पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं करेंगे PM मोदी, ओमान के रास्ते जाएंगे बिश्केक
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पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं करेंगे PM मोदी, ओमान के रास्ते जाएंगे बिश्केक

पाकिस्तान ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमान को अपने हवाई क्षेत्र से उड़ान भरने की अनुमति देने के भारत के अनुरोध को ‘सैद्धांतिक रूप’ से स्वीकार कर लिया था. अब पीएम मोदी ने पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का प्रयोग करने से मना कर दिया है.

भारत ने पहले पाकिस्तान से एयरस्पेस मांगा था, लेकिन अब पीएम मोदी ने रूट बदल लिया है. फाइल तस्वीर

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश जाने के लिए पाकिस्तान (Pakistan) के एयरस्पेस (Airspace) का इस्तेमाल नहीं करेंगे. पीएम मोदी को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक जाना है, वे वहां 13 और 14 जून को होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेंगे. पाकिस्तान (Pakistan) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमान को अपने हवाई क्षेत्र से उड़ान भरने की अनुमति देने के भारत के अनुरोध को ‘सैद्धांतिक रूप’ से स्वीकार कर लिया था. अब पीएम मोदी ने पाकिस्तान (Pakistan) के हवाई क्षेत्र का प्रयोग करने से मना कर दिया है. बताया जा रहा है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्लाइट ओमान के रास्ते गुजरेगी.

प्रधानमंत्री मोदी इसी हफ्ते आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए किर्गिजस्तान में बिश्केक जाने वाले हैं. भारत ने उसी संबंध में प्रधानमंत्री के विमान के लिए अनुमति देने का अनुरोध किया था.

बैठक का आयोजन 13-14 जून को होना है. पाकिस्तानी (Pakistan) प्रधानमंत्री इमरान खान भी इस सम्मेलन में शामिल होंगे. बालाकोट में 26 फरवरी को जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी शिविर पर भारतीय वायुसेना के हमले के बाद पाकिस्तान (Pakistan) ने अपना हवाई क्षेत्र पूरी तरह बंद कर दिया था. उसके बाद से उसने अपने 11 हवाई मार्गो में से दो हवाई मार्ग खोले हैं जो दक्षिणी पाकिस्तान (Pakistan) से गुजरते हैं.

पाकिस्तान (Pakistan)ी अधिकारी ने पुष्टि की कि इमरान खान सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के विमान को अपने हवाई क्षेत्र से बिश्केक जाने की खातिर भारत सरकार के अनुरोध को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है.उन्होंने कहा, ‘‘प्रक्रियागत औपचारिकताएं पूरी होने के बाद भारत सरकार को फैसले से अवगत कराया जाएगा.

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नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएए) को भी बाद में ‘एयरमेन’ को सूचित करने के लिए निर्देश दिया जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) को उम्मीद है कि भारत शांति वार्ता के प्रस्ताव पर जवाब देगा.

अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री खान ने हाल ही में मोदी को एक पत्र लिखा और कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) को दोनों पड़ोसी देशों के बीच कश्मीर सहित सभी भू-राजनीतिक मुद्दों के समाधान की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) को अब भी उम्मीद है कि भारत शांति प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देगा.

प्रधानमंत्री एससीओ बैठक में उठा सकते हैं आतंकव़ाद का मुद्दा
बिश्केक में 13-14 जून को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आतंकवाद के बढ़ते खतरे सहित क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों से निपटने के बारे में भारत के रूख को स्पष्ट करने की उम्मीद है. मोदी के लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद यह पहली बहुपक्षीय बैठक होगी जिसमें वह भाग लेने जा रहे हैं.

विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) ए गितेश सरमा ने कहा कि प्रधानमंत्री एससीओ बैठक से इतर चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे.

उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि किर्गिस्तान में शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं के वैश्विक सुरक्षा स्थिति, बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग, लोगों से लोगों का संपर्क और अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय महत्व के सामयिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद हैं.

सरमा ने कहा कि उम्मीद है कि भारत शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे को उठाएगा लेकिन वह किसी विशिष्ट देश के बारे में बात नहीं करेगा.

भारत 2005 से एससीओ में एक पर्यवेक्षक रहा है और समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया है. भारत और पाकिस्तान को 2017 में एससीओ की स्थायी सदस्यता दी गई थी. सरमा ने कहा कि भारत एससीओ देशों के सदस्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के महत्व पर भी जोर देने की संभावना है. एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुयी थी. एससीओ अभी दुनिया की आबादी के लगभग 42 प्रतिशत और वैश्विक जीडीपी के 20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है.

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