28 सीटों का Analysis: गृहमंत्री के बाद इमरती देवी बनीं तीन बार विधायक पर डबरा रहा बेहाल...
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28 सीटों का Analysis: गृहमंत्री के बाद इमरती देवी बनीं तीन बार विधायक पर डबरा रहा बेहाल...

मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव होना है. जिसमें सबसे ज्यादा 16 सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की है. डबरा विधानसभा सीट भी ग्वालियर जिले में ही आती है. 

मध्य प्रदेश उपचुनाव 2020-डबरा सीट
भोपाल: मध्यप्रदेश में उपचुनाव का ऐलान हो गया है. राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है. ग्वालियर चंबल इलाके में सबसे ज्यादा 16 सीट हैं इन पर सभी की नजर है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इन उपचुनावों में स्थानीय मुद्दे, जातियां, लॉयल वोटर्स, नेताओं की पकड़ सभी की परीक्षा होगी. हम आपको इन्हीं बिंदुओं के आधार पर एक-एक सीट का हाल बता रहे है. आज की सीट है डबरा सीट
 
पूर्व विधायक इमरती देवी सुमन (बीजेपी)
विधानसभा सीट नें 19 डबरा जिला ग्वालियर (अनुसूचित जाति आरक्षित)
जनसंख्या 3,24,596
मतदाता 2,18,131
महिला मतदाता 1,01,288
पुरुष मतदाता 1,16,836

 

  1. मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव होना है 
  2. 3 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होगा
  3. 10 नवंबर को सभी 28 सीटों के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे
ग्वालियर जिले में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित डबरा विधानसभा सीट कभी बीजेपी के अजेय किले के रूप में जानी जाती थी. यहां से प्रदेश के वर्तमान गृह मंत्री नरोत्म मिश्रा तीन बार चुनाव जीत कर विधायक रह चुके है. लेकिन आरक्षित होने के बाद से यहां इमरती देवी कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़कर लगातार तीन बार विधायक बनीं थी. लेकिन उन्होंने इसी साल मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव में कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है. 
 
उपचुनाव की पूरी जानकारी लिए यहां क्लिक करेंः- MP Byelection Date: उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे मध्य प्रदेश का भविष्य?
 
इस उपचुनाव में इमरती देवी बीजेपी की ओर से मैदान में खड़ी है, तो वहीं कांग्रेस ने उनके ही समधी सुरेश राजे को मैदान में उतारा है. सुरेश राजे ने 2018 में इमरती देवी के कहने पर ही बीजेपी से कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी. और अब वे कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं. तो वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने संतोष गौड़ को मैदान में उतारा है.
 
राजनीतिक दल उम्मीदवार
बीजेपी इमरती देवी सुमन
कांग्रेस सुरेश राजे
बसपा संतोष गौड़

 

2018 विधानसभा चुनाव से पहले हुए दलित आंदोलन के बाद डबरा की जनता ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया था. जिसका असर ये हुआ कि इस क्षेत्र के ज्यादातर वोटर कांग्रेस की ओर चले गए, जिस वजह से पिछले चुनाव में इमरती देवी ने यहां 50 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी. और इस बार इमरती देवी बीजेपी की ओर से चुनाव लड़ रही है. 
 
 
जातिगत समीकरण 
प्रमुख जातियां- (दलित, ओबीसी, ब्राह्मण, वैश्य)
हरिजन- दलित, अनुसूचित जाति 
ओबीसी - रावत, कुशवाह और साहू
सवर्ण - ब्राह्मण, क्षत्रिय, सिंधी 
अन्य - वैश्य और मुस्लिम
 
हरिजन, ब्राह्मण का वर्चस्व
डबरा विधानसभा क्षेत्र में हरिजन, दलित के अनुसूचित जाति के वोटर 60 हजार से ज्यादा होते हैं. 
 
