कच्चे रास्ते पर दिया बच्चे को जन्म! 108 पर किया था कॉल, ड्राइवर बोला- सड़क खराब है, नहीं आ सकता
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कच्चे रास्ते पर दिया बच्चे को जन्म! 108 पर किया था कॉल, ड्राइवर बोला- सड़क खराब है, नहीं आ सकता

इस संरक्षित जनजाति को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रशासन की ओर से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

महिला ने खुले आसमान के नीचे बच्चे को जन्म दिया

सूरजपुरः छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं और प्रशासन की लापरवाही दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है. इसका खामियाजा अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति को भी भुगतना पड़ रहा है. यहां गुरुवार को एक पंडो गर्भवति महिला को खुले आसमान के नीचे अपने बच्चे को जन्म देना पड़ा. राहत की बात रही कि मां और बच्चे की हालात अब खतरे से बाहर है, लेकिन इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की लापरवाही की बात सामने आ रही है. 

बताया जा रहा है कि महिला को पेट में दर्द उठते ही परिजनों ने एंबुलेंस को फोन किया. लेकिन एंबुलेंस ड्राइवर ने ये कहकर मना कर दिया कि गांव तक जाने का रोड खराब है और वह नहीं आ पाएगा. पूरे मामले के बाद स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि लापरवाही जरूरी हुई है, लेकिन रोड न बनने की वजह से. वहां सड़क होना चाहिए थी. 

'एंबुलेंस नहीं जा सकती गांव तक'
मामला जिले के उड़ती ब्लॉक से सामने आया, जहां सविता पंडो को प्रसव पीड़ा हुई. परिजनों ने 108 एंबुलेंस को फोन कर बुलाया, लेकिन चालक ने यह कहकर मना कर दिया कि एंबुलेंस वहां तक नहीं जा सकती है. परजिनों ने महिला को खटिया पर बैठाया और उसे अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही उसे तेज प्रसव पीड़ा होने लगी. 

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बच्चा और मां खतरे से बाहर
महिला की प्रसव पीड़ा देख मजबूरन खुले आसमान के नीचे स्थानीय महिलाओं ने उसका प्रसव करवाया. राहत की बात रही कि मां और बच्चा दोनों ही अब खतरे से बाहर और सुरक्षित हैं. जन्म के बाद सभी अपने घर की ओर लौट गए, वहीं पूरी घटना के बाद स्थानीय नेता ने भी सरकार से सड़क बनवाने की मांग की है. 

स्वास्थ्य विभाग ने रोड को बताया जिम्मेदार
पूरे मामले पर जब सूरजपुर CMHO डॉ आर एस सिंह से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि इन स्थितियों में मां और बच्चे दोनों की ही जान को खतरा था. लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से इंकार किया, उन्होंने प्रशासन और खराब रोड को इस लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया. वहीं जिले में सुविधाओं के अभाव में पंडो जनजाति के कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं, इस पर उन्होंने कहा कि जनजाति के उत्थान के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. 

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नहीं लिया जा रहा एक्शन
इस तरह की बड़ी घटना के बाद अक्सर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है, लेकिन इस मामले में अब तक कोई एक्शन होता नजर नहीं आ रहा है. लेकिन इस संरक्षित जनजाति को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रशासन की ओर से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

राष्ट्रपति की दत्तक पुत्र है जनजाति
पंडो जनजाति राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाते हैं, इन्हें सरंक्षित कर रखा जाता है. स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव वे पिछले कई दशकों से झेल रहे हैं, विभाग की लापरवाही के चलते हर साल जनजाति के कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं. जनजाति दूरदराज के इलाकों में रहना पसंद करते हैं और ज्यादातर वनों पर ही निर्भर रहते हैं. सूरजपूर में जनजाति बड़ी संख्या पाई जाती है. हर साल दूषित पानी जैसी कई मूलभूत सुविधाओं के अभाव में दर्जनों लोग अपनी जान गंवा देते हैं, लेकिन प्रशासन का ध्यान फिर भी उनकी ओर नहीं जा रहा है.

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