एनआरसी विवाद: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ‘विदेशी’ घोषित किए गए पूर्व सैनिक को दी जमानत
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एनआरसी विवाद: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ‘विदेशी’ घोषित किए गए पूर्व सैनिक को दी जमानत

सनाउल्‍लाह 2017 में कैप्टन के पद पर रहते हुए वे आनरेरी रिटायरमेंट लिया था. सेना में रहते हुए उन्हें साहसी कार्य के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा गया था. पूर्व सैन्य अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह वर्तमान में सीमा पुलिस में एएसआई पद पर कार्यरत हैं.

सनाउल्लाह सेना में कैप्टन के पद पर कार्य कर चुके हैं. IANS
सनाउल्लाह सेना में कैप्टन के पद पर कार्य कर चुके हैं. IANS

गुवाहाटी: पूर्व सैन्य अधिकारी सनाउल्लाह मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट के न्यायाधीश मनोजित भुइंया और पीके डेका की बेंच ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद सनाउल्लाह को जमानत दे दी. इस संबंध में सनाउल्लाह की ओर से असम के वरिष्ठ अधिवक्ता हाफिज रसीद चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व मानवाधिकार कार्यकर्ता इंदिरा जयसिंह शुक्रवार को गुवाहाटी पहुंचकर सनाउल्लाह के पक्ष में अपना पक्ष रखा.

इंदिरा जयसिंह बिना फीस लिए ही पूर्व सैन्य अधिकारी सनाउल्लाह की मदद की है. सनाउल्लाह की तरफ से इंदिरा जयसिंह व असम के वरिष्ठ अधिवक्ता हाफिज रसीद चौधरी ने अपना पक्ष रखा. इन दोनों वरिष्ठ अधिवक्ताओं को बुरहानुर रहमान व वादुद अहमद ने सहयोग किया. गुवाहाटी हाईकोर्ट की ओर से सनाउल्लाह मामले केम तत्कालीन जांच पुलिस अधिकारी चंद्रमल दास, केंद्रीय गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, राज्य सरकार एनआरसी अधिकारी को नोटिस जारी किया है.

बता दें कि पूर्व सैन्य अधिकारी और असम पुलिस के सीमा शाखा के एएसआई मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी न्यायाधीकरण द्वारा बांग्लादेशी नागरिक घोषित किए जाने के बाद से ही उन्हें बरपेटा के डिटेंशन कैंप में रखा गया है. इस मामले में पुलिस ने जिन गवाहों के बयान दर्ज किए हैं, उन्होंने कहा है कि उनकी कभी भी गवाही नहीं ली गई थी. जिसके बाद से यह तय माना जा रहा था कि पूर्व सैन्य अधिकारी को जमानत मिल ही जाएगी. हालांकि सन्नाउल्लाह के परिजनों का इस बात का मलाल है कि ईद से पूर्व उनकी रिहाई नहीं हो पाई.

सीमा शाखा के पुलिस अधिकारी चंद्रमल दास ने 23 मई, 2008 को सनाउल्लाह का बयान कलमबंद किया था. बयान कलमबंद किए जाने के दौरान तीन लोगों की गवाही ली गई थी. तीनों गवाहों ने यह कहा था कि सनाउल्लाह बांग्लादेशी नागरिक है. दो गवाह कुर्बान अली और नमजद अली अहमद दास ने गत रविवार को मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि पुलिस के समक्ष सनाउल्लाह को लेकर न तो कोई बयान दर्ज कराया है न ही उन लोगों ने पुलिस के समक्ष हस्ताक्षर किया है.

इस संबंध में कुरान अली ने कहा कि सन 2008 में जब सनाउल्लाह के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था तब गवाह के तौर पर मेरा नाम और पता लिखा गया. उस समय मैं अपने गांव बोको थाना क्षेत्र के कालहीघाट गांव में था ही नहीं. उस दौरान मैं गुवाहाटी में नौकरी कर रहा था. नौकरी खत्म होने के बाद सन 2014 में मैं अपने गांव पहुंचा.

दूसरे गवाह नमजाद अली अहमद ने कहा कि हमें तो इन सब बातों का कुछ पता ही नहीं. सनाउल्लाह के भाई ने जब हमें कागजात दिखाया तब पता चला कि मैं, कुर्बान अली और अन्य एक व्यक्ति को सनाउल्लाह के बांग्लादेशी होने के संबंध में गवाही में रखा गया है. हम लोगों ने सनाउल्लाह को लेकर पुलिस के समक्ष कभी भी कोई बयान नहीं दिया है. इन लोगों ने कहा कि हम सनाउल्लाह के जांच कर रहे अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करेंगे. हमारे साथ धोखाधड़ी किया गया है. हमें जब कुछ पता ही नहीं तो हमारा नाम, पता, हस्ताक्षर सहित पुलिस ने कैसे जमाबंदी न्यायालय में पेश किया.

साथ ही कहा कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि 28 मई को विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा बांग्लादेशी नागरिक घोषित किए जाने के बाद पुलिस ने पूर्व सैन्य अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह को कामरूप जिले के बोको थाना क्षेत्र से हिरासत में लेकर बरपेटा स्थित डिटेंशन कैंप में भेज दिया था. सनाउल्लाह सेना में कैप्टन के पद पर कार्य कर चुके हैं. सन 2017 में कैप्टन के पद पर रहते हुए वे आनरेरी रिटायरमेंट लिया था. सेना में रहते हुए उन्हें साहसी कार्य के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा गया था. पूर्व सैन्य अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह वर्तमान में सीमा पुलिस में एएसआई पद पर कार्यरत हैं. वर्ष 2008 से फॉरेन ट्रिब्यूनल में मोहम्मद सनाउल्लाह के विरूद्ध मामला चल रहा था.

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने सनाउल्लाह को सशर्त जमानत दी है सनाउल्लाह को नगद बीस हजार के अलावा दोनों आंखों की बायोमेट्रिक उंगलियों का निशान व फोटो जमा कराने के बाद ही डिटेंशन कैंप से छोड़ा जाएगा. वहीं जमानत के लिए दो जमानतदार की भी जरूरत पड़ेगी.

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