ओबीसी वोटर सबसे ज्यादा
डबरा में ओबीसी में रावत और कुशवाह समाज के 75 हजार से ज्यादा मतदाता है. तो वहीं क्षेत्र में साहू समाज के वोटर्स की भी अच्छी पकड़ रहती है. जो चुनाव में निर्णायक होते है. 
 
 
ब्राह्मण और अन्य की आबादी कम
क्षेत्र में ब्राह्मण की आबादी 20 हजार, तो क्षत्रिय और सिंधी समाज के 10 हजार से ज्यादा वोटर है. तो वहीं वैश्य समाज के 30 हजार और मुस्लिम समाज के भी 8000 मतदाता है. 
 
मुद्दे और समस्याएं-
रेत खननः सिंध नदी से रेत का अवैध उत्खनन और बिलौआ में काला पत्थर(गिट्टी) का अवैध उत्खनन
 
स्वास्थ्यः डबरा अस्पताल में डॉक्टर और सुविधाओं की कमी से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. छोटे से इलाज के लिए भी क्षेत्रवासियों को ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल जाना पड़ता है. 
 
 
शिक्षाः विधानसभा क्षेत्र में तीन बार नरोत्तम मिश्रा तो इतनी ही इमरती देवी विधायक रही है. लेकिन क्षेत्र में इसके बावजूद भी एक-एक ही गर्ल्स और बॉयज कॉलेज है. जिस वजह से उन्हें पढ़ाई के लिए दूसरे शहरों में जाना पड़ता है. 
 
अधूरी सड़केंः क्षेत्र में दस साल से भी ज्यादा समय से हाइवे का काम अधूरा पड़ा हुआ है. और अब जाकर काम तो फिर से शुरू हुआ है, लेकिन बेहद धीमी रफ्तार से काम चल रहा है. 
 
बेरोजगारीः रोजगार के साधन नहीं होने से युवाओं को क्षेत्र से पलायन कर दूसरे स्थान पर जाना पड़ता है. जिससे उन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 
 
 
चावल मील घोटालाः डबरा विधानसभा में कभी 300 चावल की मिलें हुआ करती है. जो अब घटकर 15 से 20 हो चुकी है. जो प्रशासन की लाचारी को दर्शाता है कि क्षेत्र में विकास कार्य तो हुए, लेकिन उन कार्यों की देखभाल नहीं की जा सकी.
 
शुगर मीलः डबरा में कभी शक्कर के शुगर मिल भी हुआ करती थी. जिसमें किसानों का लाखों रुपये बकाया है, लेकिन किसी कारण से मिल अब बंद हो चुकी है. 
 
बिकाऊ  V/S टिकाऊः डबरा में इस वक्त लोगों की जुबान पर बिकाऊ और टिकाऊ का नारा चढ़ा हुआ है. हालांकि बीजेपी उम्मीदवार इमरती देवी तो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई ही है. कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश राजे ने भी भाजपा छोड़कर ही कांग्रेस का दामन थामा है. 
 
 
इस सीट पर कांग्रेस-बीजेपी की चुनौती व ताकत
 
कांग्रेस की ताकत: इस क्षेत्र में कांग्रेस का वोट बैंक काफी मजबूत है. इसी कारण हमेशा इमरती देवी जीतती रही है.
कांग्रेस की चुनौती: कांग्रेस में स्ठानीय नेता को टिकट न देकर बाहरी को दिया है जिससे और नाराजगी है.  
 
 
बीजेपी की ताकत: क्षेत्र में पार्टी का मजबूत कनेक्शन है. सिंधिया राजघराने के को लेकर लोगों का नजरिया अलग उनपर भरोसा. 
बीजेपी की चुनौती: जमीन से जुडें पार्टी कार्यकर्ता की भारी नाराजगी. कांग्रेस से आए लोगों का तालमेल ना बैठा पाना चुनौती.
 
किसान- ग्वालियर जिले में सबसे ज्याद धान की खेती डबरा में ही की जाती है. इस वक्त धान की आवक तो शुरू हो गई है, लेकिन प्रदेश सरकार धान की खरीदी नहीं कर रही है. जिस वजह से उन्हें मजबूरन व्यापारियों को धान बेचना पड़ना रहा है. जिससे उन्हें धान का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. 
 
