आम बजट-2022: मोदी सरकार से कृषि सेक्टर में राजस्थान को है ये उम्मीदें
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आम बजट-2022: मोदी सरकार से कृषि सेक्टर में राजस्थान को है ये उम्मीदें

किसान वर्ष 2021 में केंद्र सरकार (Center Government) के लिए बड़ा मुद्दा रहा. किसानों की नाराजगी के चलते कृषि कानूनों पर यू टर्न लेना पड़ा. अब इस नाराजगी को आम बजट-2022 में दूर करने की तैयारी में केंद्र सरकार है.

आम बजट-2022: मोदी सरकार से कृषि सेक्टर में राजस्थान को है ये उम्मीदें

Jaipur: किसान वर्ष 2021 में केंद्र सरकार (Center Government) के लिए बड़ा मुद्दा रहा. किसानों की नाराजगी के चलते कृषि कानूनों पर यू टर्न लेना पड़ा. अब इस नाराजगी को आम बजट-2022 में दूर करने की तैयारी में केंद्र सरकार है.

बजट के कई प्रावधान किसान, खेती, पशुपालन, डेयरी, मछलीपालन, सहकारिता, एमएसपी, किसान कर्ज उपलब्धता, एग्रो फूड प्रोसेसिंग यूनिट के प्रोत्साहन, खाद्य उत्पादों के निर्यात और नवाचारों से जुड़े सम्भावित है.

राजस्थान के किसानों, मंडी संगठनों, और उद्यमियों ने भी बजट-2022 को लेकर केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय को सुझाव भेजे हैं, जो किसान, एग्रो इंडस्ट्री और किसानी में आ रही समस्याओं के समाधान से जुड़े है. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि पिछले 2 साल से वक्त कठिन रहा है. कोरोना ने कृषि सेक्टर को भी प्रभावित किया है.

आत्मनिर्भर भारत की थीम भी तब तक सार्थक नहीं हो सकती, जब तक देश खाद्यान्न उपलब्धता में आत्मनिर्भर नहीं बने. ऐसे में मंडियों में कारोबार की सुगमता हो, टैक्स कम कर राहत देने की बात हो या कृषि के जुड़े उद्यमों को सपोर्ट, वर्तमान हालातों में बेहद जरूरी है. वित्त मंत्री और केंद्र सरकार से मांग की है कि इस बाद ध्यान अधिक दिया जाए.

केंद्र सरकार की बजट तैयारियों कब आधार पर माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 18 से 18.5 लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है. इस महीने के आखिरी सप्ताह में बजट आंकड़ों को अंतिम रूप देते समय यह लक्ष्य तय किया जा सकता है. सरकार तीन लाख रुपये तक के लघु अवधि के फसल ऋण पर दो प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी देती है.

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मसाला उद्यमी रामवतार अग्रवाल का कहना है कि 1 फरवरी को बजट पेश होगा तो किसान सस्ती दरों पर लोन, खेती के लिए नई तकनीकों का प्रोत्साहन, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि उत्पाद निर्यात, फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन, यूरिया पर कम निर्भरता और कृषि क्षेत्र के विधिवत विकास जैसे मुद्दों पर घोषणा के इंतजार में रहेंगे.

खाद्य तेल कारोबारी मनोज मोरारका का कहना है फसल बुवाई से पहले और कटाई के बाद का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने की जरूरत है. सरकार मोबाइल सॉयल टेस्टिंग लैब, कोल्ड स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और वेयर हाउसिंग के लिए बजट में विशेष प्रावधान करे तो किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा. उत्पादन के साथ प्रोसेसिंग यूनिट बढ़ाने पर भी फोकस हो. 

वहीं मंडी संगठनों की मांग है कि कृषि क्षेत्र के लिए नई तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन समय की जरूरत है. ड्रिप और लिफ्ट इरीगेशन जैसी तकनीक पर ध्यान देकर असिंचित क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. इन तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार टैक्स में रियायत, कम ब्याज पर लोन और इंसेंटिव देने पर विचार करें.

हाल के वर्षों में ऑर्गेनिक फार्मिंग की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। राजस्थान में भी सरकार फसल विविधीकरण पर ध्यान दे रही हैं. इस बजट में वित्त मंत्री को चाहिए कि वे जैविक खेती और क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन के लिए प्रोत्साहन योजना की शुरुआत करें.

आम बजट-2022
केंद्र सरकार के बजट से उम्मीदों की हरियाली.
किसान और किसानी के लिए इस बार बढ़ेंगे बजटीय प्रावधान.
1 फरवरी को आम बजट से राजस्थान को भी उम्मीदें
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने बजट को लेकर दिए सुझाव
बजट में किसान सस्ती दरों पर लोन, खेती के लिए नई तकनीकों का प्रोत्साहन,
कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि उत्पाद निर्यात,

फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन, यूरिया पर कम निर्भरता,
कृषि क्षेत्र के विधिवत विकास

टैक्स में राहत, इंफ्रा, लॉजिस्टिक, वेयरहाउस पर ध्यान संभव
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के यूनियन बजट में प्रस्तावित कृषि बिल के लिए सुझाव

भारत में खाद्य तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए योजनाएं बनायी जायें
राजस्थान में सरसों की पैदावार बढ़ाने के लिये बड़े स्तर पर बने योजना
बारानी पड़ी जमीन को समतल करने के लिये किसान को लागत का 80 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध हो.
मिट्टी और पानी के अनुसार और राजस्थान में होने वाले मौसम का ख्याल रखकर बीज पर रिसर्च करवाई जाए.

