मनोवैज्ञानिकों के पास पहुंचने वाले लोगों की संख्या भी पहले के मुकाबले 30 से 40 प्रतिशत बढ़ गई है और लोग एंजाइटी और डिप्रेशन के अलावा खुद के फिर से बीमार होने को लेकर डर में हैं.
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नई दिल्ली: कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने भारत के लगभग हर परिवार को प्रभावित किया और इसका असर अब लोगों के मानसिक स्वास्थय पर दिखने लगा है.
एक मार्केट रिसर्च फर्म के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में मानसिक रोगों के इलाज में काम आने वाली दवाइयों की बिक्री में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसके अलावा मनोवैज्ञानिकों के पास जाने वाले लोगों की संख्या भी पहले के मुकाबले 30 से 40 प्रतिशत बढ़ गई है और लोग एंजाइटी और डिप्रेशन के अलावा खुद के फिर से बीमार होने को लेकर डर में हैं. यानी लोगों को लगता है कि उन्हें कहीं फिर से कोरोना न हो जाए.
ये सर्वे कहता है कि इस साल जून के बाद से शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की बक्री भी 13 प्रतिशत बढ़ी है. डिप्रेशन का इलाज करने वाली दवाओं की बिक्री में 15 प्रतिशत और एंटी साइकॉटिक दवाओं की बिक्री में 13 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है.
भारत में जब इस वायरस की दूसरी लहर अपने चरम पर थी. तब कई लोगों ने अपने परिवार का कोई न कोई सदस्य खो दिया. लॉकडाउन के कड़े नियम लागू थे और ज्यादा लोगों के जमा होने पर पाबंदी थी. इसलिए कई लोग तो अपनों को आखिरी विदाई तक नहीं दे पाए.
घरों में बंद होने की वजह से लोग दूसरों के साथ अपना दुख भी नहीं बांट पाए और धीर- धीरे ये दुख, डिप्रेशन, एंजाइटी और नींद न आने जैसी समस्याओं में बदल गया. अब लोग दवाएं खाकर और मनोचिकित्सकों से इलाज कराकर खुद को संभाल रहे हैं.
अगर आपकी नींद का पैटर्न खराब हो गया है, आपको चैन की नींद नहीं आ रही, किसी भी काम पर ध्यान लगाने में समस्या होने लगी है, शारीरिक स्वास्थ्य के लेकर आप लगातार चिंतित रहते हैं या आपकी शराब और सिगरेट पर निर्भरता बढ़ गई है तो आपको फौरन किसी मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए.