GN Saibaba: साईंबाबा की पत्नी वसंता साईं और भाई रामदेव साईं बुधवार को पूरे दिन जेल के गेट के बाहर इंतजार करते रहे लेकिन फिर वह साईबाबा को साथ नहीं ले जा सके.
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JN Saibaba Release: दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा हाई कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के एक दिन बाद भी वे जेल से बाहर नहीं आ सके. उनकी पत्नी और भाई जेल के बाहर दिन भर इंतजार करते रहे लेकिन वे लोग साईबाब को नहीं ले जा सके. बता दें बंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने मंगलवार (5 मार्च) को प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) से संबंध रखने के मामले में में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को बरी कर दिया. कोर्ट ने पांच अन्य आरोपियों को भी बर कर दिया.
साईबाबा और गढ़चिरौली के किसान महेश तिर्की नागपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं, जबकि उत्तराखंड के पूर्व पत्रकार प्रशांत राही अमरावती जेल में हैं और जेएनयू छात्र हेम मिश्रा कोल्हापुर जेल में बंद हैं. एक अन्य आरोपी, पांडु नरोटे, की जेल में, मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई. वह नागपुर सेंट्रल में बंद थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि जेल अधिकारियों को आरोपी को रिहा करने का आदेश समय पर नहीं मिला. जेल में खराब इंटरनेट सेवा को देरी का एक कारण बताया गया जिसकी वजह से आदेश ईमेल पर नहीं मिल सका.
दिन भर खड़े रहे साईबाबा की पत्नी और भाई
साईंबाबा की पत्नी वसंता साईं और भाई रामदेव साईं पूरे दिन जेल के गेट के बाहर इंतजार करते रहे, लेकिन शाम को जेल अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया कि गढ़चिरौली अदालत से पुष्टिकरण आदेश (Confirmation Order) प्राप्त नहीं हुआ है.
अधिकारियों ने दिया जेल नियमों का हवाला
आदेश को सूर्यास्त से पहले जेल में हाथ से पहुंचाया जाना था. इसे जेल अधिकारियों को भी ईमेल किया जा सकता था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक नागपुर जेल अधीक्षक वैभव आगे ने कहा कि आदेश समय सीमा के भीतर नहीं आया था. हालांकि, बचाव पक्ष के वकीलों ने जोर देकर कहा कि एक ईमेल काफी पहले भेजा गया था.
इस पर वैभव आगे ने बताया कि मेल प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि जेल की इंटरनेट सर्विस चालू नहीं थीं, और उन्हें आदेश मिलने तक इंतजार करना होगा. इसके अलावा, जेल नियमों के अनुसार, कैदियों को शाम 6 बजे के बाद रिहा नहीं किया जाता है.
बचाप पक्ष के वकील ने क्या कहा?
साईबाबा के भाई रामदेव साई ने कहा, ‘हम सुबह से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब वे कह रहे हैं कि उन्हें ऑर्डर नहीं मिला है.’
बचाव पक्ष के एक वकील ने पूछा, ‘जेल अधिकारी यह कैसे कह सकते हैं कि इंटरनेट काम नहीं कर रहा था, जब साईबाबा एक दिन पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत की सुनवाई में शामिल हुए हैं.’
बचाव पक्ष के वकील निहाल सिंह ने कहा, ‘उसी दिन रिहाई की मांग करने वाला एक आवेदन जेल अधिकारियों के समक्ष रखा गया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.’
प्रशांत राही की बेटी ने क्या कहा
अमरावती जेल में प्रशांत राही की बेटी शिखा राही ने भी कहा, ‘अमरावती के जेल अधिकारियों ने उन्हें बताया कि रिहाई का आदेश शाम 6:12 बजे प्राप्त हुआ था. लेकिन ऐसा माना जा रहा कि यह समय सीमा से पहले आ गया था.’
मंगलवार को दिया हाई कोर्ट ने रिहाई का आदेश
बता दें बंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने मंगलवार (5 मार्च) को माओवादी संबंध मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को बरी कर दिया. अदालत ने उनकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी.
जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वाल्मीकि एस.ए. मेनेजेस की खंडपीठ ने मामले में पांच अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया.
पीठ ने कहा कि वह सभी आरोपियों को बरी कर रही है क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ संदेह से परे मामला साबित करने में विफल रहा.