कहते हैं कि पुराने जमाने में बारातें कई दिनों तक रुकती थी. इसी के चलते यहां एक बारात ने रात को रुकी और रातों-रात वह पूरी बारात गायाब हो गई. जानें पूरी कहानी.
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Churu: भारत का राज्य राजस्थान एक ऐसी जगह है, जहां कई कहानी-किस्से और कथाएं प्रचलित हैं. ऐसा ही एक स्थान राज्य के चूरू जिले के तारानगर में स्थित जैन मंदिर है. हजारों साल पुराने इस मंदिर में लोग आने से डरते हैं.
यह मंदिर तारानगर के मुख्य बाजार में स्थित है, जो सभी मंदिरों में सबसे पुराना है और इस मंदिर से लोगों के खास जुड़ाव नहीं है. मंदिर में पुजारी पूजा करते हैं और वे कहते हैं कि मंदिर में कुछ भी डरवानी चीजें नहीं हैं.लोगों में केवल इस भय है और कुछ नहीं.
कहते हैं कि पुराने जमाने में बारातें कई दिनों तक रुकती थी. इसी के चलते यहां एक बारात ने रात को रुकी और रातों-रात वह पूरी बारात गायाब हो गई. तभी से इस मंदिर का नाम डाकी देव पड़ गया. इस मंदिर के एक कमरे में ताला लगा हुआ है, इस लेकर लोगों का कहना है कि यह एक गुफा है, कुछ लोग कहते हैं कि यह एक सुरंग है, जो बीकानेर तक लंबी है, हालांकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है. न ही किसी ने इस कमरे को खोलकर देखा है.
मंदिर में गर्भ गृह में बीचोबीच माता पद्मावती की प्रतिमा है, इस के साथ शीतलनाथ जी मूर्ति लगी हुई है. वहीं, मंदिर पुराने किलों की तरह बना हुआ है. तारानगर के इस मंदिर में सुबह की आरती छह बजे और शाम में सात बजे होती है और दिन में मंदिर बंद रहता है.
वहीं, एक प्रतिमा को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि चरू-हनुमानगढ़ सीमा पर स्थित साहवा गांव के एक तालाब में यह मूर्ति निकली और जब ये दो जिले अलग हुए तो नोहर के आसपास वाले लोग बोले कि मूर्ति हम ले जाएंगे और यहां के लोग बोले इसे हम ले जाएंगे. इसी दौरान मूर्ति को रथ में रख दिया गया और रथ का मुंह नोहर की तरफ और मूर्ति तारानगर की तरफ, इसे भक्तों ने भगवान का चमत्कार माना.
जानकारी के अनुसार, बीकानेर संभाग का सबसे पुराना मंदिर यही है. लोगों का यूं तो इस मंदिर में आना न के बराबर होता है, लेकिन जब किसी की मृत्यु होती है तो इसमें लोग आते हैं. लोगों का कहना है कि इस मंदिर में रात रुकने की इजाजत नहीं है.
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