Pakistan news: स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा सोमवार को साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान का चालू खाता जनवरी में 90.2 फ़ीसदी से घटकर 0.24 अरब डॉलर रह गया है. जो पिछले साल इस महीने में 2.47 अरब डालर था.
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Pakistan: विदेशी मुद्रा में गिरावट आने के साथ-साथ पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. पाकिस्तान की आर्थिक संकट को देखते हुए चीन ने सोमवार को कहा कि वह इस संकट से निपटने के लिए अपने 'सदाबहार मित्र' द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन करता है. चीन ने उम्मीद जताई है कि पाकिस्तान मुश्किल वक्त से जल्द निकलकर बाहर आएगा. पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा कर्ज चीन से ले रखा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा सोमवार को साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान का चालू खाता जनवरी में 90.2 फ़ीसदी से घटकर 0.24 अरब डॉलर रह गया है. जो पिछले साल इस महीने में 2.47 अरब डालर था.
श्रीलंका की तरह आर्थिक संकट में पहुंच रहा है पाकिस्तान
'डॉन' अखबार ने सोमवार को बताया कि दिसंबर में 0.29 अरब डॉलर की तुलना में घाटे में 16.55 फीसदी की कमी आई है. पाकिस्तान, श्रीलंका की तरह आर्थिक संकट के करीब पहुंच रहा है और गहरे कर्ज में डूबे अफ्रीकी देश भी चीन के लिए एक तरह का संकट बन रहे हैं. कर्ज न चुकाने से चीन को भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. जिसकी अर्थव्यवस्था इन दिनों सुस्ती का सामना कर रही है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने रविवार को एक चौंकाने वाली टिप्पणी में कहा था कि पाकिस्तान पहले ही भुगतान चूक कर चुका है. उन्होंने कहा आप जान गए होंगे कि पाकिस्तान दिवालिया हो रहा है या भुगतान चूक का सामना कर रहा है. हम एक दिवालिया देश में रह रहे हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय ने लिखित में दिया जवाब
आसिफ की टिप्पणी पर चीनी विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पीटीआई से कहा कि चीन को पाकिस्तान से सहानुभूति है. मंत्रालय ने कहा कि सदाबहार रणनीतिक सहकारी साझेदारी और कट्टर मित्र के रूप में चीन पाकिस्तान की मौजूदा कठिनाइयों के प्रति सहानुभूति रखता है और इससे निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाने में पाकिस्तान का समर्थन भी करता है. चीन दोनों देशों के पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को बढ़ावा देना जारी रखेगा. पाकिस्तान को स्थिरता तथा शत-शत विकास हासिल करने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करता रहेगा. मंत्रालय ने यह भी कहा है कि हम मानते हैं कि पाकिस्तान कठिनाइयों को दूर करने और आर्थिक और सामाजिक विकास हासिल करने में सक्षम होगा. चीन पहले से इस बात को लेकर असमंजस में है कि श्रीलंका को कैसे समर्थन दिया जाए. जो पहले से ही अपने 51 अरब डॉलर के विदेशी ऋण पर भुगतान में चूक कर चुका है. इसमें चीन का 20% ऋण भी शामिल है.
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