 
इस वक्त फसलों के दाम बढ़ चुके है, और फसलों को समय से पानी भी नहीं मिल रहा है. जिससे यहां के किसानों को अब खेती में फायदा नहीं नुकसान नजर आ रहा है.
 
ठगा महसूस कर रहे वोटर
यहां के लोगों का कहना है कि इमरती देवी को उन्होंने डबरा का विधायक बनाया और उन्होंने बीजेपी की सदस्यता लेने से पहले जनता से एक बार भी नहीं पूछा. जनता ने कहा इमरती देवी ने जनता की भलाई के लिए नहीं बल्कि अपने नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर पार्टी बदली है. इससे डबरा के लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. 
 
नहीं हुआ क्षेत्र का विकास
डबरा सीट पर कभी वर्तमान गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी विधायक रह चुके है. और अब इमरती देवी भी तीन बार विधायक बनीं थी. लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में अभी बिजली पानी जैसी मूलभूत जरूरतों का ही विकास नहीं हो पाया है. यहां तक ग्रामीणों को छोटी से छोटी सरकार की सुविधाओं का लाभ लेने के लिए अधिकारियों और विधायकों के चक्कर लगाना पड़ता है.
 
 
क्या बोले प्रत्याशी?
अस्पताल, शिक्षा और किसानों के लिए करेंगी काम
महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी का कहना है कि जनता का भरोसा उनपर अब भी बना हुआ है. उनका प्रमुख उद्देश्य अस्पताल व्यवस्था का स्तर बढ़ाना, शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना और किसानों की सिंचाई का रकबा (खेती की जमीन) बढ़ाना है.
                           - इमरती देवी सुमन, बीजेपी प्रत्याशी        
 
इमरती देवी ने 13 साल में नहीं किया कोई काम
कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे का कहना है कि जनता इमरती देवी से नाराज है. और जनता दल बदलने का फल इमरती देवी को उप चुनाव में जरूर देगी. इमरती देवी ने 13 साल में कोई विकास कार्य नहीं किया. जिसका आरोप वो हर कमलनाथ जी पर ही लगा रही हैं. अंचल का सर्वांगीण विकास उनकी प्राथमिकता है. 
                           - सुरेश राजे, कांग्रेस प्रत्याशी     
 
 
पिछले चुनावों में क्या रहे हैं नतीजे?
 
विधानसभा चुनाव 2018
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 1,49,727 मतदाताओं ने 68.12 प्रतिशत मतदान किया था. तब कांग्रेस की इमरती देवी ने 60.61 प्रतिशत वोट हासिल कर बीजेपी के कप्तान सिंह को हराया था. जिन्हें 22.18 प्रतिशत वोट मिले थे. दोनों के बीच जीत का अंतर 57,446 वोटों का था. तब बसपा के प्रताप सिंह मंडेलिया तीसरे स्थान पर रहे थे. 
 
 
विधानसभा चुनाव 2013
2013 विधानसभा चुनाव में 1,28,407 मतदाताओं ने 65.15 प्रतिशत मतदान किया था. तब इमरती देवी ने कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़कर 52.77 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. और  भाजपा के सुरेश राजे को हराया था, जिन्हें चुनाव में 26.85 प्रतिशत वोट मिले थे. दोनों के बीच जीत का अंतर 33,288 वोटों का रहा था. बसपा इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी.
 
विधानसभा चुनाव 2008
2008 विधानसभा चुनाव में 90843 वोटर्स ने 59.87 प्रतिशत मतदान किया था. कांग्रेस की इमरती देवी ने 32.07 प्रतिशत वोट हासिल कर बसपा के हरगोविंद जोहरी को हराया था. तब भाजपा के डॉ. कमलापत आर्य तीसरे स्थान पर रहे थे. 

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