पुलवामा: इस गांव ने पेश किया धार्मिक सद्भाव, हिंदुओं के लिए मुस्लिम बनवा रहे मंदिर
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पुलवामा: इस गांव ने पेश किया धार्मिक सद्भाव, हिंदुओं के लिए मुस्लिम बनवा रहे मंदिर

पुलवामा में मुसलमान और पंडित मिलकर 80 साल पुराने मंदिर की मरम्मत करा रहे हैं. हाल में देशभर में कश्मीरियों पर होने वाले हमलों को लेकर काम रुका हुआ था.

मंदिर का निर्माण कराते गांव के लोग.

जम्मू: पुलवामा हमला बीते कुछ समय से सभी की बीच चर्चाओं में रहा है. अब एक बार फिर वह चर्चाओं में है, लेकिन इस बार किसी गलत कारणों से नहीं बल्कि धार्मिक सद्भाव को लेकर है. दरअसल, पुलवामा में मुसलमान और पंडित मिलकर 80 साल पुराने मंदिर की मरम्मत करा रहे हैं. हाल में देशभर में कश्मीरियों पर होने वाले हमलों को लेकर काम रुका हुआ था. इसी मंदिर के पास ही एक मस्जिद भी है.

धार्मिक सद्भाव को लेकर हिंदू-मुस्लिमों ने हाथ मिलाया और पुलवामा के अचन गांव में नवनिर्माण कार्य शुरू किया. 14 फरवरी को हुए हमले के बाद शिवरात्रि के दिन दोनों समाज के लोग एकजुट हुए और मंदिर का निर्माणकार्य शुरू किया. मंदिर का काम शुरू होने के समय में पारंपरिक कश्मीरी केवा चाय परोसने वाले मुसलमानों के साथ काम फिर से शुरू किया गया. मंदिर के बराबर में ही जामिया मस्जिद भी है. मंदिर के नवनिर्माण कार्य में लगे मुस्लमानों का कहना है कि वो अजान के साथ मंदिर की घंटियां की आवाज भी सुनना चाहते हैं. 

अचन गांव के निवासी मोहम्मद यूनस ने कहना है कि हमारी हार्दिक इच्छा है कि वही पुराना समय लौटे, जो 30 साल पहले हुआ करता था. यहां, मंदिर की घंटी बजती थी और दूसरी तरफ़ मस्जिद से अज़ान की आवाज़ आती थी. उन्होंने बताया कि 1990 के पलायान के बाद गांव में सिर्फ एक पंडित परिवार है, जिसके लिए सारा मुस्लिम समाज एक हुआ और बहाली का काम शुरू किया.

 

गांव के लोगों ने बताया कि पंडित परिवार द्वारा मस्जिद अवाक्फ समिति से संपर्क करने के बाद मंदिर पुर्ननिर्माण का काम शुरू हुआ, क्योंकि मंदिर की हालत बेहद ख़स्ता हाल में था. भूषण लाल ने बताया कि हमारे पड़ोसी मुसलमान भाई ऐसा कर रहे हैं. क्योंकि वे इस मंदिर को अपने धार्मिक स्थान से अधिक पवित्र मानते हैं. वे इसका सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मंदिर की नवीनीकरण ही नहीं है, बल्कि वे यह लोग मुश्किल समय में भी उनकी हर चीज का ध्यान रखते हैं.

गांव के ही संजय ने बताया कि हम लोग भाई की तरह यहां रहते हैं और अवाक्फ कमेटी ने इसकी बहाली में हमारी मदद की. गांववालों का कहना है कि लोग चाहे कुछ कहें, लेकिन ये गांव धार्मिक सद्भाव के साथ गांव में रहता है. 

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