दुर्गा चारेल जल्द ही अपने संघर्षशील जिंदगी में अपनी हिम्मत और हौसले से अब विपरीत परिस्थितियों में भी न सिर्फ पति के सपने को सच कर दिखाएगी बल्कि देश का भी नाम रोशन करेगी.
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रतलाम/ चंद्रशेखर सोलंकी: पुलिस विभाग में कार्यरत दुर्गा चारेल आदिवासी बाहुल्य इलाके के पिछड़े क्षेत्र बाजना की रहने वाली है. बचपन से दुर्गा को खेल में रुचि थी और वह खेलों में आगे जाकर न सिर्फ अपना बल्कि देश का भी नाम रोशन करना चाहती है. गोला फेंक, डिस्क फेंक, व भाला फेंक जैसे खेलों में वह बचपन से ही अव्वल रही. इसी चुस्ती फुर्ती के कारण दुर्गा का पुलिस में चयन भी हो गया. शादी के बाद भी दुर्गा के पति शंकरलाल ने दुर्गा के खेल में बाधा नही आने दी. लेकिन फरवरी 2018 में जब दुर्गा नेशनल खेलने बंगलोर गयी थी इसी दौरान दुर्गा को पति के दुर्घटना में मौत की खबर मिली.
इसके बाद दुर्गा की जिंदगी में परेशानियों का पहाड़ खड़ा हो गया. दोनो बच्चों को पढ़ाना और पुलिस की नौकरी में दुर्गा को अपने लिए समय ही नही मिल पा रहा था लेकिन दुर्गा ने हिम्मत नही हारी. दुर्गा के पति शंकरलाल चाहते थे कि दुर्गा खेल में एक बार इंटरनेशनल जरूर खेले और दुर्गा ने पति के उसी सपने को सच कर दिखाने के लिए एक बार फिर हिम्मत जुटाई. दुर्गा हाल ही में आंध्रप्रदेश में नेशनल गेम्स में खेल कर आई और अब दुर्गा का चयन मलेशिया में होने जा रहे इंटरनेशनल खेल स्पर्धा में हो गया है.
दुर्गा चारेल जल्द ही अपने संघर्षशील जिंदगी में अपनी हिम्मत और हौसले से अब विपरीत परिस्थितियों में भी न सिर्फ पति के सपने को सच कर दिखाएगी बल्कि देश का भी नाम रोशन करेगी. हालांकि, दुर्गा चारेल को अपने पति की मौत को लेकर न्याय न मिलने का भी मलाल है. दरअसल, दुर्गा के पति शंकरलाल राजनीति से जुड़े हुए थे और दुर्गा को लगता है कि उनके पति की मौत राजनीतिक हत्या है जिसे दुर्घटना बताया गया है. दुर्गा ने अपने पति के मामले में ऊपर अधिकारियों तक जांच की गुहार लगाकर न्याय की मांग की लेकिन दुर्गा को न्याय नही मिला.
पुलिस विभाग भी दुर्गा को लेकर तारीफ करते नही थकता. दुर्गा के पुलिस विभाग में कार्य को लेकर भी पुलिस अधिकारी संतुष्ट है और दुर्गा को एक जिम्मेदार पुलिसकर्मी बताते हुए कहते है कि पुलिस की व्यस्ततम नौकरी में होते हुए परिवार को संभालते हुए खेलों में आगे बढ़ना दुर्गा की कठिन परिश्रम और विषम परिथिति में हिम्मत और हौसले की मिसाल है.