सेना के हमारे जवानों को ठंड की वजह से कोई दिक्कत न हो इसके लिए सोनम वांगचुक ने एक खास तरह का मिलिट्री टेंट तैयार किया है.
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नई दिल्ली: भारतीय जवानों के पराक्रम के आगे चीन की सेना पूर्वी लद्दाख से पीछे हटने लगी है. ऐसे में लंबे समय से चले आ रहे, भारत-चीन तनाव की स्थितियां कुछ बेहतर नजर आने लगी हैं. यह लद्दाख का वो हिस्सा है जहां सर्दियों में पारा खून जमाने के स्तर तक गिर जाता है. लेकिन देश की सुरक्षा के लिए इस विपरीत परिस्थिति में भी भारतीय सेना के जवान सरहद की सुरक्षा के लिए दिन-रात वहां तैनात रहे.
भविष्य में ऐसी कोई परिस्थिति आए तो सेना के हमारे जवानों को ठंड की वजह से कोई दिक्कत न हो इसके लिए सोनम वांगचुक ने एक खास तरह का मिलिट्री टेंट तैयार किया है. जी हां ये वही सोनम वांगचुक हैं, जिनसे प्रेरणा लेकर थ्री ईडियट्स (3 Idiots) फिल्म बनी है. फिल्म में आमिर खान का किरदार फुंशुक वांगडू, जिसे उसके दोस्त प्यार से रैंचो बुलाते हैं, लद्दाख के इसी सोनम वांगचुक पर आधारित है.
सोनम वांगचुक अपने नवाचारों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने एक तरकीब निकाली है जिससे सरहद की सुरक्षा में तैनात सेना के जवानों को भीषण ठंड से राहत मिल सकेगी. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर कुछ तस्वीरें शेयर की है. इसमें वह एक खास किस्म के मिलिट्री टेंट के बारे में बता रहे हैं, जो माइनस टेंपरेचर में भी अंदर से गर्म रहता है. सोनम ने इसे ''सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट'' नाम दिया है.
बाहर ठंड अंदर का तामपान गर्म
उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए बताया कि रात के 10 बजे जहां बाहर का तापमान -14°C था, टेंट के भीतर का तापमान +15°C था. यानी टेंट के बाहर के तापमान से टेंट के भीतर का तापमान 29°C ज्यादा था. इस टेंट के अंदर भारतीय सेना के जवानों को लद्दाख की सर्द रातें गुजारने में काफी आसानी होगी. इस सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट की खासियत यह है कि यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है.
SOLAR HEATED MILITARY TENT
for #indianarmy at #galwanvalley
+15 C at 10pm now.
Min outside last night was -14 C,
Replaces tons of kerosesne, pollution #climatechange
For 10 jawans, fully portable all parts weigh less than 30 Kgs. #MadeInIndia #MadeInLadakh #CarbonNeutral pic.twitter.com/iaGGIG5LG3— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) February 19, 2021
पूरी तरह मेड इन इंडिया प्रोडक्ट
इससे सैनिकों को गर्म रखने के लिए लगने वाले कई टन केरोसिन के उपयोग में भी कमी आएगी और वातावरण में प्रदूषण भी नहीं होगा. इस तरह के एक टेंट के अंदर आराम से 10 जवान रह सकते हैं. साथ ही इसमें लगे सारे उपकरण पोर्टेबल हैं, जिसे एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है. यह पूरी तरह "मेड इन इंडिया" प्रोडक्ट है. सोनम वांगचुक ने इसे लद्दाख में ही रहकर बनाया है. इस टेंट का वजन सिर्फ 30 किलो है, यानी इसे आसानी से एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा सकता है.
अपने आइस स्तूप के लिए जाने जाते हैं सोनम वांगचुक
आपको बता दें कि वैज्ञानिक सोनम वांगचुक लगातार इनोवेशन पर काम करते रहते हैं. उन्हें उनके आइस स्तूप के लिए भी जाना जाता है. उनके इस आविष्कार को लद्दाख में सबसे कारगर माना जाता है. स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट्स ऑफ लद्दाख (SECMOL) का केंद्र बिंदु है. लद्दाख के शैक्षिक व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए वांगचुक का यह आविष्कार क्रांतिकारी कदम माना जाता है.
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आइस स्तूप बनाने में झांड़-झंखाड़ और पाइपों का इस्तेमाल होता है. सोनम की तकनीक के कारण इसमें किसी मशीन या बिजली की जरूरत नहीं पड़ती. इसके लिए एक अंडरग्राउंड पाइप के जरिए उस जगह तक पानी पहुंचाया जाता है. पानी ऐसे किसी जलस्रोत से आना चाहिए, जो ग्राउंड लेवल से 60 मीटर ऊंचा हो.सोनम ने अपने स्तूप के लिए पानी की व्यवस्था समीप के गांव से की, जो ऊंचाई पर बसा है. इस आइस स्तूप के जरिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए सिंचाई की जाती है.
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