Vedic Rakhi Significance: भाई की लंबी उम्र के लिए घर पर ऐसे बनाएं वैदिक राखी
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2384069

Vedic Rakhi Significance: भाई की लंबी उम्र के लिए घर पर ऐसे बनाएं वैदिक राखी

Vedic Rakhi Significance: इस बार श्रावणी पूर्णिमा 19 अगस्त को सोमवार के दिन श्रवण उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र तथा शोभन योग की साक्षी में आ रही है. सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र के होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इस साल भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. 

Vedic Rakhi Significance: भाई की लंबी उम्र के लिए घर पर ऐसे बनाएं वैदिक राखी

पटना : रक्षा बंधन भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और यह भाई-बहनों के बीच प्यार और विश्वास का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं, जो कि एक पारंपरिक त्योहार है. रक्षा बंधन की मान्यता और इसके महत्व के पीछे कई पौराणिक कहानियां हैं, जिनमें से एक खास कहानी माता लक्ष्मी और राजा बलि से जुड़ी है.

आचार्य पंडित कौशल पांडेय ने बताया कि माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और राजा बलि एक असुर सम्राट थे जो भगवान विष्णु के बड़े भक्त थे. बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनके राज्य की रक्षा करने लगे और इसलिए उन्होंने बहुत कम समय बैकुंठ में बिताया. इससे माता लक्ष्मी परेशान हो गईं और उन्होंने भगवान विष्णु को वापस लाने का एक उपाय सोचा. उन्होंने एक ब्राह्मण महिला का रूप धारण किया और राजा बलि के महल में रहकर उन्हें राखी बांधी. बलि को यह नहीं पता था कि वह महिला स्वयं माता लक्ष्मी हैं, इसलिए उन्होंने महिला से जो भी चाहा मांगने को कहा. माता लक्ष्मी ने बलि से भगवान विष्णु को बैकुंठ वापस भेजने की प्रार्थना की और बलि ने उन्हें यह वरदान दे दिया. इसके परिणामस्वरूप भगवान विष्णु वापस बैकुंठ चले गए और माता लक्ष्मी को अपने पति का पुनः प्राप्ति हुई.

कैसे बनाएं वैदिक राखी
कौशल पांडेय के अनुसार वैदिक राखी बनाने की विधि भी विशेष होती है. इसमें पांच वस्तुएं होती हैं. दूर्वा (घास), अक्षत (चावल), केसर, चंदन और सरसों के दाने. इन पांच वस्तुओं को रेशम के कपड़े में बांधकर कलावा में पिरोया जाता है. इस राखी को पहले अपने कुलदेवता या इष्ट देवता को अर्पित करना चाहिए, फिर शुभ मुहूर्त में अपने भाई को बांधना चाहिए.

शुभ मुहूर्त 

  • राहुकाल - आज के दिन प्रातः 7:30 से सुबह 9 बजे तक राहुकाल समय होने से रक्षासूत्र न बांधे 
  • रक्षा बंधन धागा समारोह समय – दोपहर 01:30 बजे से रात्रि 09:08 बजे तक
  • अपराह्न समय रक्षाबंधन मुहूर्त – दोपहर 01:43 बजे से शाम 04:20 बजे तक
  • प्रदोष समय रक्षा बंधन मुहूर्त – शाम 06:56 बजे से रात 09:08 बजे तक
  • रक्षाबंधन भद्र समाप्ति समय – दोपहर 01:30 बजे
  • रक्षाबंधन भद्रा पुंछा – प्रातः 09:51 बजे से प्रातः 10:53 बजे तक
  • रक्षाबंधन भद्रा मुख – सुबह 10:53 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक
  • नोट - भद्रा का वास पाताल में होने से पुरे दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जायेगा.

इन वस्तुओं का महत्व भी खास होता है.

  • दूर्वा का एक अंकुर तेजी से बढ़ता है, जिससे भाई के गुण और वंश में तेजी से विकास होता है. गणेश जी को दूर्वा प्रिय है, इसलिए यह राखी विघ्नों को नष्ट करने का काम करती है.
  • अक्षत चावल का प्रतीक है कि हमारे बीच का प्रेम हमेशा अक्षुण्ण और स्थिर रहेगा.
  • केसर की चमकदार प्रकृति यह दर्शाती है कि राखी को बांधने से जीवन में अध्यात्म और भक्ति की तीव्रता बनी रहे.
  • चंदन की ठंडक और सुगंध यह दर्शाती है कि भाई के जीवन में शांति और मानसिक शांति बनी रहे, साथ ही सदाचार और संयम भी बढ़े.
  • सरसों की तीक्ष्णता यह संकेत देती है कि हमें समाज की बुराइयों को दूर करने में तत्पर रहना चाहिए.

कौशल पांडेय ने कहा कि वैदिक रक्षा सूत्र जीवन में अशुभ का नाशक और कष्टों को दूर करने वाला होता है. ऐसा माना जाता है कि इस रक्षा सूत्र को साल में एक बार पहनने से पूरे वर्ष की सुरक्षा सुनिश्चित होती है. मां कुंती ने भी अपने पुत्र अभिमन्यु को रक्षा सूत्र बांधा था और इस रक्षा सूत्र के टूटने के बाद ही अभिमन्यु को वीरगति प्राप्त हुई. इस प्रकार रक्षा बंधन का यह त्योहार एक महत्वपूर्ण और धार्मिक मान्यता के साथ जुड़ा हुआ है.

ये भी पढ़िए- Aaj Ka Rashifal: इन 4 राशियों में बन रहा रवि योग का सुभ संयोग, जानें अपना राशिफल

 

Trending news