Bangladesh News: पड़ोसी देश होने के नाते हमारे देश के राजनेताओं ने भी सरकार के गठन पर बधाई संदेश दिए। लेकिन इन बधाई संदेशों में बड़ा फर्क नजर आया.
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5 अगस्त के बाद से ही बांग्लादेश से हिंदुओं पर अत्याचार की नई-नई तस्वीरें आ रही हैं...हर दिन हिंदुओँ की संपत्ति को चुन चुनकर जलाए जाने की खबरें आ रही हैं. बांग्लादेश में चाहे कोई आम हिंदू परिवार हो या फिर सेलिब्रिटी हो, कट्टरपंथी सभी को टारगेट कर रहे हैं. लेकिन हमारे देश के कुछ नेताओं को इसमें भी तुष्टीकरण की राजनीति सूझ रही है. आमतौर पर जब किसी देश में नई सरकार का गठन होता है,तो हमारे देश के नेता, बधाई संदेश देते हैं. ये बधाई फोन के जरिए या फिर सोशल मीडिया के जरिए दी जाती है.
बांग्लादेश में कल अंतरिम सरकार बनाई गई. नोबल से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रो. मोहम्मद युनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार का गठन हुआ. पड़ोसी देश होने के नाते हमारे देश के राजनेताओं ने भी सरकार के गठन पर बधाई संदेश दिए. लेकिन इन बधाई संदेशों में बड़ा फर्क नजर आया.
हिंदुओं के जो हालात बांग्लादेश में हैं, उनको लेकर आप लोग भी चिंतित होंगे. लेकिन हमारे देश के कुछ नेता, चिंता जताने के बजाए, अंतरिम सरकार को बधाई देकर चले गए. कल सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोहम्मद युनुस को अंतरिम सरकार के गठन पर बधाई दी थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 55 शब्दों के ट्वीट में मोहम्मद यूनुस को नई जिम्मेदारियों की बधाई दी. शांति बहाली के साथ-साथ हिंदूओं के अलावा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई.
देश के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी मोहम्मद यूनुस को बधाई दी. साथ ही शांति बहाली की जरूरत पर जोर दिया. लेकिन उनके 29 शब्दों के ट्वीट में कहीं भी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार, या अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा का जिक्र नहीं था. ना ही उन्होंने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने से जुड़ी कोई बात लिखी. शायद बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा, राहुल के एजेंडे में नहीं थी.
इसी तरह से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 80 शब्दों का ट्वीट लिखा है. इसमें अंतरिम सरकार के गठन के लिए मो. यूनुस को बधाई दी है, लेकिन 80 शब्दों में से एक भी शब्द 'हिंदू' या अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा से जुड़ा नहीं है.
भारत में अल्पसंख्यक हितों की बात करने वाले राहुल और ममता जैसे नेता, बांग्लादेश की हिंदू विरोधी हिंसा पर चुप हैं. क्या इसकी वजह ये है कि भारत में मुस्लिम, सिख और ईसाई अल्पसंख्यक हैं, और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू हैं? हम अब बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा पर आंखें खोल देने वाली रिपोर्ट दिखाते हैं.
बांग्लादेश में हिंदुओँ पर हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे . सवाल उठ रहा है कि आखिर बांग्लादेश के हिंदुओँ को कौन बचाएगा..लेकिन कोई आगे आ ही नही रहा..लेकिन अब बांग्लादेश में हिंदुओँ ने एकजुट होना शुरु कर दिया है...आज ढाका में हिंदुओं ने विरोध प्रदर्शन कर अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई..जिसका वीडियो आप देख रहे हैं...
हमारे देश के नेता ही नहीं, दुनियाभर में ऐसी कई संस्थाएं हैं, जिन्हें बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा दिख तो रही है, लेकिन उन्हें ये हिंसा मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं लगती है. माननवाधिकारों के लिए काम करने वाले संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने
- इसी वर्ष जनवरी में मानवाधिकार पर WORLD REPORT 2024 जारी की थी.
- इसमें उन्होंने मानवाधिकार को लेकर भारत के रुख और नीतियों पर सवाल उठाए थे.
- Human Rights Watch हर साल करीब 100 देशों में मानवाधिकारों से जुड़ी नीतियों और कार्रवाई पर नजर रखता है, और सालाना रिपोर्ट जारी करता है.
- Human Rights Watch का मानना है कि बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा राजनीतिक है.
Human Rights Watch संस्था बांग्लादेश पर अंधा होने का नाटक कर रही है. संस्थान की डिप्टी एशिया डायरेक्टर मीनाक्षी गांगुली ने कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जो अत्याचार और हिंसा हो रही है उसकी वजह राजनीति है. वो इस हिंसा को अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत नहीं मानती है.