राजस्थान में जयपुर गलता पीठ के महंत पद पर अवधेशाचार्य की नियुक्ति रद्द हो गई है. हाईकोर्ट का राज्य सरकार को आदेश आया है कि नया महंत नियुक्त किया जाए. इसी को लेकर आज संत महंत कनक बिहारी मंदिर में जुटेंगे. कोर्ट ने आदेश अवधेशाचार्य और अन्य की याचिकाएं खारिज करते हुए दिया है.
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Jaipur News: गलता पीठ के महंत पद पर अवधेशाचार्य की नियुक्ति रद्द हो गई है. हाईकोर्ट का राज्य सरकार को आदेश आया है कि नया महंत नियुक्त किया जाए. इसी को लेकर आज संत महंत कनक बिहारी मंदिर में जुटेंगे. कोर्ट ने आदेश अवधेशाचार्य और अन्य की याचिकाएं खारिज करते हुए दिया है.
कहा जा रहा है कि उज्जैन के महाकाल और अयोध्या के रामजन्मभूमि मंदिर की तर्ज पर गलता का विकास होगा. सरकार गलता पीठ की मूर्ति, मंदिर की देखरेख के लिए महंत पद की नियुक्ति करेगी. संपत्ति पर मूर्ति का अधिकार मानते हुए सरकार को इसका संरक्षक बताया है. गलता पीठ की सम्पत्ति के संरक्षण और देखरेख के लिए अब सरकार जिम्मेदार रहेगी.
राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि विरासत के आधार पर महंत का चयन नहीं हो सकता. मूर्ति और संपत्तियों की देखरेख के लिए सरकार गलता पीठ के महंत की नियुक्ति करे.
बता दें कि जयपुर स्थित गलता का उदभव गालव ऋषि की ध्यान स्थली के रूप में हुआ था. यह बाद में तीर्थ स्थल बन गया. सम्वत 1560 में कृष्णदास पयोहारी ने गलता गद्दी की स्थापना की थी. वह ही इसके पहले महंत थे. उनके बाद जयपुर के पूर्व राजपरिवार ने कीलदास को महंत नियुक्त किया. फिर 1920 में हरिशरणाचार्य को महंत नियुक्त किया गया लेकिन 4 साल बाद हटा दिए गए. गलता का 16वां महंत जून 1943 में रामोदराचार्य को नियुक्त किया गया, यहीं से विवाद की स्थिति शुरू हुई.
अवधेशाचार्य ने खुद को महंत घोषित कर दिया
जब रामोदराचार्य का निधन हुआ तो अवधेशाचार्य ने खुद को महंत घोषित कर दिया. इसके साथ ही गायत्री बिल्ड एस्टेट प्रा. लि. नाम से एक कंपनी का भी निर्माण कर लिया. इस कंपनी को गलता पीठ की प्रॉपर्टी पर गेस्ट हाउस, बार, पब, केसिनो और रेस्टारेंट संचालन का अधिकार दे दिया. इतना ही नहीं, खाने में वेज और नॉनवेज दोनों तरह के खाने को परोसने का फैसला लिया. इस पर कुछ लोग नाराज हुए और पवित्र स्थल पर ऐसी चीजों के खिलाफ आवाज उठाई.