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हितेश शर्मा/दुर्ग: सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के गृह जिले दुर्ग में शिक्षा व्यवस्था (Education System) का हाल बेहाल है. पिछले एक साल से लगातार कोरोना (Corona) संक्रमण के कारण पूरे देश के साथ छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में भी लॉक डाउन लगा हुआ था, जिससे सभी क्षेत्रों में जमकर नुकसान हुआ है. इसी कड़ी मे निजी स्कूलों में भी जमकर नुकसान हुआ है. इस दौरान कई प्राइवेट स्कूलों पर ताला (School Closed) लग गया है.
स्कूलों में तालाबंदी
एक तरफ जहां पालक फीस नहीं दे पा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ नए एडमिशन नहीं होने की वजह से जिले में कुल 63 स्कूलों में तालाबंदी हो गई. विश्व व्यापी महामारी कोरोना संक्रमण के कारण सूबे के सबसे वीवीआईपी जिला कहलाने वाले दुर्ग में स्कूल संचालको ने स्कूल चलाने में असमर्थता जताई है. जिले के कुल 63 स्कूलों के संचालकों ने मान्यता खत्म करने के लिए आवेदन दिया है. इनमें प्रायमरी और मिडिल स्कूल शामिल है.
संचालकों का मान्यता खत्म करने का आवेदन
संचालकों के आवेदन के बाद शिक्षा विभाग ने उन स्कूलों की मान्यता को ख़त्म करने की कार्रवाई शुरू कर दी है. शिक्षा विभाग के मुताबिक सबसे ज्यादा स्कूल सत्र 2019-20 और 2020-21 में बंद हुए. लॉकडाउन के कारण कई पालकों की नौकरी छूट गई और स्कूलों की फीस भरनी बंद कर दी गई, जिसके बाद स्कूलों में तालाबंदी की नौबत आ गई इस स्कूल बंदी के कारण अब सबसे ज्यादा मुसीबत में आरटीई (शिक्षा का अधिकार) में पढ़ने वाले बच्चे हैं. हालांकि विभाग ने इन बच्चों को आसपास के स्कूलों में शिफ्ट करने की तैयारी कर ली है.
जिला शिक्षा विभाग का बयान
मामले पर कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे का कहना है कि दुर्ग जिले में 63 प्राइवेट स्कूलों को बंद करने का आवेदन जिला शिक्षा विभाग को आया है. सभी स्कूल संचालकों को बैठक में बुलाकर विचार किया जाएगा. जो संचालक स्कूल चलाने में असमर्थ है, उस स्कूल के बच्चों को दूसरे स्कूल में शिफ्ट किया जाएगा. जिले में पहली बार इस तरह का मामला सामने आया है कि इतनी बड़ी तादाद में स्कूलों को बन्द करने के लिए संचालको ने आवेदन दिया हो.
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