DNA ANALYSIS: दिन-रात मेहनत करके थाम रखी है सांसों की डोर, जानिए कैसे बनाई जाती है ऑक्सीजन
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DNA ANALYSIS: दिन-रात मेहनत करके थाम रखी है सांसों की डोर, जानिए कैसे बनाई जाती है ऑक्सीजन

DNA ANALYSIS: ऑक्सीजन प्लांट में मौजूद लोग पैसा कमाने के मकसद से नहीं, मरीजों और देश की सेवा के मकसद से अपनी तकलीफों को भूलकर काम कर रहे हैं. जानिए ऑक्सीजन प्लांट में कैसे युद्ध स्तर पर लोगों की मदद करने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भरे जा रहे हैं.

कैसे बनाई जाती है ऑक्सीजन.

नई दिल्ली: अब हम आपकी मुलाकात उन लोगों से करवाना चाहते हैं, जो देश की सांसों की डोर को थामे हुए हैं. आज जब पूरे देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है तब हमारे Front Line Workers आपको स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जी जान से अपने काम में जुटे हैं.

देश की सांसों को थामे फ्रंट लाइन वर्कर्स

हम इन लोगों को आज धन्यवाद देना चाहते हैं क्योंकि संकट की इस घड़ी में ये सभी लोग ऑक्सीजन (Oxygen) प्लांटों में काम कर रहे हैं, अपनी जान की बिना परवाह किए वो हमारे अस्पतालों तक ऑक्सीजन पहुंचा रहे हैं.

ऑक्सीजन प्लांट पर लगी लंबी लाइन

इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत ऑक्सीजन है. वो प्लांट जहां एक सिलेंडर भरवाने के लिए लोग 24-24 घंटे इंतजार करते हुए नजर आ जाते हैं. अपने परिवारवालों की जान बचाने के लिए उनकी सांसों पर पड़ रहा बोझ कम करने के लिए लोग सुबह से लेकर शाम तक इस तरह के कई ऑक्सीजन प्लांट पर लाइन लगाकर खड़े रहते हैं.

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ऑक्सीजन प्लांट पर बिना रुके हो रहा काम

लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार सिलेंडर भर गया तो भले ही किसी मरीज का तीमारदार चला जाए लेकिन इस तरह ऑक्सीजन प्लांट में काम करने वाले लोग अगले मरीज की जान बचाने के लिए उसके सिलेंडर में ऑक्सीजन भरने के काम में जुट जाते हैं, वो भी बिना रुके बिना थके लगातार.

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गाजियाबाद के इस ऑक्सीजन प्लांट में मौजूद लोग पैसा कमाने के मकसद से नहीं, मरीजों और देश की सेवा के मकसद से अपनी तकलीफों को भूलकर काम कर रहे हैं. जानिए ऑक्सीजन प्लांट में कैसे युद्ध स्तर पर लोगों की मदद करने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भरे जा रहे हैं. देश के दूसरे ऑक्सीजन प्लांट में भी कर्मचारी एक कोरोना वॉरियर की तरह ऑक्सीजन प्लांट में काम कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाया गया है और मरीजों की मदद के लिए सिलेंडर भरकर अलग-अलग जगहों पर भेजे जा रहे हैं. यहां के ऑक्सीजन प्लांट से दिन-रात काम करके 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है.

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पटना में भी ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए ऑक्सीन प्लांट के कर्मचारी अपनी शिफ्ट से ज्यादा समय तक काम कर रहे हैं ताकि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी ना हो.

मध्यप्रदेश के धार में लोगों की जरूरत को पूरा करने के लिए बंद पड़े एक ऑक्सीजन प्लांट को 150 लोगों की टीम ने 4 दिन में तैयार कर दिया. अब यहां से हर दिन 40 टन ऑक्सीजन अस्पतालों को मिल सकेगी.

हम मरीजों की परेशानी भी देख रहे हैं. हम मरीजों को परिजनों की दिक्कतें भी जान रहे हैं. लेकिन हमें ऑक्सीजन प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों की मेहनत की सराहना करनी होगी. जो इस मुश्किल दौर में अपनी जिंदगी की परवाह ना करते हुए निस्वार्थ भाव से अपनी योगदान दे रहे हैं.

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