शीला ने शानदार प्रदर्शन के लिए भाजपा को बधाई भी दी. दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा उम्मीदवार बड़े अंतर से आगे चल रहे हैं.
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नई दिल्ली: दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी में लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार स्वीकार की और हार को ‘‘बहुत निराशाजनक’’ बताया. शीला ने शानदार प्रदर्शन के लिए भाजपा को बधाई भी दी. दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा उम्मीदवार बड़े अंतर से आगे चल रहे हैं. अंतिम परिणाम देर रात तक आने की संभावना है. शीला ने कहा, ‘‘यह बहुत निराशाजनक है, हमें जीतना चाहिए था. ’’ शीला ने उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन वह भाजपा के मनोज तिवारी के मुकाबले 3.63 लाख से अधिक वोटों से पीछे चल रही हैं.
उन्होंने संतोष जताया कि कांग्रेस ने ज्यादातर सीटों पर आम आदमी पार्टी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया. कांग्रेसी नेता ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस के नेता आगामी दिनों में बैठक करके पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे.
दिल्ली में भाजपा के उम्मीदवारों को मिले कांग्रेस, आप प्रत्याशियों के कुल वोटों से ज्यादा मत
दिल्ली में आप और कांग्रेस ने यदि मिलकर चुनाव लड़ा होता तो भी भाजपा ने सातों सीटें जीत ली होतीं. ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि आम चुनावों में विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को मिले वोटों को आपस में जोड़ भी दिया जाए तो भी यह आंकड़ा भाजपा उम्मीदवार को मिले वोटों से कम रहा है.
बृहस्पतिवार देर शाम तक सातों सीटों पर मतगणना जारी है लेकिन भाजपा 56 प्रतिशत से अधिक मत हासिल कर चुकी है जो कांग्रेस (22.4 प्रतिशत) और आप (18.4 प्रतिशत) के कुल मतों से भी अधिक है. भाजपा ने 2014 में कुल 46.4 प्रतिशत वोट प्राप्त करके सातों सीटें जीती थीं.
पश्चिमी दिल्ली में वर्तमान सांसद प्रवेश वर्मा ने कुल आठ लाख 61 हजार 146 मत प्राप्त किये जो आप और कांग्रेस के उम्मीदवारों को मिले कुल मतों से भी 3.23 लाख से भी ज्यादा है. इसी प्रकार, उत्तर पश्चिम दिल्ली सीट पर भाजपा के उम्मीदवार हंस राज हंस को आप और कांग्रेस के प्रत्याशियों को मिले कुल मतों से भी 3.16 लाख अधिक मत मिले.
यही हाल, दिल्ली की अन्य सीटों का रहा. ऐसे में, यदि भाजपा के 2019 आम चुनावों के प्रदर्शन की तुलना 2014 के चुनावों के प्रदर्शन से की जाए तो उसके मतों में दस प्रतिशत से अधिक की बढोत्तरी हुई है. पार्टी को इस बार 56.6 प्रतिशत मत मिले जबकि पांच साल पहले यह आंकड़ा 46.40 रहा था.
इनपुट भाषा से भी