Haryana News: जब मुस्लिम विधायक मोहम्मद इलियास ने सुनाया राधा-कृष्ण का भजन, मंत्रमुग्ध हो गया पूरा सदन
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Haryana News: जब मुस्लिम विधायक मोहम्मद इलियास ने सुनाया राधा-कृष्ण का भजन, मंत्रमुग्ध हो गया पूरा सदन

Haryana News: मोहम्मद इलियास एक तेजतर्रार मुस्लिम नेता है. वो अपने समुदाय का पक्ष बड़े शालीन तरीके से रखते हैं. वो अक्सर सामाजिक सौहार्द और समरसता की बातें करते हैं.

Haryana News: जब मुस्लिम विधायक मोहम्मद इलियास ने सुनाया राधा-कृष्ण का भजन, मंत्रमुग्ध हो गया पूरा सदन

Haryana MLA Mohammad Ilyas Bhajan Video: हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन विधानसभा में जब राज्य गीत की चर्चा हो रही थी. उसी दौरान अचानक सदन का माहौल 360 डिग्री बदलकर भक्तिमय हो गया. दरअसल जब पुन्हाना से कांग्रेस विधायक मोहम्मद इलियास गीत गाने के लिए सदन में खड़े हुए, उस‌ समय राज्य गीत के लिए सुझाव लिए जा रहे थे. तभी मोहम्मद इलियास ने कृष्ण भजन सुना कर सबको न सिर्फ हैरत में डाल दिया, बल्कि पूरे सदन को मंत्रमुग्ध कर दिया.

'मेरे गोवर्धन महाराज तेरे माथे तिलक विराज रहो'

विधायक इलियास के भजन के बोल थे- 'मेरे गोवर्धन महाराज तेरे माथे तिलक विराज रहो... तू कौन गांव से आई, तू कौन गांव को जा रही, तेरा क्या है प्यारी नाम, गुजरिया बरसाने की.. मैं नंद गांव से आई और बरसाने को जाई, मेरो राधे प्यारी नाम, गुजरिया बरसाने की' सदन में उनका राधा कृष्ण भजन सुनकर सभी विधायकों समेत मुख्यमंत्री और स्पीकर ने भी उनकी मुक्त कंठ से तारीफ की.  

राज्य गीत में हो मेवात का जिक्र

विधायक मोहम्मद इलियास ने भजन उसे वक्त गया जब वह राज्य गीत के लिए अपना सुझाव दे रहे थे. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि राज्य गीत में मेवात इलाके का भी जिक्र होना चाहिए. आपको बताते चलें कि कांग्रेस विधायक मोहम्मद इलियास दक्षिण हरियाणा के पुनहाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. प्रदेश के गिने-चुने मुस्लिम नेताओं में इनका नाम सबसे पहले लिया जाता है. सदन में इनका भजन सुनकर सभी सभी ने इनकी की तारीफ की  है.

मोहम्मद इलियास एक तेजतर्रार मुस्लिम नेता है. वो अपने समुदाय का पक्ष बड़े शालीन तरीके से रखते हैं. खासकर मुस्लिम समाज के युवकों को निशाना बनाने को लेकर वो अक्सर प्रदेश और केंद्र की सरकार को घेरते रहते हैं. उन्हें अपने मुस्लिम होने पर गर्व है. इलियास अक्सर कहते हैं कि मुस्लिमों ने बाबर का साथ नहीं दिया. मुसलमानों ने बाबर की जगह राणा सांगा का साथ दिया. 1947 में बापू के कहने पर मेवातियों ने मुस्लिमों का काफिला रोका था. इलियास ये कहानी कई बार सदन में भी सुना चुके हैं.

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