भोपाल की बरकतउल्लाह यूनिवर्सिटी से शिवराज सिंह ने गोल्ड मेडल के साथ फिलासॉफी में मास्टर्स की शिक्षा प्राप्त की. 1975 में स्कूली शिक्षा के दौरान पहली बार छात्रसंघ के अध्यक्ष बने. 1976-77 में इमरजेंसी का विरोध करने के लिए कई बार जेल भी गए.
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भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आज 62वां जन्मदिन है. जन्मदिन पर सीएम ने तो जनता के नाम पत्र लिखकर पौधारोपण का संदेश दे दिया. लेकिन उनके कुछ चाहने वालों ने भी उन्हें ढेरों शुभकामनाएं दीं. उन्हीं में से एक मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी हैं, उन्होंने CM शिवराज के लिए आत्मीय भावनाओं को व्यक्त करते हुए एक ब्लॉग लिखा. उन्होंने लिखा कि जिद, जज्बे और जुनून का नाम है शिवराज सिंह चौहान. यहां पढ़ें गृह मंत्री ने किस अंदाज में मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं दीं.
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"मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और चौथी बार इस शीर्ष पद को संभाल कर इतिहास रच चुके शिवराज सिंह चौहान का 5 मार्च को जन्मदिन है. अमूमन मैं इस तरह के अवसरों पर केवल शुभकामनाएं देने तक ही सीमित रहा हूं. लेकिन इस बार मन है भावनाएं व्यक्त करने का, इसलिए मैं यह लेख एक मंत्री के नाते नहीं शिवराज जी के साथ लगभग 37 साल से चल रहे एक सहयोगी मित्र के नाते लिख रहा हूं."
"एक सूत्र वाक्य है कि परिश्रम की पराकाष्ठा.. जो सुनने में भी कई जगह आ जाता है लेकिन सच यह है कि इस वाक्य को जीवन में उतारना बहुत ही विरले लोगों के वश में होता है. इन्हीं विरले लोगों में शामिल हैं शिवराज सिंह चौहान. इसके साथ ही जब किसी में समाज के अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर भी खुशियां लाने की जिद हो उनके लिए काम करने का जज्बा हो तो वह उस व्यक्ति को राजनीति में उस स्थान पर खड़ा कर देता है जहां आज तक बहुत कम ही लोग पहुंचे हैं."
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"5 मार्च, 1959 को सीहोर जिले के नर्मदा किनारे स्थित एक छोटे से गांव जैत में मध्यमवर्गीय परिवार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जन्म हुआ. माता-पिता के संस्कारों ने उन्हें सिखाया कि अपनी जड़ों से कभी जुदा मत होना. जीवन में कभी ऐसा कार्य नहीं करना कि लोग तुमसे घृणा करें. शायद यही सीख उन्होंने आत्मसात कर ली. यही कारण है कि समाज का कोई ऐसा वर्ग नहीं है जिसकी चिंता उन्होंने नहीं की हो. किसान पुत्र होने के कारण निश्चित ही उन्होंने किसानों का जीवन संवारने के लिए सबसे ज्यादा प्रयास किए लेकिन ऐसा नहीं है कि दूसरे वर्ग को उन्होंने कम प्राथमिकता दी. महिला और बेटियों के लिए तो उन्होंने सच में मामा बनकर ही काम किया. चाहे वह लाडली लक्ष्मी योजना हो या कन्यादान योजना या फिर बेटियों को शिक्षित करने की योजनाएं हों, उन्होंने हमेशा यही चाहा कि इस आधी आबादी को सम्मान और सुरक्षा कैसे दी जा सके."
"किसानों के लिए शिवराज जी ने क्या किया यह तो किसी से छिपा नहीं है. आज अगर प्रदेश में किसान खुशहाल है तो उसके पीछे कारण भी शिवराज जी हैं. कहने का अर्थ यह है कि शिवराज जी ने सभी वर्गों की चिंता तो की ही उनके लिए रात दिन जी जान से जुटे रहे और आज भी जुटे हैं. एक स्वभाव जो अमूमन सभी राजनीति करने वालों में होता है और वह है जनता से सीधा संबंध रखना और उनसे लगाव रखना. लेकिन शिवराज जी इस मामले में केवल दिल से सोचने वाले व्यक्तित्व हैं. उनके लिए प्रदेश और उसकी जनता मंदिर है और वह उनके पुजारी. वह यह सार्वजिनिक बोलते ही नहीं है बल्कि वह ऐसे नेता है जो इसे अपने चरित्र में भी उतार चुके हैं."
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"आम सभा में अगर इस देश ने किसी राजनेता को जनता के सामने घुटनों के बल बैठकर उनका अभिवादन करते देखा है तो वह शिवराज सिंह चौहान ही है. जनता से लगाव उन्हें जोखिम उठाने से भी पीछे नहीं हटने देता. पेटलावद की एक घटना याद आती है जब वहां विस्फोट से कई लोगों की जान चली गई थी, लोग बहुत गुस्से में थे और सड़कों पर उतर आए थे. किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वहां जाकर मामले को संभाले. तब मुख्यमंत्री खुद वहां पुहंचें और सुरक्षाकर्मियों के रोकने के बाद भी वह उग्र भीड़ में घुस गए और बीच सड़क पर उनके साथ बैठ गए. थोड़ी देर बाद ही भीड़ शांत हो गई. बाद में जब उनसे पूछा गया कि आप को डर नहीं लगा तो उनका एक ही जवाब था कि मेरी जनता से मुझे क्या डर यह सब मेरे ही है. ऐसे है हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान."
5 मार्च 1959 को बुधनी में हुआ था प्रदेश के 'मामा' का जन्म
मध्य प्रदेश के बुधनी में प्रेमसिंह चौहान और सुंदरबाई चौहान के यहां 5 मार्च 1959 को शिवराज सिंह का जन्म हुआ. भोपाल की बरकतउल्लाह यूनिवर्सिटी से उन्होंने गोल्ड मेडल के साथ फिलासॉफी में मास्टर्स की शिक्षा प्राप्त की. 1975 में स्कूली शिक्षा के दौरान पहली बार छात्रसंघ के अध्यक्ष बने. 1976-77 में इमरजेंसी का विरोध करने के लिए कई बार जेल भी गए.
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1992 में विवाह, 2005 में पहली बार बनें CM
1977 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक बनने के बाद साल 1992 में साधना सिंह के साथ उनका विवाह हुआ. उनके दो पुत्र कार्तिकेय सिंह और कुणाल सिंह हैं. बुधनी से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले शिवराज सिंह चौहान ने 29 नवंबर 2005 को पहली मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 2018 में कांग्रेस के कमलनाथ की सरकार आने के बाद मार्च 2020 को उन्होंने चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
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