पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अनुपूरक बजट को लेकर सरकार पर बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बजट की 80 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार की तरफ से दी जा रही है. लेकिन फिर भी सरकार का वित्तीय घाटा 5.4 फीसदी हो गया है.
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रायपुरः छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार द्वारा पेश किए गए अनुपूरक बजट पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में राज्य के राजस्व में 19 फीसदी की गिरावट आई है. अनुपूरक बजट की 80 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार के तरफ से मिलेगी. लेकिन यह सरकार गरीबों को कोई भला नहीं कर रही. कोविड-19 को लेकर सरकार की तरफ से गंभीर प्रयास किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक तरफ जहां मध्यप्रदेश-गुजरात जैसे राज्यों में कोविड के मरीजों का का शत प्रतिशत खर्च सरकारों ने उठाया. लेकिन दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हुआ. प्रदेश के गरीबों को बड़ा नुकसान हुआ है.
गरीबों के हित में काम नहीं कर रही सरकार
रमन सिंह ने कहा कि सरकार 24 सौ करोड़ का जो अनुपूरक बजट लेकर आई है, इसमें से 19 सौ करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार की तरफ से मिलेगी. ये सरकार केवल गरीबों का नारा लगाती है लेकिन काम कुछ नहीं हो रहा. रमन सिंह ने कहा कि जब हमने सरकार संभाली थी तब 8000 करोड़ का कर्ज हमारे हिस्से आया था, पिछले 15 सालों की सरकार के बाद कर्ज 33 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचा था. लेकिन इस सरकार ने महज दो सालों में ही 26000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. वर्तमान में सरकार का वित्तीय घाटा 5.4 फीसदी हो गया है. उन्होंने कहा कि महा लेखाकार की रिपोर्ट में बताया गया है कि पूंजीगत व्यय सिर्फ 3 हजार 7 सौ करोड़ हो गया है.
सरकार आय बढ़ाने में विफल हुई
पूर्व सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में अब तक 23000 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार को दिया है. पिछले वित्तीय वर्ष में केंद्र ने करीब 42000 करोड़ रुपए दिया था, यानी सरकार अपनी आय बढ़ाने में फिसड्डी साबित हुई, सरकार की वित्तीय स्थिति बिगड़ गई है. यह सरकार सिर्फ एक ही नारा लगाती है 'नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी', लेकिन बजट में इसके लिए कुछ नहीं किया है. इस अनुपूरक बजट में संगवारी योजना का कोई जिक्र तक नहीं किया गया है.
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छत्तीसगढ़ में बढ़ रही बेरोजगारी
रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 18 लाख 90 हजार पंजीकृत बेरोज़गार हैं, किसानों को 2 साल के बोनस का वादा किया गया था. किसान 11 हजार करोड़ रुपए का इंतज़ार कर रहे हैं, घोषणा पत्र में एक साथ बड़ी-बड़ी घोषणायें कर दी गयी. गीता-गंगा जल लेकर कसमें खाई, मुख्यमंत्री का एक ही बयान इसे समझने के लिए पर्याप्त है कि उन्होंने कहा था कि अगर राज्य में शराबबंदी कर देंगे तो लोग ड्रग्स के नशे की तरफ जाएंगे, जब घोषणा की थी तब इस बात का ख्याल नहीं आया था.
कोरोना पर नहीं किए गंभीर प्रयास
कोविड-19 को लेकर प्रदेश सरकार की तरफ से गंभीर प्रयास किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक तरफ जहां मध्यप्रदेश-गुजरात जैसे राज्यों में कोविड के मरीजों का का शत प्रतिशत खर्च सरकारों ने उठाया. लेकिन दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हुआ. जिससे छत्तीसगढ़ के लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के विकास के दावे तो कर रही है लेकिन इन दावों पर गंभीर नजर नहीं आ रही.
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