वीरभद्र सिंह के खिलाफ CBI की याचिका पर सुनवाई से जस्टिस एएम सप्रे ने खुद को अलग किया
Advertisement

वीरभद्र सिंह के खिलाफ CBI की याचिका पर सुनवाई से जस्टिस एएम सप्रे ने खुद को अलग किया

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एएम सप्रे ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.

अब नई बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एएम सप्रे ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. अब नई बेंच मामले की सुनवाई करेगी.

दरअसल, सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के एक भाग को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई कीयाचिका पर वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और हिमाचल प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. आपको बता दें कि जांच एजेंसी ने हाईकोर्ट के आदेश के उस अंश को हटाने की मांग की जिसमें कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश के किसी भाग में जांच करने के लिए दिल्ली पुलिसस्पेशल एक्ट (डीपीएसई) की धारा छह के तहत राज्य सरकार की सहमति लेनी होगी.हाई कोर्ट ने 31 मार्च, 2017 को यह आदेश दिया था.

सीबीआई ने हाईकोर्ट की टिप्पणी का विरोध करते हुए कहा था कि उसने ऐसा कहने से पहले यह ध्यान नहीं दिया कि इस मामले में एफआइआर दिल्ली में दर्ज हुई थी. यह मामला उस समय का है जब वीरभद्र सिंह केंद्र सरकार में मंत्री हुआ करते थे. सीबीआई का यह भी कहना है कि हाईकोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर ऐसी टिप्पणी की है, क्योंकि उसके सामने यह विचार का मुद्दा ही नहीं था. 

सीबीआई का कहना है कि इस अंश के बने रहने से उसे भविष्य में मामले की निष्पक्ष और बेरोकटोक जांच करने में बाधा आ सकती है, यहां तक कि अभी तक के मामले में भी असर पड़ सकता है. सीबीआई का यह भी कहना है कि जब कोई व्यक्ति केंद्र सरकार की नौकरी में रहते हुए अपराध करता है, तो उस मामले की जांच के लिए किसी राज्य से अनुमति की जरूरत नहीं होती.

क्या है पूरा मामला
वीरभद्र सिंह के खिलाफ 10,30,47,947 रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने का है. वीरभद्र और उनकी पत्नी ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामला निरस्त करने की मांग की थी. हाई कोर्ट ने 31 मार्च, 2017 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी.उसी समय कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि सीबीआइ को हिमाचल में जांच करने के लिए राज्य सरकार की सहमति लेनी चाहिए. वैसे इस मामले में वीरभद्र व अन्य के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल हो चुका है.

Trending news