Bangladesh PM Sheikh Hasina's state visit to India: रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 1 बिलियन डॉलर है. भारत ने भी इस प्रोजेक्ट में अपनी रुचि दिखाई थी और उम्मीद की जा रही थी कि दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद कोई बड़ी घोषणा हो सकती है.
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India Bangladesh Relation: दो दिवसीय भारत दौरे पर आईं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आज हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता कीं. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए. दोनों दशों के बीच हुए अहम समझौते की जानकारी देते हुए विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा है कि बांग्लादेश के साथ गंगा जल बंटवारा संधि के रिन्यूअल के लिए एक संयुक्त टेक्निकल कमेटी का गठन किया गया है. इसको लेकर जल्द ही टेक्निकल चर्चा शुरू होगी. इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन कार्य भी भारत करेगा.
बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन प्रोजेक्ट भारत के लिए इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि चीन ने भी इस प्रोजेक्ट को फंड करने में रुचि दिखाई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 1 बिलियन डॉलर है. भारत ने भी इस प्रोजेक्ट में अपनी रुचि दिखाई थी और उम्मीद की जा रही थी कि दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद कोई बड़ी घोषणा हो सकती है. शेख हसीना जुलाई में चीन के दौरे पर जाने वाली हैं इसलिए भी यह घोषणा बहुत ही अहम है.
1996 में हुई थी गंगा जल बंटवारा संधि
लगभग 27 साल पहले भारत और बांग्लादेश के बीच 30 साल के लिए गंगा जल बंटवारा संधि लागू हुई थी. भारत ने 1975 में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में गंगा नदी पर फरक्का बांध का निर्माण किया था. बांग्लादेश ने इस पर सख्त आपत्ति जताई थी. लंबे समय के विवाद पर दोनों देशों ने 1996 में गंगा जल विभाजन संधि किए थे. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और शेख हसीना ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह संधि अगले 30 वर्षों के लिए की गई थी.
तीस्ता नदी परियोजना में भारत और चीन के प्रतिस्पर्धी हितों को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश को एक नाजुक कूटनीतिक दुविधा का सामना करना पड़ रहा है. इस परियोजना में भारत की रुचि रणनीतिक सुरक्षा चिंताओं से उपजी है, जो क्षेत्र में प्रभाव बनाए रखने और अपनी सीमाओं पर स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है.
चीन को यह प्रोजेक्ट मिलने से कितना खतरा?
अगर यह प्रोजेक्ट चीन को मिलता है तो यह भारत के लिए भू-राजनीतिक निहितार्थ और सुरक्षा जोखिमों को लेकर गंभीर खतरा साबित हो सकता है. इस प्रोजेक्ट पर चीन लंबे समय से नजर बनाए हुए है. चीन इस प्रोजेक्ट को लेकर बांग्लादेश को एक आधिकारिक प्रस्ताव भी दिया है. प्रधानमंत्री शेख हसीना की आगामी चीन दौरा के दौरान एक समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद थी. लेकिन भारत ने चीन को इस प्रोजेक्ट को दूर रखने के लिए हाल ही में विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा को बांग्लादेश भेजा था. क्वात्रा ने इस यात्रा के दौरान बांग्लादेश को तीस्ता परियोजना के लिए भारतीय फंडिंग की पेशकश की थी.
हाल के कुछ वर्षों में चीन और भारत दोनों बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाने को लेकर खींचतान में लगे हुए हैं. भारत, बांग्लादेश को अपने प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखता है. कुछ साल पहले ही बांग्लादेश ने कॉक्स बाजार के पास बंगाल की खाड़ी में सोनादिया गहरे समुद्री बंदरगाह प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया था. इस प्रोजेक्ट को भी चीन फंड करना चाहता था.
#WATCH | Delhi: On Bangladesh PM Shiekh Hasina's state visit to India, FS Vinay Kwatra says, "... The two leaders also agreed to intensify engagement on counterterrorism, counter-radicalization and peaceful management of our long land border. In terms of bilateral partnership on… pic.twitter.com/4atDRt1nvP
— ANI (@ANI) June 22, 2024
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह प्रोजेक्ट
भौगोलिक, रणनीतिक और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से तीस्ता नदी परियोजना भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. ऐसे प्रोजेक्ट में चीन की भागीदारी होना भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है जो संवेदनशील चिकन नेक कॉरिडर के बगल में है. चिकन नेक भारत के लिए बहुत ही उच्च रणनीतिक महत्व का क्षेत्र है क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. चीन इस प्रोजेक्ट को दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ बढ़ाने और क्षेत्र में भारत के प्रभुत्व को चुनौती देने के अवसर के रूप में देखता है.