DNA ANALYSIS: जम्मू-कश्मीर में जमीन की 'आजादी', अब सबको बसने का अधिकार
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DNA ANALYSIS: जम्मू-कश्मीर में जमीन की 'आजादी', अब सबको बसने का अधिकार

भारत सरकार ने मंगलवार 27 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी कर जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में हर देशवासी को जमीन खरीदने का अधिकार दे दिया है. देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकता है. इस जमीन का इस्तेमाल घर, बिजनेस और उद्योग के लिए किया जा सकेगा.

DNA ANALYSIS: जम्मू-कश्मीर में जमीन की 'आजादी', अब सबको बसने का अधिकार

नई दिल्ली: आज हम कश्मीर से आई उस अच्छी खबर का विश्लेषण करेंगे जो आपका दिल खुश कर देगी. अब तक आप सिर्फ कश्मीर में छुट्टियां मनाने जाते थे और अब तक सिर्फ फिल्मों की शूटिंग कश्मीर में हुआ करती थी. लेकिन अब आप कृषि की जमीन  को छोड़कर जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में कहीं भी जमीन खरीद (New Land Laws) सकते हैं और उद्योग-धंधे भी लगा सकते हैं. इतना ही नहीं अब दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों की भागदौड़ को पीछे छोड़कर कश्मीर में अपना रिटायरमेंट भी प्लान कर सकते हैं.

भारत सरकार ने मंगलवार 27 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी कर जम्मू-कश्मीर में हर देशवासी को जमीन खरीदने का अधिकार दे दिया है. देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकता है. इस जमीन का इस्तेमाल घर, बिजनेस और उद्योग के लिए किया जा सकेगा. हालांकि खेती की जमीन खरीदने की इजाजत नहीं दी गई है.

फैसले के खिलाफ सियासी खानदानों का विरोध शुरू
इस फैसले का जम्मू कश्मीर के सियासी खानदानों ने विरोध शुरू कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्टवीट करके कहा है कि सरकार ने जम्मू-कश्मीर को सेल पर लगा दिया है.

पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी इस फैसले का विरोध किया है और कहा है कि ये कश्मीर के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे की कोशिश है. 

हैरानी की बात ये है कि ये वो नेता हैं जो खुद दिल्ली जैसे शहरों में सरकारी बंगलों में रहते हैं और सरकार से मिली सुविधाओं का भरपूर दोहन करते हैं और तब इन्हें जमीन पर कब्जे जैसे शब्द याद नहीं आते.

विदेशी मीडिया हाउस भी इनके सुर में सुर मिला रहे
यहां आपको एक बात और समझनी चाहिए और वो ये है कि सरकार के इस फैसले के मुताबिक, बाहर का कोई भी आदमी तब तक जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकता. जब तक जमीन बेचने वाला स्थानीय नागरिक इसकी इजाजत न दे दे. इसलिए कब्जे का सवाल ही नहीं पैदा होता. लेकिन सिर्फ कश्मीर के सियासी खानदान ही इस फैसले का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि कुछ विदेशी मीडिया हाउस भी इनके सुर में सुर मिला रहे हैं.

उदाहरण के लिए आपको कतर के बड़े मीडिया हाउस Al Jazeera की वेबसाइट पर छपी एक खबर की हेडलाइन पर गौर करना चाहिए. इसमें अल जजीरा लिखता है-  'Kashmiris decry ‘land grab’ as India enacts new laws.' यानी कश्मीर के लोगों ने कश्मीर की जमीन पर कब्जा करने का विरोध किया है. इतना ही नहीं इस अखबार ने इस खबर में कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग न बताकर भारत अधिकृत कश्मीर जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है. अब भारत सरकार को चाहिए कि वो ऐसे विदेशी मीडिया हाउसेज के खिलाफ कार्रवाई करे.

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