Darul Uloom Deoband: 'दारूल उलूम एक अंतरराष्ट्रीय संस्था, उसे मान्यता की जरूरत नहीं', मदरसा बोर्ड चेयरमैन के दावे पर BJP का पलटवार
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Darul Uloom Deoband: 'दारूल उलूम एक अंतरराष्ट्रीय संस्था, उसे मान्यता की जरूरत नहीं', मदरसा बोर्ड चेयरमैन के दावे पर BJP का पलटवार

Darul Uloom Deoband: यूपी सरकार के सर्वे में सहारनपुर में बना दारूल उलूम देवबंद मदरसा गैर-मान्यता प्राप्त निकला है. इस पर मदरसा बोर्ड के चेयरमैन ने पैरवी करते हुए कहा है कि दारूल उलूम सूरज के बराबर है, उसे मान्यता की कोई जरूरत नहीं है.

दारूल उलूम देवबंद सहारनपुर (फाइल फोटो)

UP Madrasa Board Chairman on Darul Uloom: यूपी में बड़े पैमाने पर चल रहे मदरसों का सर्वे हो चुका है और अब सरकार उनसे मिली जानकारी का आकलन करवा रही है. इसी बीच बिना मान्यता के चल रहे देश के सबसे बड़े मदरसे दारूल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) को लेकर विवाद शुरू हो गया है. यूपी मदरसा बोर्ड (UP Madrasa Board) के चेयरमैन डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद (Dr. Iftikhar Ahmed Javed) का कहना है कि दारूल उलूम मदरसे को मान्यता की जरूरत नहीं है. इस पर बीजेपी ने पलटवार किया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि यह देश संविधान से चलता है. अगर कोई काम अवैध और संविधान विरोधी पाया गया तो उस पर कार्रवाई जरूर होगी.

'दारूल उलूम को मान्यता की जरूरत नहीं'

लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए यूपी मदरसा बोर्ड (UP Madrasa Board) के चेयरमैन डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद (Dr. Iftikhar Ahmed Javed) ने दावा किया था कि दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है. इसलिए उसे मान्यता लेने की ज़रूरत नहीं है. मदरसे की प्रशंसा करते हुए बोर्ड चेयरमैन कहा कि दारुल उलूम पर बहस करना सूरज को दीया दिखाने के बराबर है. ऐसी संस्थाएं इस्लामिक दुनिया के लिए नजीर हैं. 

'मदरसों को तंगनजरी से देखना ठीक नहीं'

सहारनपुर में बने दारूल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) की पैरवी करते हुए यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद 156 सालों से इस्लाम की तहजीब दे रहा है. उसकी विचारधारा विचारधारा दुनिया में जानी जाती है. इसलिए ऐसे मदरसों को मदरसा बोर्ड से मान्यता लेने की ज़रूरत नहीं है. बोर्ड चेयरमैन यहीं नहीं रुके. डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि दारूल उलूम देवबंद खुद एक यूनिवर्सिटी के बराबर है. वह देशभर में 4500 मदरसों को मान्यता दे चुका है. बोर्ड चेयरमैन ने कहा कि मदरसों को तंगनज़री से देखना देश की तरक्की के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. 

'अवैध मदरसों पर जरूर होगी कार्रवाई'

मदरसा बोर्ड (UP Madrasa Board) चेयरमैन के इस बयान से अब बीजेपी उबल पड़ी है. यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी सिंह ने कहा कि यह देश संविधान से चलता है, किसी के पर्सनल कानूनों से नहीं. जो भी अवैध है, गैर सांविधानिक है, उस पर कार्रवाई जरूर होगी. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए काम कर रही है. इसके सर्वे की रिपोर्ट आ गई है. वहां पर जो कमियां मिली हैं, उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी. लेकिन गैर-कानूनी और बिना मान्यता के चल रहा है, उस पर निश्चित रूप से एक्शन लिया जाएगा.

गैर-कानूनी मदरसों पर लटक रही तलवार

बताते चलें कि यूपी में मदरसों की संख्या और स्थिति जानने के लिए योगी सरकार ने पिछले महीने उनका सर्वे करवाया था. इस सर्वे की रिपोर्ट अब सरकार के पास पहुंच चुकी है और सरकार उसका विभिन्न एक्सपर्टों के जरिए अध्ययन करवा रही है. इस सर्वे में सैकड़ों मदरसे अवैध पाए गए हैं. कई ऐसे मदरसे भी मिले, जो सरकारी जमीन पर कब्जा कर बिना नियम कायदे के शुरू कर दिए गए. सहारनपुर में चल रहा देश का सबसे सबसे बड़ा मदरसा दारूल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) भी गैर-कानूनी रूप से चलता पाया गया है, जिस पर अब कार्रवाई की तलवार लटक रही है. 

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