DNA ANALYSIS: EMI की चिंता खत्म होगी? 31 अगस्त छूट का आखिरी दिन, अब आगे क्या हो सकता है
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DNA ANALYSIS: EMI की चिंता खत्म होगी? 31 अगस्त छूट का आखिरी दिन, अब आगे क्या हो सकता है

अगर आपने बैंक से कोई लोन लिया है और उसकी EMI यानी किस्त चुकाने में परेशानी हो रही है तो ये खबर आपके बहुत काम की है.

DNA ANALYSIS: EMI की चिंता खत्म होगी? 31 अगस्त छूट का आखिरी दिन, अब आगे क्या हो सकता है

नई दिल्ली: अगर आपने बैंक से कोई लोन लिया है और उसकी EMI यानी किस्त चुकाने में परेशानी हो रही है तो ये खबर आपके बहुत काम की है. क्योंकि लॉकडाउन के दौरान ब्याज चुकाने पर मिली रियायत आगे बढ़ सकती है. ये छूट 31 अगस्त को खत्म हो रही है. यानी अगले महीने से आपको होम लोन या कार लोन की EMI पहले की तरह ही चुकानी होगी, जबकि अभी लॉकडाउन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. अब भी बड़ी संख्या में लोगों का काम धंधा बंद है और कई लोगों की नौकरी तक जा चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार को इन लोगों की परेशानी पर ध्यान देना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि सरकार रिजर्व बैंक की आड़ लेकर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. अदालत ने साफ कहा कि सरकार को सिर्फ बैंकों के बिजनेस के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. आम जनता की परेशानियों पर ध्यान देना भी जरूरी है.

पिछले छह महीने से लोगों को अपने लोन पर ब्याज़ चुकाने से मोहलत मिली हुई है. बैंकिंग की भाषा में इसे Moratorium कहते हैं. इसकी शर्त होती है कि मोहलत खत्म होने के बाद पिछला सारा ब्याज भी चुकाना होगा. लोग परेशान हैं कि अभी काम धंधा शुरू नहीं हुआ, ऐसे में पिछला बकाया कैसे भर पाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इसका जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी.

EMI की टेंशन सिर्फ होम लोन और कार लोन वालों की ही नहीं है. देशभर में बड़ी संख्या में लोग बैंकों से पैसे लेकर छोटे-मोटे काम धंधे करते हैं. रियायत का उन सभी को फायदा हुआ. लेकिन जैसे ही मोहलत खत्म होने को है, बैंकों के रिकवरी एजेंट घर घर पहुंचकर लोगों को धमकाने लगे हैं. पंजाब के मोगा से हमारी इस रिपोर्ट को देखकर आप समझ जाएंगे कि समस्या कितनी गंभीर है.

वसूली के लिए कंपनी ने गुर्गे भेजने शुरू कर दिए
पंजाब के मोगा की छोटी सी दुकान के आगे महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं. यह एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी है. लोगों को छोटा मोटा कर्ज देती है. अब मॉरिटोरियम खत्म हो रहा है तो वसूली के लिए इस कंपनी ने गुर्गे भेजने शुरू कर दिए. इसी पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है.

आप ये सोच सकते हैं कि कर्ज लेकर न चुकाना तो जुर्म है. लेकिन इस प्रदर्शन पर मत जाइए. उसके पीछे छिपे दर्द और मजबूरियों को समझिए.

अब लवप्रीत की कहानी बताते हैं. उनके छोटे से मकान में 4 लोग रहते हैं. कमरा बनाने के लिए जरा सा कर्ज लिया था. मां कैंसर से जूझ रही हैं. माइक्रो फाइनेंस के वसूली वाले गुंडे उनकी दवाई तक के पैसे ले गए.

अमरजीत कौर आत्मनिर्भर भारत के प्रेरित थीं. सिलाई मशीन के लिए कर्ज लिया था. लॉकडाउन के दौरान काम काज ठप हुआ तो कर्ज की किश्त रह गई. वसूली वालों ने बचे-कुचे पैसे छीन लिए और बेइज्जत किया वो अलग.

सिमरनजीत कौर के पति घर चलाने के लिए रेहड़ी लगाते थे. रेहड़ी के लिए 25 हजार रुपए का कर्ज लिया था. बरसात में छत गिर गई तो कुछ पैसा वहां लगा दिया. गिनी चुनी किश्तें बाकी रह गईं. तो अब रोज वसूली वाले आते हैं और घर का कुछ सामान उठाकर ले जाते हैं.

नवप्रीत के पति घरों में पेंटिंग का काम करते हैं. उसी के सामान लेने कि लिए 25,000 का कर्ज लिया था. मात्र 5 हजार रुपए बाकी थे. फाइनेंस कंपनी के गुर्गे बावजूद इसके रोज बेइज्जत करते हैं.

रेहड़ी पटरी वालों का कर्ज माफ नहीं हो सकता ?
कर्ज लिया है तो चुकाना पड़ेगा ही लेकिन सवाल ये भी है बड़ी-बड़ी कंपनियों का कर्ज NPA में डालकर मामला रफा दफा हो सकता है तो क्या इन 20-30 हजार रुपए का कर्ज लेकर रेहड़ी पटरी वालों का कर्ज माफ नहीं हो सकता ?

मॉरिटोरियम समाप्त हो रहा है. किश्तें चुकाने के दिन वापस आ रहे हैं. लेकिन सरकार को ये सोचना चाहिए कि क्या देश से कोरोना संक्रमण का खतरा टल चुका है. क्या कोरोना वायरस की वजह से गई नौकरियां और आमदनी में कमी झेल रहे लोग इस किश्त को चुकाने में सक्षम हैं?

EMI की ये टेंशन कितनी बड़ी है
अब हम आपको बताते हैं कि EMI की ये टेंशन कितनी बड़ी है. सबसे ज्यादा लोग होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन लेते हैं. एजुकेशन लोन और क्रेडिट कार्ड वालों को भी जोड़ दें तो ये संख्या बहुत अधिक हो जाती है.

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार रिटेल कैटेगरी में लगभग 25 लाख करोड़ रुपए का लोन है. सुप्रीम कोर्ट में ये तथ्य रखा गया कि छह महीने के लॉकडाउन में लगभग 40 प्रतिशत लोगों की या तो नौकरी छूट गई है या उनकी सैलरी कम हुई है.

वित्तीय संस्था Finway के सर्वे के अनुसार लोन लेने वाले लगभग 45 प्रतिशत लोगों ने EMI में रियायत का फायदा उठाया है.

रिजर्व बैंक का कहना है कि ये रियायत अब आगे नहीं बढ़ानी चाहिए, क्योंकि इससे रिजर्व बैंक को दूसरे बैंकों में जमा पैसों पर ब्याज देने में परेशानी शुरू हो जाएगी. उन्हें जमा पैसों पर ब्याज घटाना पड़ेगा. इसकी शुरुआत हो भी गई है, HDFC बैंक ने आज ही ब्याज दरों में कटौती कर दी है.

तो आप समझ गए होंगे कि ये संकट कितना बड़ा है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार इसमें दखल देगी और कोई रास्ता निकालेगी. ताकि आम लोगों को संकट से बचाया जा सके और बैंकों की हालत भी खराब न होने पाए.

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