Ashok Gehlot हैं Rajasthan के CM, वह मेरे नेता हैं और Pilot को भी उन्हें अपना नेता मानना पड़ेगा : Bhanwar Lal Sharma
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Ashok Gehlot हैं Rajasthan के CM, वह मेरे नेता हैं और Pilot को भी उन्हें अपना नेता मानना पड़ेगा : Bhanwar Lal Sharma

राजस्थान कांग्रेस में सियासी घमासान जारी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट कैंप की ओर से विधायक लगातार एक-दूसरे पर जुबानी हमले कर रहे हैं.

पंडित भंवर लाल शर्मा ने यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब 2 महीने तक किसी से मुलाकात नहीं करने वाले हैं.

Jaipur : राजस्थान कांग्रेस में सियासी घमासान जारी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट कैंप की ओर से विधायक लगातार एक-दूसरे पर जुबानी हमले कर रहे हैं. पिछले साल सियासी घमासान में पायलट की मानेसर बाड़े बंदी का हिस्सा रहे पंडित भंवर लाल शर्मा (Bhanwar Lal Sharma) ने आज खुलकर अशोक गहलोत के समर्थन में बयान दिया है. शर्मा ने कहा है कि वर्तमान हालातों में राजनीति नहीं होनी चाहिए. अशोक राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं वह मेरे नेता हैं और सचिन पायलट को भी उन्हें अपना नेता मानना पड़ेगा.

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राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में अशोक गहलोत और सचिन पायलट कैंप की ओर से विधायकों की बयानबाजी का दौर जारी है. सरदारशहर से कांग्रेस के विधायक पंडित भंवर लाल शर्मा ने आज वर्तमान सियासी हालातों पर प्रेस कांफ्रेंस (press conference) बुलाकर बड़ा बयान दिया. पंडित भंवर लाल शर्मा ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं. वे मेरे भी नेता है और सचिन पायलट (Sachin Pilot) को भी उन्हें नेता मानना पड़ेगा. 

पंडित भंवर लाल शर्मा ने कहा कि मैं किसी गुट के साथ नहीं मैं कांग्रेस पार्टी के साथ हूं, लेकिन वर्तमान हालातों में सत्ता को लेकर संघर्ष नहीं होना चाहिए. राजस्थान कांग्रेस में एक अनार सो बीमार की हालत हो गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कोरोना काल में बहुत अच्छा काम किया है. उन्हीं के प्रयासों से देश में फ्री वैक्सीन की सुविधा मिली है. सीएम ने जो वादे किए थे वह पूरे हो रहे हैं. मैं सचिन पायलट को भी नेता मानता हूं, लेकिन अशोक गहलोत उनसे भी बड़े नेता हैं.

पंडित भंवर लाल शर्मा ने कहा कि मैं मानेसर अपनी जनता के काम नहीं होने की वजह से गया था, लेकिन जब कमेटी का गठन हुआ तभी मुझे लग गया था कि मामले को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है. इसीलिए मैं लौट आया और आखिरकार वही हुआ. कमेटी के एक सदस्य की डेथ हो गई. उसके बाद कोई काम नहीं हुआ. सचिन पायलट ने जो मांग की वह अपने नेताओं के लिए की थी उसके लिए कुछ भी नहीं चाहते थे. पार्टी आलाकमान को राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट को बिठा कर बात करनी चाहिए और जो वरिष्ठ नेता हैं उनको उनका हक मिलना चाहिए. 

शर्मा ने सचिन पायलट के भाजपा (BJP) में जाने के कयासों के सवाल पर कहा सचिन पायलट भाजपा में नहीं जाएंगे, लेकिन पार्टी में गुटबाजी भी खत्म होनी चाहिए. कई बार जो चाहे वह चीज नहीं मिलती है मेरे साथ भी हो चुका है. मैं भी राजस्थान में मुख्यमंत्री बनना चाहता था, लेकिन अशोक गहलोत ने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं सीएम नहीं बन पाया. इस बात का मलाल मुझे आज तक है. पंडित भंवर लाल शर्मा ने यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब 2 महीने तक किसी से मुलाकात नहीं करने वाले हैं. लिहाजा यह मान लेना चाहिए कि राजस्थान में 2 महीने तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होगा. 

पूर्व में राहुल गांधी को लेकर दिए गए जोकर के बयान के सवाल पर पंडित भंवर लाल शर्मा (Pandit Bhanwar Lal Sharma) ने कहा तब के हालात अलग थे अब राहुल गांधी काफी मैच्योर हो गए हैं. राजनीति धीरे-धीरे समझ गए हैं यहां तक कि पंडित भंवर लाल शर्मा ने कहा राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान देनी चाहिए. पंडित भंवर लाल शर्मा ने कहा मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से क्षेत्र की जनता के काम समय पर हो जाएं यही डिमांड की है मुझे अगर मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल विस्तार में नेता और मंत्री भी बनाते हैं तो भी मैं नहीं बनूंगा मेरी केवल एक ही मांग है राजस्थान में विप्र बोर्ड का गठन जल्द से जल्द किया जाना चाहिए. 

राजस्थान में कांग्रेस के मंत्री विधायकों की ओर से हो रही बयानबाजी पर भंवर लाल शर्मा ने कहा यह कांग्रेस पार्टी के लिए ठीक नहीं है की पहली बार बना विधायक भी मंत्री बनने की इच्छा रखता है. राजनीति में जो सुबह किसी के साथ है तो शाम को किसी और के साथ होता है. राजनीति में कोई भी बयानबाजी स्थाई नहीं है. गौरतलब है कि पिछले साल सियासी घमासान के दौरान मानेसर में पायलट कैंप की बाड़ी बंदी के दौरान, लेकिन जब प्रियंका गांधी के दखल के बाद कमेटी का गठन हुआ तब पंडित भंवर लाल शर्मा जयपुर लौट आए. उन्होंने प्रियंका गांधी से मुलाकात नहीं की. यहां आकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति अपना विश्वास व्यक्त किया था. ऐसे में कहा जा सकता है कि अब गहलोत और पायलट कैंप दोनों की ओर से विधायक अपने अपने तरकश में रखे तीर चला रहे हैं. लगता है आलाकमान के दखल के बिना यह जुबानी जंग थमने वाली नहीं है.

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