इस ऑपरेशन से लंबी दूरी की ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाएगा रेलवे, समय से पहले पूरा होगा आपका सफर
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इस ऑपरेशन से लंबी दूरी की ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाएगा रेलवे, समय से पहले पूरा होगा आपका सफर

ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे ने अपनाई पुल एण्‍ड पुश ऑपरेशन की नीति, दिल्‍ली-मुंबई राजधानी में हुआ सफल परीक्षण

भारतीय रेलवे ने मौजूदा संसाधनों का इस्‍तेमाल कर ट्रेानों की रफ्तार बढ़ाने के लिए नए प्रयास शुरू किए हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: लंबी दूरी की ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने और यात्रा में समय में कटौती करने के उद्देश्‍य से भारतीय रेलवे ने एक नई नकनीक का ईजाद किया है. भारतीय रेलवे ने अपनी इस नई तकनीक को 'पुल एण्‍ड पुश ऑपरेशन' का नाम दिया है. जिसका सफल ट्रायल बीते दिनों दिल्‍ली से मुंबई के बीच राजधानी एक्‍सप्रेस में किया गया है. 

  1. पुश एण्‍ड पुल तकनीक से ट्रेनों का परिचालन
  2. 106 मिनट पहले पूरा कर सकेंगे अपना सफर
  3. फिलहाल राजधानी ट्रेनों के यात्रियों को फायदा

भारतीय रेलवे का दावा है कि इस तकनीकि के जरिए न केवल ट्रेनों की रफ्तार को आसानी से बढ़ाया जा सकेगा, बल्कि यात्रा के समय को करीब 106 मिनट तक कम भी किया जा सकेगा. रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार 'पुल एण्‍ड पुश ऑपरेशन' तकनीक पूरी तरह से भारतीय है और इस तकनीक से विश्‍व में पहली बार लंबी दूरी की ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा. 

क्‍या है 'पुल एण्‍ड पुश ऑपरेशन'
भारतीय रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार, बीते दिनों ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाने के लिए कुछ ट्रेनों में एक साथ दो लोकोमोटिव (इंजन) का इस्‍तेमाल किया गया था. दो इंजनों के साथ ट्रेनों के परिचालन के दौरान पाया गया कि दो इंजन के चलते कोच के कपलिंग पर अतिरिक्‍त दबाब पड़ रहा है. यह दबाव ट्रेन की सेफ्टी के लिहाज से ठीक नहीं थी. इस समस्‍या से निजात पाने के लिए भारतीय रेलवे ने 'पुल एण्‍ड पुश ऑपरेशन' तकनीक का इजाद किया. इस तकनीक के तहत ट्रेन के आगे एक इंजन और ट्रेन के पीछे एक इंजन लगाया गया. इन दोनों इंजनों को एक वायर के जरिए सिंक्रनाइज किया गया. जिससे दोनों इंजनों के परिचालन में समानता रहे. रेलवे ने फिलहाल दोनों इंजनों में ड्राइवर तैनात किए हैं, लेकिन जल्‍द ही पीछे वाले इंजन से ड्राइवर हटा लिया जाएगा. 

कैसे बढ़ेगी ट्रेनों की रफ्तार 
भारतीय रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक इंजन ट्रेन के कोच को अपनी पूरी ताकत से खींचते थे, जिससे ट्रेन के एक्‍सलरेशन में अधिक समय लगता था. वहीं, वहीं ट्रेन को रिवर्स डायरेक्‍शन में ले जाने के लिए इंजन को अगले छोर से हटाकर पिछले छोर में लगाना पड़ा था. इंजन को रिवर्स डायरेक्‍शन में लगाने की इस प्रक्रिया में काफी समय बर्बाद होता था. उन्‍होंने बताया कि नई तकनीक के तहत ट्रेन के पिछले छोर पर लगा इंजन ट्रेन के एक्‍सलरेशन को बढ़ाने में अगले इंजन की मदद करेगा. रिवर्स डायरेक्‍शन में जाने के लिए इंजन बदलने की जरूरत नहीं होगी. बिना देरी ट्रेन का किसी भी दिशा में परिचालन किया जा सकेगा. इसके अलावा, यात्रा के दौरान लगने वाले झटकों और कंपन से भी मुसाफिरों को निजात मिलेगी. 

ट्रायल में ये बाते आईं सामने
भारतीय रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि इस तकनीक का पहला ट्रायल 13 फरवरी को मुंबई से दिल्‍ली के निजामुद्दीन रेलवे स्‍टेशन के बीच राजधानी एक्‍सप्रेस में किया गया. ट्रायल के दौरान इस ट्रेन ने अपना समय निर्धारित समय से करीब 116 मिनट पूरा कर लिया. उन्‍होंने बताया कि नई तकनीक की मदद से मुंबई के कसारा रेलवे स्‍टेशन पर इंजन को एक दिशा से हटाकर दूसरी दिशा में लगाने की जरूरत नहीं पड़ी. जिसके चलते यह ट्रेन अपने निर्धारित समय से करीब 22 मिनट पहले नासिक के इगतपुरी रेलवे स्‍टेशन पहुंचने में सफल रही. इसी तरह बांद्रा टर्मिनल से दिल्‍ली के बीच परिचालित होने वाले अन्‍य राजधानी में इस तकनीक का प्रयोग किया गया. ट्रायल के दौरान इस ट्रेन ने अपना सफर 83 मिनट पहले पूरा कर लिया.

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