मक्का में मंदिर नहीं बन सकता, वैसे ही अयोध्या में राम मंदिर के सिवाय कुछ और नहीं बन सकताः उमा भारती
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मक्का में मंदिर नहीं बन सकता, वैसे ही अयोध्या में राम मंदिर के सिवाय कुछ और नहीं बन सकताः उमा भारती

विवादास्पद रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर अदालत में चल रहे मुकदमें के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में उमा भारती कहा कि इस पर हम कुछ भी नहीं कह सकते. 

केंद्रीय मंत्री उमा भारती का फाइल फोटो...

नई दिल्लीः देश में लोकसभा चुनावों को लेकर सरगमियां तेज हो गई हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि मार्च के आखिरी सप्ताह में चुनावों की तारीखों का ऐलान हो सकता है. लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट के बीच एक बार फिर से अयोध्या की विवादास्पद भूमि का मुद्दा राजनीतिक गलियारों में उठने लगा है. केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने राम मंदिर मामले पर बड़ा बयान दिया है. बुधवार को सागर में एक सभा को संबोधित करते हुए उमा भारती ने कहा कि जिस तरह से मक्का एवं वैटिकन सिटी में मंदिर नहीं बन सकता, उसी प्रकार अयोध्या में राममंदिर के अलावा कुछ नहीं बन सकता.

अयोध्या मामले पर कोई टिप्पणी नहीं
विवादास्पद रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर अदालत में चल रहे मुकदमें के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में उमा भारती कहा कि इस पर हम कुछ भी नहीं कह सकते. सुप्रीम कोर्ट पर मैं किसी प्रकार की कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती हूं.

बाबर ने जो किया उसे बदल नहीं सकतेः सुप्रीम कोर्ट 
उल्लेखनीय है कि बुधवार (6 मार्च) को अयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी, सुनवाई के दौरान हिंदू पक्षकार हिंदू महासभा और रामलला विराजमान ने मध्‍यस्‍थता से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में दोनों हिंदू पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हुए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई थी और कहा था कि विकल्प आज़माए बिना मध्यस्थता को खारिज क्यों किया जा रहा है? कोर्ट ने कहा कि अतीत पर हमारा नियंत्रण नहीं है, लेकिन हम बेहतर भविष्य की कोशिश जरूर कर सकते हैं. घंटे भर तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश को सुरक्षित रख लिया किया कि इस मामले में मध्यस्थता होगी या नहीं.

हालांकि सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से मध्‍यस्‍थता के संकेत दिए गए. उनकी ओर से वरिष्‍ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि हम मध्यस्थता के लिए तैयार हैं. मध्यस्थता के लिए सबकी सहमति जरूरी नहीं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए. बोबड़े, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय पीठ कर रही थी. जस्टिस एस.ए बोबड़े ने सुनवाई के दौरान कहा कि बाबर ने जो किया उसे बदल नहीं सकते. हमारा मकसद विवाद को सुलझाना है. इतिहास की जानकारी हमें भी है. उन्‍होंने आगे कहा कि मध्‍यस्‍थता का मतलब किसी पक्ष की हार या जीत नहीं है. ये दिल, दिमाग, भावनाओं से जुड़ा मामला है. हम मामले की गंभीरता को लेकर सचेत हैं.

(इनपुटःभाषा)

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