विंध्य के आखिरी कम्युनिस्ट कहे जाते हैं गिरीश गौतम, जानिए कैसा रहा उनका सियासी सफर
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विंध्य के आखिरी कम्युनिस्ट कहे जाते हैं गिरीश गौतम, जानिए कैसा रहा उनका सियासी सफर

अपने जीवन के पहले दो चुनाव सीपीआई से लड़ने वाले गिरीश गौतम विंध्य क्षेत्र में कम्युनिस्ट विचारधारा के आखिरी नेता माने जाते हैं. लेकिन बीते 18 वर्षों से वह भाजपाई हैं.

गिरीश गौतम होंगे मध्य प्रदेश विधानसभा के नए अध्यक्ष. (File Photo)

भोपाल: रीवा के देवतालाब विधानसभा से भाजपा विधायक गिरीश गौतम ने मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर दिया है. सोमवार यानी 22 फरवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र के पहले दिन उनका नि​र्विरोध स्पीकर चुना जाना तय है. गिरीश गौतम के नामांकन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, वरिष्ठ विधायक रामपाल सिंह समेत कई भाजपा नेता मौजूद रहे.

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आपको बता दें कि शिवराज कैबिनेट में विंध्य क्षेत्र से आने वाले किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया था. इससे क्षेत्र के नेता असंतुष्ट थे. लंबे समय से विंध्य को सरकार में नेतृत्व देने की मांग उठ रही थी. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में भाजपा को सर्वाधिक सीटें मिली थीं. अब गिरीश गौतम को स्पीकर बनाकर भाजपा ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है. 

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विधानसभा सचिवालय में प्रमुख सचिव एपी सिंह के सामने देवतालाब विधायक ने स्पीकर पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गिरीश गौतम के नामांकन पर कहा, ''पूरा विश्वास है कि वह अपनी कर्मठता, निष्पक्षता के साथ सबको साथ लेकर चलेंगे. संसदीय ज्ञान की जानकारी के अनुसार विधानसभा की परंपरा का निर्वहन करेंगे. 

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छात्र राजनीति से शुरू किया सियासी सफर
गिरीश गौतम ने अपनी​ सियासी पारी 1977 में छात्र राजनीति शुरू की. वह 2003 से 2018 तक लगातार चौथी बार दो अलग-अलग सीटों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. उन्होंने 1993 व 98 सीपीआई (Communist Party of India) से विधानसभा का चुनाव लड़ा. तब गिरीश गौतम को कांग्रेस पार्टी के दिग्गज व विंध्य के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी से शिकस्त का सामना करना पड़ा था.

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विंध्य क्षेत्र के आखिरी कम्युनिस्ट कहे जाते हैं
वर्ष 2003 में भाजपा के टिकट पर मनगवां विधानसभा से गिरीश गौतम चुनाव लड़े और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को शिकस्त दी. साल 2008 में मनगवां विधानसभा सीट आरक्षित होने पर भाजपा ने गौतम को पड़ोसी सीट देवतलाब भेजा, जहां से वह 2008, 2013 व 2018 में लगातार जीत दर्ज विधानसभा पहुंचते रहे. अपने जीवन के पहले दो चुनाव सीपीआई से लड़ने वाले गिरीश गौतम विंध्य क्षेत्र में कम्युनिस्ट विचारधारा के आखिरी नेता माने जाते हैं. लेकिन बीते 18 वर्षों से वह भाजपाई हैं.

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गौतम को 18 वर्ष बाद मिला कोई बड़ा पद
गिरीश गौतम विंध्य क्षेत्र में अपने सरल एवं सहज स्वभाव के लिए पहचाने जाते हैं. वह किसी भी समय आम जनता से मुलाकात करने में गुरेज नहीं करते हैं. साल 2003 में जब उन्होंने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को शिकस्त दी थी उसके बाद से ही उन्हें मंत्री बनाए जाने की कयासबाजी चलती रही. लेकिन विंध्य से राजेंद्र शुक्ला को मंत्री पद से नवाजा गया और वह लगातार 13 वर्षों तक शिवराज कैबिनेट में बने रहे. गौतम को 18 वर्ष बाद किसी बड़े पद से नवाजा गया है. 

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