उधर, कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी इधर कोर्ट परिसर के बाहर पुनीता देवी ने रो-रोकर बुरा हाल कर लिया.
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नई दिल्ली: निर्भया केस (Nirbhaya Case) के चारों दोषियों की डेथ वॉरेंट पर रोक लगाने वाली याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दी है. दोषियों ने कई कोर्ट में लंबित दोषियों की याचिकाओं का हवाला देते हुए डेथ वारंट रद्द करने की मांग की थी. इसके साथ ही चारों दोषियों की फांसी का रास्ता साफ हो गया है. कल सुबह 5.30 बजे दी जाएगी फांसी. इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर दोषी अक्षय कुमार की पुनीता देवी का हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला. उधर, कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी इधर कोर्ट परिसर के बाहर पुनीता देवी ने रो-रोकर बुरा हाल कर लिया. वह पटियाला हाउस कोर्ट परिसर के बाहर एक गिर गई. ANI की खबर के मुताबिक महिला रोते-रोते बेहोश हो गई है. बता दें कि दोषी अक्षय की पत्नी बिहार के औरंगाबाद के फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी भी दाखिल कर चुकी है.
दूसरी तरफ फांसी से बचने के लिए दोषी अक्षय सिंह ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती दे दी है. याचिका में कहा है कि राष्ट्रपति ने सही तरीके से दया याचिका का निपटारा नहीं किया.
Delhi: Punita Devi, wife of Akshay (a convict in the 2012 Delhi gang-rape case) who has filed a divorce petition in a Bihar court, appeared to have a nervous breakdown and fainted outside Patiala House Court complex, earlier today. pic.twitter.com/DTDBKCd8oB
— ANI (@ANI) March 19, 2020
पति को बताया निर्दोष
अक्षय की पत्नी ने अर्जी में लिखा है कि मेरे पति निर्दोष हैं, ऐसे में मैं उनकी विधवा बनकर नहीं रहना चाहती, इसलिए उसे अपने पति से तलाक चाहिए. पुनीता ने हिन्दू विवाह अधिनियम 13.2.2 के अंतर्गत तलाक मामला दायर किया है. पुनीता ने अदालत में दी गई अर्जी में लिखा है कि वैसे तो उसका पति निर्दोष है लेकिन न्यायालय के दृष्टिकोण से वो दोषी है. कानून के मुताबिक बलात्कारी की पत्नी तलाक ले सकती है क्योंकि वो विधवा के रूप में गुजर-बसर करने के लिए तैयार नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पवन की याचिका
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने निर्भया (Nrbhaya) मामले के दोषी पवन की क्यूरेटिव याचिका ख़ारिज की. पवन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक और कयूरेटिव पेटिशन दायर की थी जिसमें कहा गया था कि वारदात के समय वह नाबालिग था इसलिए उसकी फांसी की सजा ख़ारिज की जाए.
पवन ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में उसकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर की थी. यह कयूरेटिव याचिका ख़ारिज होना तय था, क्योकिं पवन की नाबालिग होने की दलील को सुप्रीम कोर्ट पहले ही ख़ारिज कर चुका है. यह याचिका जजों ने अपने चेंबर में सुनी थी जिसमें किसी तरफ़ का वकील जिरह के लिए मौजूद नहीं होता है. जज अपने पुराने फैसले के संदर्भ में यह देखते हैं कि दोषी कोई बहुत अहम क़ानूनी पहलू तो नहीं ले आया है जो कि कोर्ट में पहले जजों के सामने न रखा गया हो. इस मामले में सभी दोषी अपनी अपनी दलीलों को कई कई बार कोर्ट में रख चुके हैं जिन्हें कोर्ट ख़ारिज कर चुका है.
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