किसान को सरसों की खेती के लिये आवश्यक उपकरणों पर अधिक सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान किया जाए.
राजस्थान से भारत के अन्य प्रदेशों में सरसों तेल को पहुंचाने के लिये रेलवे पीस मिल बुकिंग एक डिब्बा को पुन चालू करें.
सरसों तेल में वेल्यू एडिशन के लिये सरसों तेल उत्पादन करने वाली मशीनों, पैकिंग मैटेरियल और लेबोरेट्री सिस्टम के लिये सब्सिडी का प्रावधान किया जाये.

किसान और कारखानेदार को ट्रेनिंग देने के लिये ट्रेनिंग सेन्टर खोले जाये.
कच्ची घाणी को प्रोत्साहन देने के लिये कोल्हू पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाये.
राजस्थान में भरपूर तिलहन उपलब्ध है. सरसों 50 लाख टन, मूंगफली 20 लाख टन, सोयाबीन 8 लाख टन, अरण्डी 4 लाख टन, तिल 2 लाख टन, बिनौला 4 लाख टन उपलब्ध है. इनकी पैदावार दुगुनी करने के लिये योजना बनाई जानी चाहिये.

खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों को मिले प्रोत्साहन
जिस जिले में जिस कृषि जिंस की पैदावार होती है वहां उसका उद्योग लगाया जाये. इसके लिए एक रोडमैप तैयार किया जाये.
रामगंजमण्डी और कोटा क्षेत्र के धनिये व लहसुन की खेती को प्रोत्साहित किया जाये.
धनिया भण्डारण और प्रसंस्करण के लिये लगने वाले उद्योगों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाए.

मेड़ता, नागौर और जोधपुर जीरे के उत्पादन का बड़ा क्षेत्र है. वेल्यू एडिशन के साथ यहां स्थापित किये जाने वाले उद्योगों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जानी चाहिये.
नागौर, नोखा, सांचौर, बाड़मेर आदि जिलों में ईसबगोल की भरपूर पैदावार हो रही है. यहां पर ईसबगोल के उद्योग लगाने वाले को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जानी चाहिए.

सोजत सिटी और इसके आसपास का क्षेत्र मेहंदी की पैदावार के लिये अंतर्राष्ट्रीय पहचान
मेहंदी में प्रचुर मात्रा में केमिकल प्रयोग होने लगा है.
केमिकल रहित मेहंदी पाउडर निर्माण करने वाले उद्योगों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जानी चाहिये.
राजस्थान में कपास की भरपूर पैदावार होती है.

श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जिला, गुलाबपुरा, विजयनगर और खैरथल मण्डियां इससे जुड़ी हुई है. करीब 20 लाख गांठ का उत्पादन इन मण्डियों में होता है. जिनिंग फैक्ट्रियों को बढ़ावा दिया जाए.

दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों से मिलकर योजना बनाई जाए.
चावल बनाने के उद्योग लगते है तो 40 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान किया जाए.
कृषि उद्योगों पर बैंकों का टर्म लोन, वेयरहाउसिंग व सी.सी. लिमिट के को लेकर राहत मिले.
उद्योगों के लिये ट्रेण्ड स्किल्ड लेबर की व्यवस्था के लिये प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाने चाहिये.

एन.सी.डी.ई.एक्स. से सभी कृषि जिंसों को बाहर किया जाना चाहिये.
राजस्थान में बोये जाने वाले बाजरे का सीड राजस्थान में ही तैयार किया जाये.
इसके लिये प्रयोगशाला की स्थापना की जानी चाहिये.
ई-नाम व्यवस्था पर पुनर्विचार किया जाये.
केन्द्र सरकार द्वारा ई-नाम योजना को धरातल पर लागू किया जाए.
मण्डियों में ढोम बनाये जायें जिससे किसानों की फसल सुरक्षित रहें.

मंडी टैक्स को लेकर एक देश एक व्यवस्था लागू किया जाए
मण्डियों में ग्रेडिंग व क्लिनिंग की व्यवस्था की जाए
मण्डियों के पास ही वेयरहाउसेज व कोल्डस्टोरेज स्थापित किये जाए
मण्डियों के नजदीक ही पैदावार के अनुसार उससे संबंधित उद्योग लगाये जाए
प्रत्येक मण्डी में व्यापारी सभास्थल, किसान सभास्थल व श्रमिक सभास्थल के निर्माण किये जावें

मण्डियों को ड्राईपोर्ट से जोड़ा जाए
आयकर मुक्त राशि 2.50 लाख से बढ़ाकर 4 लाख की जाए
आयकर में दी जाने वाली छूटें 3 लाख तक की जाए
जीएसटी की ऐसी व्यवस्था बनायी जानी चाहिये, जिससे कर अपवंचना को बढ़ावा नहीं मिले

रिवर्स मैकेनिज्म को और स्पष्ट किया जाये
भारत में उत्पादित तेल व तिलहन को जीएसटी से मुक्त किया जाए.
मिर्च, हल्दी, धनिया, अमचूर, जीरा, सौंफ को निल जीएसटी की श्रेणी में लाया जाए.
पशु आहार को जीएसटी से बाहर रखा गया हैं परंतु इसमें काम आने वाली सरसों खल तथा चापड़, गेहूं चोकर को जीएसटी में शामिल है.

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