एक अमेरिकी पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. माइकल यीडन ने कहा है कि महामारी कोविड-19 के खात्मे के लिए किसी वैक्सीन की जरूरत नहीं है. उनके मुताबिक, ''महामारी को जड़ से मिटाने के लिए किसी वैक्सीन की आवश्यकता नहीं है. मैंने कभी भी वैक्सीन की मूर्खता वाली बातें नहीं सुनी है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस से बचाव के लिए जहां दुनिया में बेसब्री से वैक्सीन का इंतजार हो रहा है, वहीं अमेरिका की दिग्गज फार्माक्यूटिकल कंपनी फाइजर (Pfizer) के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट व चीफ साइंटिस्ट डॉ. माइकल यीडन (Dr Michael Yeadon) ने एक अजीबो-गरीब बयान दिया है. कोरोना वैक्सीन के रिसर्च को 'मूर्खता' बताते हुए उन्होंने कहा है कि इसकी आवश्यकता ही नहीं है. जबकि फाइजर (Pfizer) कंपनी ने खुद कोरोना वैक्सीन बनाने और इसके काफी इफेक्टिव होने का दावा किया. इन दिनों फाइजर अपने वैक्सीन को लेकर सुर्खियों में है.
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वैक्सीन की बातें 'नॉनसेंस'
एक अमेरिकी पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. माइकल यीडन ने कहा है कि महामारी कोविड-19 के खात्मे के लिए किसी वैक्सीन की जरूरत नहीं है. उनके मुताबिक, ''महामारी को जड़ से मिटाने के लिए किसी वैक्सीन की आवश्यकता नहीं है. मैंने कभी भी वैक्सीन की मूर्खता वाली बातें नहीं सुनी है. जिन लोगों पर बीमारी का खतरा नहीं है आप उन्हें वैक्सीन नहीं दें. आप यह भी प्लानिंग न करें कि लाखों स्वस्थ लोगों को वैक्सीन दी जाए." बता दें कि डॉ. माइकल यीडन ने 30 सालों से ज्यादा समय तक एलर्जी और सांस संबंधी बीमारियों पर शोध किया है.
ब्रिटेन की सरकारी एजेंसी SAGE की भी गलतियों का किया जिक्र
ब्रिटेन की सरकारी एजेंसी SAGE (Scientific Advisor Group for Emergencies) की आलोचना करते हुए डॉ. यीडन ने यह बयान दिया है. उन्होंने कहा, ''ब्रिटेन में पब्लिक लॉकडाउन को लागू करने और इसके तहत नियमों का निर्धारण करने के क्रम में SAGE की भूमिका अहम रही. लेकिन SAGE द्वारा महामारी को लेकर प्रकट की गई पूर्वधारणाओं में मौलिक त्रुटियों के कारण देश में लोग पिछले सात महीनों से परेशान और बेचैन हैं.''
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उन्होंने Scientific Advisor Group for Emergencies की आलोचना करते हुए कहा है, "आप उन लोगों को वैक्सीन नहीं दे सकते, जिन पर बीमारी का कोई खतरा नहीं है. वहीं आपने उस योजना के बारे में भी विस्तार से नहीं बताया है, जिसके तहत आप लाखों स्वस्थ लोगों काे ऐसी वैक्सीन लगाएंगे, जिसका मानव पर बड़े पैमाने पर परीक्षण नहीं किया गया है."
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