देश के वो 3,750 ब्लैक स्पॉट, जहां होते हैं सबसे ज्यादा हादसे, अब बनेंगे सेफ जोन
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देश के वो 3,750 ब्लैक स्पॉट, जहां होते हैं सबसे ज्यादा हादसे, अब बनेंगे सेफ जोन

परिवहन मंत्रालय ने संसद में आंकड़े पेश किए हैं कि देश के नेशनल हाइवेज (NH) पर 3,750 Black Spots हैं. अब इन जगहों को Zero Fatality Spots बनाने की योजना है. यानी वो जगह जहां एक भी एक्सीडेंट ना हो.

देश के वो 3,750 ब्लैक स्पॉट, जहां होते हैं सबसे ज्यादा हादसे, अब बनेंगे सेफ जोन

नई दिल्ली: हमारे देश में पूरी दुनिया के केवल 1 प्रतिशत वाहन हैं. लेकिन भारत में पूरी दुनिया के 11 प्रतिशत रोड एक्सीडेंट्स होते हैं. ऐसे में परिवहन मंत्रालय ने संसद में आंकड़े पेश किए हैं कि देश के नेशनल हाइवेज (NH) पर 3,750 Black Spots हैं. ये वो जगहें हैं जहां बार-बार एक्सीडेंट्स होते हैं. किसी एक स्पॉट पर तीन साल में पांच रोड एक्सीडेंट्स हो जाएं या किसी स्पॉट पर 3 साल में 10 मौतें हो जाएं तो उसे Black Spot माना जाता है.

  1. फिलहाल देश में 3,750 ब्लैक स्पॉट मौजूद
  2. ब्लैक स्पॉट को जीरो फेटेलिटी स्पॉट बनाने की योजना
  3. देश में रोड एक्सीडेंट्स के मामलों में बढ़ोतरी

अब इन ठिकानों पर नहीं होंगे एक्सीडेंट्स

अब इन जगहों को Zero Fatality Spots बनाने की योजना है. यानी वो जगह जहां एक भी एक्सीडेंट ना हो. हालांकि ये एक ऐसा लक्ष्य है जिसे पूरा करने के रास्ते में कई रोड ब्लॉक्स (Road Blocks) हैं. भारत के कुल रोड नेटवर्क में नेशनल और स्टेट हाइवेज केवल 5 प्रतिशत हैं लेकिन इन्हीं 5 प्रतिशत सड़कों पर 48 प्रतिशत एक्सीडेंट्स होते हैं. 

रोड एक्सीडेंट्स के मामलों में बढ़ोतरी

आपको बता दें कि देश में हर साल 5 लाख एक्सीडेंट होते हैं, जिनमें हर साल 1.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इन मरने वालों में 65 प्रतिशत लोग 18 से 45 साल की उम्र के बीच के होते हैं. बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन यानी BRO के मुताबिक भारत में 1990 में मौतों की दस बड़ी वजहों की लिस्ट में रोड एक्सीडेंट्स 9वें नंबर पर था. लेकिन 2020 में रोड एक्सीडेंट्स तीसरे नंबर पर आ गया. यानी भारत में दिल की बीमारी से या कोरोना वायरस की वजह से होने वाली मौतों के बाद सबसे ज्यादा मौतें एक्सीडेंट्स की वजह से हो जाती हैं.  

भारत ने जीता खिताब!

भारत में दिल की बीमारी से हर साल 4.5 लाख लोग मारे जाते हैं. पिछले वर्ष कोरोना वायरस की बीमारी से भारत में 3 लाख मौतें हुईं. लेकिन भारत में हर वर्ष 5 लाख रोड एक्सीडेंट्स होते हैं. यानी हर घंटे 53 रोड एक्सीडेंट्स होते हैं और हर 4 मिनट में 1 मौत रोड एक्सीडेंट की वजह से हो जाती है. भारत पूरी दुनिया में सड़क हादसों में होने वाली मौतों के मामले में पहले नंबर पर है. लेकिन ये वो नंबर वन का खिताब है जो अब भारत को और नहीं चाहिए. इसी हफ्ते संसद में सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया कि रोड एक्सीडेंट्स को कम करने पर काम किया जा रहा है. 

