सीबीआई चीफ के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने इस्‍तीफा दिया
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सीबीआई चीफ के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने इस्‍तीफा दिया

आलोक वर्मा को गुरुवार को उनके पद से हटा दिया गया था.

आलोक वर्मा 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: सीबीआई के पूर्व चीफ और वरिष्‍ठ आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा ने सेवा से इस्‍तीफा दे दिया है. उनको गुरुवार को प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता वाली सेलेक्‍शन कमेटी ने बहुमत के आधार पर पद से हटा दिया था और उसके बाद फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होमगार्ड का महानिदेशक बनाया गया था. आलोक कुमार वर्मा ने यह पद लेने से इनकार कर दिया.

सेक्रटरी पर्सनल एड ट्रेनिंग को लिखी चिट्ठी में आलोक वर्मा ने कहा कि वो पुलिस सर्विस से 31 जुलाई 2017 को रिटायर हो चुके है और सिर्फ डायरेक्टर सीबीआई के लिये वो 31 जनवरी 2019 तक तैनात थे. अब क्‍योंकि उन्हें सीबीआई पद से हटा दिया गया है लिहाजा उन्हें तत्काल समय से पद से रिटायर माना जाये.

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आलोक कुमार वर्मा ने चिट्ठी में हवाला दिया कि उनका अब तक का सर्विस रिकार्ड बेदाग रहा है, और सेलेक्‍शन कमेटी ने उन्हें अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया और बिना बात सुने उन्हें पद से हटा दिया गया. सेलेक्शन कमेटी ने सिर्फ शिकायतकर्ता की बात को सुना जिस पर खुद सीबीआई जांच कर रही हैऔर वो खुद सीवीसी की जांच कमेटी के सामने आरोपों के सुबूत लेकर हाजिर नहीं हुआ.

'झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया मेरा तबादला'
इससे पहले उच्चस्तरीय चयन समिति द्वारा सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने दावा किया कि उनका तबादला उनके विरोध में रहने वाले एक व्यक्ति की ओर से लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय चयन समिति ने भ्रष्टाचार और कर्तव्‍य में लापरवाही बरतने के आरोप में बृहस्पतिवार को वर्मा को पद से हटा दिया.

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इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए वर्मा ने बृहस्पतिवार देर रात जारी एक बयान में कहा कि भ्रष्टाचार के हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी होने के नाते सीबीआई की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘इसे बाहरी दबावों के बगैर काम करना चाहिए. मैंने एजेंसी की ईमानदारी को बनाए रखने की कोशिश की है जबकि उसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी. इसे केंद्र सरकार और सीवीसी के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों में देखा जा सकता है जो बिना किसी अधिकार क्षेत्र के दिए गए थे और जिन्हें रद्द कर दिया गया.’’ आलोक वर्मा ने ‘‘अपने विरोधी एक व्यक्ति द्वारा लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों’’ के आधार पर समिति द्वारा तबादले का आदेश जारी किए जाने को दुखद बताया.

सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को जारी आदेश के अनुसार, 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया है. सीबीआई निदेशक का प्रभार फिलहाल अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव के पास है. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी हैं. न्यायमूर्ति सीकरी को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया था.

वर्मा ने कहा कि समिति को सीबीआई निदेशक के तौर पर उनके भविष्य की रणनीति तय करने का काम सौंपा गया था. उन्होंने कहा, ‘‘मैं संस्था की ईमानदारी के लिए खड़ा रहा और यदि मुझसे फिर पूछा जाए तो मैं विधि का शासन बनाए रखने के लिए दोबारा ऐसा ही करूंगा.’’ जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद वर्मा बुधवार को ही अपनी ड्यूटी पर लौटे थे. एजीएमयूटी काडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना दोनों को सरकार ने 23 अक्टूबर, 2018 की देर शाम जबरन छुट्टी पर भेज दिया था और उनके सारे अधिकार ले लिये थे.

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