Kidney Transplant Racket: साल 2004 में आई फिल्म 'रन' में जिस तरह विजय राज की धोखे से किडनी निकाल ली जाती है, ठीक उसी तरह नौकरी का झांसा देकर 3 बांग्लादेशी नागरिकों की किडनी निकालने का मामला सामने आया है.
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विजय राज और अभिषेक बच्चन की फिल्म 'रन' आपको याद है, जोसाल 2004 में आई थी. फिल्म में विजय राज नौकरी की तलाश में अपने दोस्त के पास दिल्ली आते है, लेकिन किडनी ट्रांसप्लांट गैंग के चंगुल में फंस जाता हैं और गिरोह उनकी किडनी निकाल लेता है. ऐसा ही मामला सामने आया है. कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा हाल ही में दायर की गई चार्जशीट में एक ऐसे गिरोह द्वारा रची गई साजिश का खुलासा हुआ है, जो बेहतर जीवन की तलाश में हताश लोगों को अपना शिकार बनाते थे. गैंग के लोग युवाओं को नौकरी देने के नाम पर फंसाते थे और फिर कभी ना मिटन वाले निशान और भयावह भविष्य के साथ छोड़ देते थे.
किडनी तस्करी के शिकार 3 बांग्लादेशियों की कहानी
तीन बांग्लादेशी नागरिकों (पहचान गुप्त रखी गई) ने भारत में सक्रिय किडनी तस्करी गिरोह के शिकार होने के भयावह अनुभवों का खुलासा किया है. दंड प्रक्रिया संहिता (IPC) की धारा 164 के तहत दर्ज उनकी गवाही एक भयावह योजना का पर्दाफाश करती है, जिसमें इन लोगों को रोजगार का वादा करके भारत लाया गया था, लेकिन मेडिकल जांच के नाम पर उनकी किडनी निकाल ली गई. बेहोश और असहाय अवस्था में 48 घंटे बाद उन्हें होश आया और उन्हें पता चला कि उनकी किडनी निकाल ली गई है. मुआवजे के तौर पर उनके बैंक खातों में 4 लाख टका (बांग्लादेशी रुपया) की मामूली रकम जमा की गई है.
एक बांग्लादेशी की दर्दनाक कहानी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के रहने वाले 30 साल के टीआई (बदला नाम) को उस दिन तस्करों के चंगुल से पुलिस द्वारा बचाए जाने के बाद यह समझ में नहीं आ रहा था कि इस साल ईद मनाए या नहीं. वह पहले ही अपनी किडनी खो चुका था. बांग्लादेश में अपनी मां, बहन और पत्नी के साथ रहने वाले टीआई को एक परिचित ने भारत में रोजगार की तलाश करने की सलाह दी थी.
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उसने कहा, 'जब आग लगने के बाद मेरे कपड़े का बिजनेस नष्ट हो गया तो मैंने एक एनजीओ से 8 लाख टका का लोन लिया. मैंने 3 लाख टका चुका दिए, लेकिन बाकी लोन ने वित्तीय संकट पैदा कर दिया. एक दोस्त ने सुझाव दिया कि मैं भारत जाऊं, जहां नौकरी के ज्यादा अवसर हैं. इसके लिए मुझे अपना पासपोर्ट और मेडिकल वीजा का प्रबंध करना था. 1 जून को भारत पहुंचने पर मुझे बताया गया कि यहां कोई नौकरी नहीं है. लेकिन, उन लोगों ने मुझ पर पैसे के लिए किडनी दान करने का दबाव डाला. मैंने मना कर दिया, लेकिन उन्होंने मेरा पासपोर्ट और वीजा रोक लिया और धमकी दी कि अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो वे मुझे भारत से जाने से रोक देंगे.'
दूसरे बांग्लादेशी की दर्दनाक कहानी
35 साल के एसएस (बदला नाम) को बांग्लादेश में तस्कीन नामक व्यक्ति ने नौकरी का भरोसा दिलाया था. उन्हें 2 फरवरी को भारत लाया गया. एयरपोर्ट पर रसेल और मोहम्मद रोकोन नाम के दो लोग इंतजार कर रहे थे. एसएस ने बताया,'एयरपोर्ट पहुंचने के बाद मैं उनके साथ जसोला के होटल रामपाल गया. मुझे अस्पताल में नौकरी का वादा किया गया और कहा गया कि मुझे भारतीय नियमों के अनुसार मेडिकल टेस्ट करानी होगी. मैंने ब्लड टेस्ट और ईसीजी सहित 15-20 टेस्ट करवाए. 2 अप्रैल को मुझे अस्पताल ले जाया गया, जहां एक नर्स ने मुझे तरल पदार्थ दिया और मैं बेहोश हो गया.'
एसएस ने आगे बताया, '3 अप्रैल को मुझे एक इंजेक्शन दिया गया और मैं बेहोश हो गया. 5 अप्रैल को होश में आने पर मैंने अपने पेट पर एक जख्म और टांके के निशान देखे. मुझे बताया गया कि मेरी सर्जरी हो चुकी है. 6 अप्रैल को रसेल और उसके सहयोगी सुमन ने मुझे जसोला के होटल में भेज दिया. रसेल ने मेरे बैंक खाते का विवरण लिया और उसमें 4 लाख टका जमा कर दिए, लेकिन मेरा पासपोर्ट जब्त कर लिया. इस बीच मेरा वीजा समाप्त हो गया और रसेल ने मुझे बताया कि मैं अब नौकरी पर नहीं कर पाऊंगा और मुझे बांग्लादेश लौटने का निर्देश दिया.'
तीसरे बांग्लादेशी की दर्दनाक कहानी
तीसरे बांग्लादेशी एस (बदला नाम) के साथ भी इसी तरह की घटना हुई. फेसबुक पर एरोनो नाम के एक व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया, जिसने उन्हें ट्रेनिंग के दौरान स्टाइपेंड के साथ भारत में नौकरी दिलाने का वादा किया. उन्हें मेडिकल टेस्ट से गुजरने के लिए कहा गया और छह दिनों में उनके शरीर से 49 ट्यूब खून निकाला गया. एस ने कहा, 'मुझे कुछ ऐसा दिया गया, जिससे मुझे कमजोरी महसूस हुई और मैं बेहोश हो गया. जब मैं उठा तो पाया कि मेरी किडनी गायब है. मुझे बताया गया कि मैं एक किडनी के साथ बिना किसी समस्या के रह सकता हूं. मुझे 4.5 लाख टका दिए गए.' तीनों अपनी भयावह कहानियों के साथ बांग्लादेश लौट गए हैं. पुलिस ने मामले में आरोपपत्र दाखिल कर दिया है और मुकदमा शुरू होने वाला है.
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