शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने वाले चुनाव आयोग ने कहा कि 26 मई 2017 को उसने विधि एवं न्याय मंत्रालय को पत्र लिखकर अपने इस नजरिये से अवगत कराया था.
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नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि उसने केन्द्र को पत्र लिखकर कहा है कि राजनीतिक चंदे से जुड़े कई कानूनों में बदलाव के पारदर्शिता पर ‘‘गंभीर परिणाम’’ होंगे. आयोग ने कहा कि ‘एफसीआरए 2010’ कानून में बदलाव से राजनीतिक दल बिना जांच वाला विदेशी चंदा प्राप्त करेंगे जिससे भारतीय नीतियां विदेशी कंपनियों से प्रभावित हो सकती हैं.
शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने वाले चुनाव आयोग ने कहा कि 26 मई 2017 को उसने विधि एवं न्याय मंत्रालय को पत्र लिखकर अपने इस नजरिये से अवगत कराया था कि आयकर कानून, जनप्रतिनिधित्व कानून और वित्त कानून में बदलाव राजनीतिक दलों को चंदे में पारदर्शिता के खिलाफ होंगे.
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एक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ने पर पाबंदी के लिये याचिका
चुनाव सुधारों की दिशा में एक अन्य मसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि चुनाव में किसी भी प्रत्याशी के एक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ने पर पाबंदी के लिये दायर याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई की जायेगी. न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौडार और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ के समक्ष अधिवक्ता और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया गया था. पीठ ने कहा कि इसे दो सप्ताह बाद उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाये.
निर्वाचन आयोग ने इससे पहले शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में चुनाव सुधारों के बारे में 2004 के प्रस्तावों का हवाला देते हुये कहा था कि कानून में संशोधन करके यह सुनिश्चित किया जाये कि कोई भी व्यक्ति एक से अधिक सीट पर चुनाव नहीं लड़ सके? आयोग ने यह भी कहा था कि प्रत्याशियों के एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने के उसके प्रस्ताव को संसदीय समिति ने 1998 में इस बारे में उसका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था. समिति ने इस तथ्य का संज्ञान लिया था कि सर्वदलीय बैठक इस प्रावधान को बनाये रखने के पक्ष में थी.
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याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर अपने जवाब में निर्वाचन आयोग ने कहा था कि 2004 के उसके प्रस्ताव में कोई बदलाव नहीं है. आयोग ने कहा कि कानून में स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए कि जो व्यक्ति, दो सीटों पर चुनाव लड़ेगा और इसके परिणामस्वरूप दो में से एक सीट के लिये उपचुनाव कराना होगा, उसे उपचुनाव पर होने वाले खर्च के लिये एक धनराशि सरकार के पास जमा करानी चाहिए. आयोग ने कहा था कि उस समय उसका प्रस्ताव विधानसभा सीट के लिये पांच लाख रूपए और लोकसभा सीट के उपचुनाव के मामले में दस लाख रूपए जमा कराने का था.
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आयोग का कहना था कि 2004 के प्रस्ताव के बारे में उसके दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं हुआ है और इसके लिये जमा करायी जाने वाली राशि बढ़ाई जा सकती है. उपाध्याय ने अपनी याचिका में अनुरोध किया है कि संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिये गठित राष्ट्रीय आयोग के सुझाव के अनुरूप लोकसभा और विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिये हतोत्साहित किया जाना चाहिए. उन्होंने विधि आयोग की 170वीं रिपोर्ट का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि अब निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने का वक्त आ गया है.