कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब कुछ ऐसी है मध्य प्रदेश विधानसभा की स्थिति, यहां समझें पूरा गणित
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कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब कुछ ऐसी है मध्य प्रदेश विधानसभा की स्थिति, यहां समझें पूरा गणित

ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद प्रदेश कांग्रेस के 22 विधायकों ने कांग्रेस से बागी होकर अपने त्यागपत्र दे दिए थे. इसके बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी.

फाइल फोटो

भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया. बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा (BJP) में शामिल होने के बाद प्रदेश कांग्रेस के 22 विधायकों ने कांग्रेस से बागी होकर अपने त्यागपत्र दे दिए थे. इसके बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ (Kamalnath) की सरकार अल्पमत में आ गई थी. मप्र असेंबली में 230 विधायकों की कुल संख्या में 2 विधायकों की आकस्मिक मृत्यु हो चुकी है और इनकी सीटों पर उपचुनाव होने हैं. 

  1. मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या है- 230
  2. बीते 2 मार्च को शुरू हुआ था सियासी ड्रामा
  3. मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी

इस तरह मध्य प्रदेश विधानसभा में अब 206 विधायक ही बचे हैं. यानी बहुतम का आकंड़ा 104 है. भाजपा के पास 106 विधायक हैं, यानी बहुमत के आंकड़े से 3 ज्यादा. कांग्रेस के पास अपने 92 विधायक हैं.

असेंबली की स्थिति
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या है- 230
इनमें से 2 विधायकों के आकस्मिक निधन से संख्या है- 228
कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद संख्या है- 206
इस तरह विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा बैठता है- 104

मौजूदा आंकड़े
भाजपा - 106 विधायक, बहुमत के आंकड़े से 2 ज्यादा.
कांग्रेस - 92  विधायक, 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद.
सपा, बसपा, निर्दलीय-  07 विधायक (सपा- 2, बसपा-1, निर्दलीय- 4)

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बीते 2 मार्च को शुरू हुआ था सियासी ड्रामा
मध्य प्रदेश में बीते 2 मार्च से कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छाए थे. सबसे पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने 2 मार्च को ट्वीट कर भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था. इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा नेताओं शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा और अरविंद भदौरिया पर कमलनाथ सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था. लेकिन असली खेल तब शुरू हुआ था, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस पार्टी से बगावत कर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. 11 मार्च को सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा और उनके नक्शेकदम पर चलते हुए कांग्रेस में इस्तीफे का दौर शुरू हो गया.

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