भारतीय उपग्रह एस्ट्रोसैट ने ढूंढी नई 'किरण' लेकिन ये धरती से है बहुत दूर...
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भारतीय उपग्रह एस्ट्रोसैट ने ढूंढी नई 'किरण' लेकिन ये धरती से है बहुत दूर...

भारत के पहले मल्टी-वेवलेंथ सेटेलाइट-एस्ट्रोसैट ने कमाल की खोज की है.

एस्ट्रोसैट (तस्वीर-ट्विटर)

पुणे: भारत के पहले मल्टी-वेवलेंथ सेटेलाइट-एस्ट्रोसैट ने कमाल की खोज की है. एस्ट्रोसैट (Multi-Wavelength Satellite, AstroSat) ने दूसरी आकाशगंगा से निकलने वाली एक्स्ट्रीम अल्ट्रावायलेट (यूवी) लाइट (Extreme Ultraviolet (UV) Light) की मौजूदगी को पकड़ा है, जो पृथ्वी से करीब 9.30 बिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर है. पुणे स्थित अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष भौतिकी के अंतर-विश्वविद्यालयी केंद्र (Inter-University Centre for Astronomy and Astrophysics (IUCAA) ने सोमवार को ये जानकारी दी.

  1. एस्ट्रोसैट ने वो कर दिखाया, जो नासा का हब्बस दूरबीन भी नहीं कर सका
  2. इस खोज से प्रकाश से जुड़ी शुरूआती जानकारियों को समझने में मिलेगी मदद
  3. पुणे स्थित संस्थान में भारतीय वैज्ञानिक की अगुवाई में कई देशों के वैज्ञानिक शोध में जुटे

पुणे स्थित आईयूसीएए के अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने एस्ट्रोसैट के माध्यम से इस कारनामे को अंजाम दिया, जोकि बेहद महत्वपूर्ण खोज मानी जा रही है. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के इस अंतर्राष्ट्रीय समूह (International Team of Astronomers) की अगुवाई डॉक्टर कनक साहा कर रहे हैं, जो आईयूसीएए में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. इस खोज के बारे में 24 अगस्त को 'नेचर एस्ट्रोनोमी' में पूरे विस्तार से बताया गया है. ये खोज अंतरराष्‍ट्रीय विशेषज्ञों के दल ने की है, जिसमें भारत, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, जापान और नीदरलैंड्स के वैज्ञानिक शामिल हैं.

डॉक्टर साहा और उनकी टीम ने इस यूवी लाइट को एस्ट्रोसैट के माध्यम से अक्टूबर 2016 को पकड़ा था, और करीब 28 घंटों तक उससे संपर्क में बने रहे. इस पर अगले करीब दो सालों तक शोध किया गया. दरअसल, इस तरह की अल्‍ट्रावॉयलेट रेडियेशन (UV radiation) को पृथ्वी अपनी कक्षा (Earths atmosphere) में घुसते ही सोख लेती है, ऐसे में इनका पता अंतरिक्ष में तैनात सेटेलाइट के जरिए ही लगाया जा सकता है.

बता दें कि इसी काम को अंजाम देने के लिए नासा ने हब्बल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope-एचएसटी) को अंतरिक्ष में तैनात किया है, जो कि एस्ट्रोसैट के यूवीआईटी (UV imaging telescope) से काफी बड़ा है, लेकिन एस्ट्रोसैट के यूवीआईटी ने वो कर दिखाया, जो हब्बल नहीं कर पाया.

आईयूसीएए के डायरेक्टर डॉक्टर सोमक राय चौधरी ने कहा, 'ये खोज डार्क एज से जुड़ी बेहद महत्वपूर्ण खोज में से है, इसके जरिये हम प्रकाश के पैदा होने की कहानी जान पाएंगे. हालांकि इसके लिए अभी बहुत कुछ करना है. मैं अपने साथियों की कामयाबी से गदगद हूं.'

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