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कारों में किए जाएंगे ये बदलाव

नेशनल हाइवेज पर ब्लैक स्पॉट्स की पहचान करके वहां सड़क के डिजाइन में बदलाव किए जा रहे हैं. बस और ट्रक जैसे भारी वाहन अगर अपनी लेन की जगह दूसरी लेन में आते हैं तो उन पर फाइन बढ़ाया जा सकता है. कारों के डिजाइन को लेकर सरकार सख्त हुई है. जल्द ही कारों में 6 एयरबैग, एडवांस्ड इमरजेंसी ब्रेक सिस्टम और सभी फ्रंट फेसिंग सीटों के लिए थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट देना अनिवार्य किया जाएगा. 

हम खुद हैं अपनी जान के दुश्मन 

ऐसा नहीं है कि ये कोशिशें पहली बार हो रही हों. गाड़ियों, ट्रकों यहां तक कि पैदल चलने वालों के लिए हमारे देश में नियम कानूनों की कोई कमी नहीं है. लेकिन सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं लेते. आपको सुनकर अच्छा नहीं लगेगा लेकिन भारतीयों की जान भारतीय खुद ही ले रहे हैं. भारत में लेन ड्राइविंग के बारे में तो बात करना ही बेकार हो गया है. ओवरटेकिंग, ओवर स्पीडिंग और कहीं भी अपनी मर्जी से गाड़ी को बीच सड़क में रोक देना, ट्रैफिक सिग्नल्स का सम्मान ना करना और ये आत्मविश्वास कि अगर ट्रैफिक नियम तोड़ने पर किसी ने पकड़ लिया तो कुछ ले-देके मामला निपट जाएगा– ये वो बड़ी वजहे हैं जो सड़क को लोगों के लिए सुरक्षित बनाने के हर प्रयास को बेकार साबित कर देते हैं. 

भारत की तुलना में दुनिया के नियम

भारत में ट्रैफिक सिग्नल तोड़ने पर 1000 रुपये का चालान है, वहीं UK में इस पर भारतीय रुपयों के हिसाब से ₹3000 तक का चालान है. ओवरस्पीडिंग में जहां भारत में 1000 रुपये से 2000 रुपये तक का फाइन है, वहीं UK में 7000 रुपये से 1.5 लाख रुपये तक का चालान है. बिना हेलमेट के Two Wheeler चलाने पर जहां भारत में 1000 रुपये का फाइन है, वहीं UK में 2100 से 21,700 तक का जुर्माना लगता है. ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने के लिए हर चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस या सीसीटीवी से चालान कटने का सिस्टम होना भी जरूरी है. जिस पर भारत में अभी बहुत काम किए जाने की जरूरत है.  

दिल्ली का बुराड़ी बना ब्लैक स्पॉट

दिल्ली में नेशनल हाइवे 9 पर एक प्रयोग शुरू किया गया है, जिसमें रोड डिजाइन में बदलाव किए गए हैं. बैरिकेड्स लगाकर, साइकिल और पैदल चलने वालों के लिए अलग अलग रंग से लेन को पेंट किया गया. जिस जगह पर ये प्रयोग किया गया है वो भी एक ब्लैक स्पॉट है. यानी वहां बहुत एक्सीडेंट्स होते हैं. यहां सड़क की दिशा और दशा सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन उन प्रयासों पर पानी फेरने को हर कोई तैयार है. नेशनल हाइवे 9 पर बुराड़ी देश के ब्लैक स्पॉट्स में शामिल है. यहां पिछले 2 सालों में 46 एक्सीडेंट्स, 18 मौतें और 25 लोग घायल हुए हैं. इसलिए इस स्पॉट को जीरो फेटेलिटी बनाने का काम किया जा रहा है. बुराड़ी चौराहे पर बैरियर, स्प्रिंग पोस्ट और कोन लगाकर पैदल चलने वालों, साइकिल सवार और ऑटो स्टैंड की जगह को अलग-अलग किया गया है.  

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