब निकलेगा किसी को पता नहीं है.
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