बच्‍चों को सुरक्षा के लिए रेलवे हुआ गंभीर, 126 स्‍टेशनों पर बनाए चाइल्‍ड हेल्‍प डेस्‍क
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बच्‍चों को सुरक्षा के लिए रेलवे हुआ गंभीर, 126 स्‍टेशनों पर बनाए चाइल्‍ड हेल्‍प डेस्‍क

रेल मंत्रालय ने बाल विकास मंत्रालय और राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के साथ मिलकर एक एसओपी भी तैयार की है.

बच्‍चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेल सुरक्षा बल द्वारा संबंधित राज्‍य की जीआरपी से भी मदद ली जा रही है. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: बच्‍चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर हुए भारतीय रेलवे ने देश के 126 रेलवे स्‍टेशनों पर चाइल्‍ड हेप्‍ल डेक्‍स बनाए हैं. यह हेल्‍प डेस्‍क घर से भाग कर आए बच्‍चों के साथ लापता या अवैध तस्‍करी के प्रयास को नाकाम कर मुक्‍त कराए गए बच्‍चों की संरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. यह जानकारी रेलवे मंत्रालय ने आज लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी है. 

मंत्रालय के अनुसार, रेल मंत्रालय ने बाल विकास मंत्रालय और राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के साथ मिलकर एक एसओपी तैयार की है.  जिसमें रेलवे स्‍टेशनों पर लावारिस पाए गए बच्‍चों और ट्रेनों के जरिए अवैध तस्‍करी से छुड़ाए गए बच्‍चों के लिए प्रोटोकॉल बनाया गया है. बच्‍चों की संरक्षा और सुरक्षा के मद्देनजर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रेल मंत्रालय के साथ मिलकर 126 रेलवे स्‍टेशनों पर चाइल्‍ड हेल्‍प डेस्‍क और किऑस्‍क स्‍थापित किए हैं. 

मंत्रालय के अनुसार, इन चाइल्‍ड हेल्‍प डेस्‍क और किऑस्‍क में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा नामांकित किए गए संगठनों के प्रतिनिधियों को तैनात किया गया है. एसओपी के अनुसार, घर से भागे हुए बच्‍चों, लापता या लावारिस पाए गए बच्‍चों को इन सेंटर तक पहुंचाने की जिम्‍मेदारी दो समूहों को दी गई है. पहले समूह में स्‍टेशन अधीक्षक, स्‍टेशन मास्‍टर, जीआरपी के स्‍टेशन हाउस ऑफिसर, आरपीएफ के निरीक्षक, सीनियर सेक्‍शन इंजीनियर को शामिल किया गया है. 

मंत्रालय के अनुसार, दूसरा समूह ट्रेनों के भीतर निगरानी के लिए बनाया गया है. जिसमें जीआरपी, आरपीएफ, चल टिकट परीक्षक और टीसी शामिल हैं. इसके अलावा, अवैध तस्‍करी से बच्‍चों को छुड़ाने और स्‍टेशनों पर बच्‍चों की संरक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेल सुरक्षा बल द्वारा संबंधित राज्‍य की जीआरपी से भी मदद ली जा रही है. 

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