Ratna Bhandar: श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने मंगलवार को कहा कि रत्न भंडार का आंतरिक कक्ष गुरुवार को सुबह नौ बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट के बीच फिर से खोला जाएगा ताकि आभूषणों को मंदिर में स्थित अस्थायी कोषागार में स्थानांतरित किया जा सके.
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Jagannath Temple Ratna Bhandar: 12वीं सदी के ओडिशा स्थित पुरी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को 1978 के बाद पहली बार 14 जुलाई को खोला गया. 46 साल बाद आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए रत्न भंडार को खोला गया है. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने मंगलवार को कहा कि रत्न भंडार का आंतरिक कक्ष गुरुवार को सुबह नौ बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट के बीच फिर से खोला जाएगा ताकि आभूषणों को मंदिर में स्थित अस्थायी कोषागार में स्थानांतरित किया जा सके. यह निर्णय मंगलवार को यहां एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, रत्न भंडार को खोलने के दौरान देखरेख के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ, पुरी के जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में हुई बैठक के दौरान लिया गया.
ओडिशा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में रत्न भंडार को पुन: खोलना एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा था. भाजपा ने तत्कालीन सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) पर इसकी खोई हुई चाबियों को लेकर निशाना साधा था और लोगों से वादा किया था कि अगर वह चुनाव जीतती है तो रत्न भंडार को फिर से खोलने का प्रयास करेगी.
ओडिशा सरकार ने सोमवार को कहा कि वह अब इस बात की जांच करेगी कि 14 जुलाई को जगन्नाथ मंदिर के खजाने रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष के ताले नकली चाबियों से क्यों नहीं खुल पाए? जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने कहा था कि एक विशेष समिति के सदस्यों ने खजाने के भीतरी कक्ष के दरवाजों पर लगे तीन तालों को खोलने की कोशिश की, लेकिन उनमें एक पुरी जिला प्रशासन के पास उपलब्ध दो नकली चाबियों से नहीं खुल पाया.
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कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा, 'पिछली बीजू जनता दल (बीजद) सरकार के दौरान रत्न भंडार की नकली चाबियों की उपलब्धता को लेकर झूठ लाया गया था. इस मामले की निश्चित रूप से जांच की जाएगी.' जगन्नाथ मंदिर राज्य सरकार के विधि विभाग के अधीन है. हरिचंदन ने कहा, 'नकली चाबियों के बारे में किसने कहा था और किसके निर्देश पर ऐसा किया गया, इसकी भी जांच की जाएगी.'
चार अप्रैल 2018 को सरकार ने रत्न भंडार को भौतिक जांच के लिए फिर से खोलने का प्रयास किया था, लेकिन चाबियां न मिलने के कारण यह प्रयास असफल रहा. कुछ दिनों बाद सरकार ने कहा था कि नकली चाबियां मिल गई हैं. मंत्री ने कहा कि यदि किसी ने कभी भगवान जगन्नाथ के आभूषणों को छुआ होगा तो उसे निश्चित रूप से परिणाम भुगतने होंगे. हरिचंदन ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि ऐसी घटना नहीं हुई होगी. सूची तैयार होने के बाद ही हमें इस बारे में स्पष्ट जानकारी मिल पाएगी.'
जब खोला गया रत्न भंडार
अधिकारियों ने बताया कि रत्न भंडार को खोलते समय 11 लोग मौजूद थे, जिसमें उड़ीसा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के राजा 'गजपति महाराजा' के एक प्रतिनिधि शामिल थे. इनमें चार सेवक भी थे जिन्होंने अनुष्ठानों का ध्यान रखा.
पाधी ने उसके बाद कहा, 'हमने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार सभी काम किए. हमने सबसे पहले रत्न भंडार के बाहरी कक्ष को खोला और वहां रखे सभी आभूषणों और कीमती सामान को मंदिर के अंदर अस्थायी 'स्ट्रॉन्ग रूम' में स्थानांतरित कराया. हमने स्ट्रॉन्ग रूम को सील कर दिया है.'
उन्होंने कहा, 'इसके बाद अधिकृत व्यक्ति खजाने के आंतरिक कक्ष में दाखिल हुए. वहां तीन ताले थे. जिला प्रशासन के पास उपलब्ध चाबी से कोई भी ताला नहीं खोला जा सकता था. इसलिए एसओपी के अनुसार, हमने मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीन ताले तोड़ दिए और फिर हम आंतरिक कक्ष में दाखिल हुए. हमने अलमारियों और संदूकों में रखे कीमती सामान का निरीक्षण किया.' पाधी ने कहा कि समिति ने कीमती सामान को आंतरिक कक्ष से तुरंत स्थानांतरित नहीं करने का फैसला किया है.
न्यायमूर्ति रथ ने कहा, 'बाहरी कक्ष से आभूषणों को स्थानांतरित करने के बाद अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम को बंद कर दिया गया है और चाबियां तीन अधिकृत व्यक्तियों को दे दी गई हैं क्योंकि दैनिक उपयोग के आभूषण भी वहां हैं.' उन्होंने कहा कि आंतरिक कक्ष के दरवाजों को सुरक्षित करने के लिए नए तालों का इस्तेमाल किया गया और चाबियां पुरी के कलेक्टर को सौंप दी गईं. उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई.