संसद के सेंट्रल हॉल में लगी अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर, राष्ट्रपति ने किया अनावरण
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संसद के सेंट्रल हॉल में लगी अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर, राष्ट्रपति ने किया अनावरण

राष्ट्रपति कोविंद ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि वाजपेयी के मौन में भी संवाद और आत्मीयता का भाव था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में निर्णायक नेतृत्व प्रदान किया.

फोटोः लोकसभा टीवी ट्विटर

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को आदर्शों से कभी समझौता नहीं करने वाला दिग्गज राजनेता बताते हुए कहा कि व्यक्तिगत जीवन के हित के लिए कभी अपना रास्ता न बदलना और लोकतंत्र में स्पर्धी होने के बावजूद एक दूसरे के प्रति आदर भाव रखना.यह पूर्व प्रधानमंत्री से सीखने वाली बात है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के आदमकद तैलचित्र का अनावरण किया.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘अटल जी के जीवन पर बहुत सी बातें की जा सकती हैं. घंटों तक कहा जा सकता है फिर भी पूरा नहीं हो सकता. ऐसे व्यक्तित्व बहुत कम होते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ व्यक्तिगत जीवन के हित के लिए कभी अपना रास्ता न बदलना, ये अपने आप में सार्वजनिक जीवन में हम जैसे कई कार्यकर्ताओं के लिए बहुत कुछ सीखने जैसा है.’’ मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में कोई दुश्मन नहीं होता है. लोकतंत्र में स्पर्धी होते हैं और स्पर्धी होने के बावजूद एक दूसरे के प्रति आदर भाव रखना, सम्मान के साथ देखना.. यह अटलजी से सीखने वाला विषय है.

उन्होंने कहा कि अटलजी ने कितने ही साल संसद के गलियारे में समय गुजारा, दशकों तक सत्ता से दूर रहे, फिर भी लोगों की निष्ठा भाव से सेवा की, उनकी आवाज उठायी लेकिन व्यक्तिगत हित के लिये कभी रास्ता नहीं बदला .

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने राजनीति में उतार चढ़ाव देखा, जय पराजय आई लेकिन आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया. इसका कभी न कभी परिणाम मिलता है, मोदी ने कहा कि वाजपेयी के भाषण की चर्चा होती है लेकिन उनका मौन आज के समय में मनोविज्ञान की दृष्टि से शोध करने की बात है. जितनी ताकत उनके भाषण में थी, उतना ही अधिक प्रभाव उनके मौन में था. जब सभा में बोलते हुए, वे कुछ पल के लिये मौन हो जाते थे, तब भी लोगों में संदेश चला जाता था. इस युग में भी कब बोलना है, कब मौन रहना है.. यह सीखने जैसा है.

उन्होंने कहा कि अटलजी ने एक प्रकार से परिस्थिति को साध लिया था. वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे जो लोकतंत्र को ताकत देने को समर्पित थे. इस अवसर पर उपराष्ट्रपति नायडू, लोकसभा अध्यक्ष महाजन और राज्यसभा में विपक्ष के आजाद ने भी अपने विचार रखे. उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर के अंत में पोर्ट्रेट समिति की बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी का तैल चित्र केंद्रीय कक्ष में लगाने का निर्णय लिया गया था.

सार्वजनिक जीवन की पाठशाला थे अटल बिहारी वाजपेयी : राष्ट्रपति कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आदमकद तैलचित्र का अनावरण किया और कहा कि वाजपेयी सार्वजनिक जीवन की पाठशाला थे जिन्होंने दलगत राजनीति के बीच स्वयं को सदा संकीर्णता से ऊपर रखा और राष्ट्रसेवा के भाव से काम किया.

संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ भारतीय राजनीति के महानायकों में अटल जी को हमेशा याद किया जाएगा. राजनीति में विजय और पराजय को स्वीकार करने में जिस सहजता और गरिमा का परिचय उन्होंने दिया है, वह अनुकरणीय है. वे विपरीत परिस्थितियों में धैर्य की मिसाल थे.’’ उन्होंने कहा कि वाजपेयी सार्वजनिक जीवन की पाठशाला थे और उनसे सार्वजनिक जीवन के बारे में काफी कुछ सीखा जा सकता है. अटलजी एक ओजस्वी वक्ता थे लेकिन उनका मौन भी उतना ही मुखर और प्रभावी था. कोविंद ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि वाजपेयी के मौन में भी संवाद और आत्मीयता का भाव था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में निर्णायक नेतृत्व प्रदान किया. पोखरण में 1998 का परमाणु परीक्षण और 1999 का कारगिल युद्ध, राष्ट्र-हित में लिए गए उनके दृढ़तापूर्ण निर्णयों के उदाहरण हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि देश की नदियों और जल-संसाधनों के उपयोग के लिए पहल करना, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से पूरे राष्ट्र को जोड़ने में सुगमता प्रदान करना, आवास निर्माण को प्रोत्साहन देकर साधारण आय-वर्ग के लोगों के लिए घर सुलभ कराना, आईटी और टेलीकॉम क्षेत्रों में तेज गति से विकास कराना तथा बहादुर जवानों, मेहनती किसानों और निष्ठावान वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएँ लागू करने के संदर्भ में उनका बहुत योगदान रहा.

कोविंद ने कहा, ‘‘ पूरे विश्व में भारत को शांतिप्रिय परंतु शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित कराने में अटल जी ने बहुमूल्य योगदान दिया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ संसद के सेन्ट्रल हॉल में देश की अन्य विभूतियों के चित्रों के साथ अटल जी के चित्र को स्थान देने के निर्णय के लिए मैं दोनों सदनों के सांसदों की बहुदलीय ‘पोर्ट्रेट कमिटी’ के सभी सदस्यों को साधुवाद व बधाई देता हूँ.’’ इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद सहित संसद सदस्य एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.

(इनपुट भाषा)

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