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नई दिल्ली: हर बारिश के बाद राजधानी दिल्ली की तस्वीर बदल जाती है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जलभराव से बदहाल स्थिति, यातायात व्यवस्था की अस्त-व्यस्त तस्वीरें नजर आने लगती हैं. लेकिन ये नजारा कभी बदलता नहीं है. सड़कों पर घंटों रेंगती गाड़ियां, सीवर के पानी में खराब होकर फंसती गाड़ियां, जलभराव में कमजोर होती घरों की नींवें, बीमारियों की जड़ बनते जलजमाव, तालाब बनी सड़क पर नेताओं की राफ्टिंग, बस इतनी ही जनता की समस्याएं हैं.
आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला हर साल होता है. लेकिन दिल्ली सरकार और नगर निगम की लड़ाई में जनता घुन की तरह पिस रही है. राजधानी दिल्ली हल्की बारिश के बाद ही समंदर सी दिखने लगती है. सवाल पूछने पर सरकार और निगम दोनों एक-दूसरे पर नाकारा होने का आरोप लगाने लगते हैं. लेकिन इसमें जनता की परेशानी का समाधान कहां है? सत्ताधारी पार्टी (AAP) के प्रवक्ता राघव चड्ढा इस समस्या के समाधान के लिए नगर निगम चुनाव की बात करते हैं.
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आप प्रवक्ता के मुताबिक दिल्ली के 90 फीसद से ज्यादा ड्रेनेज सिस्टम नगर निगम के तहत आते हैं. नगर निगम के नकारेपन की वजह से लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है. दिल्ली की सड़कें PWD के तहत आती हैं. सड़कों पर जबरदस्त जलभराव, और खुले पड़े सीवर पाइप लाइंस के सवाल पर चड्ढा ने सारा ठीकरा नगर निगम पर फोड़ दिया.
राघव चड्ढा के मुताबिक सड़कों पर हुए जलभराव को निकालने के लिए वाटर पंप लगाए जाते हैं. लेकिन नगर निगम के तहत आने वाली नालियां और नालों की निगम की तरफ से कोई सफाई नहीं करवाई जाती है. जिससे उसका भी पानी, सड़क पर जलभराव की वजह बन जाता है. चड्ढा ने कहा कि वाटर पंप्स की अपनी क्षमता होती है. नगर निगम के चुनाव की तरफ इशारा करते हुए चड्ढा ने कहा कि चुनाव नजदीक है. जनता को फैसला करना है.
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