राजस्थान के जयपुर में पदभार संभालने के साथ ही ग्रेटर मेयर डॉ. सौम्या एक्शन में आ चुकी हैं. महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने वार्डों की सफाई व्यवस्था का निरीक्षण किया. यहां वार्ड 150 में अनुपस्थित मिले कर्मचारियों पर नाराजगी जताई.
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Jaipur News: पदभार संभालने के साथ ही जयपुर ग्रेटर मेयर डॉ. सौम्या एक्शन में आ चुकी हैं. महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने वार्डों की सफाई व्यवस्था का निरीक्षण किया. यहां वार्ड 150 में अनुपस्थित मिले कर्मचारियों पर नाराजगी जताई.
महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने सफाईकर्मी अनुपस्थित मिलने पर सीएसआई को फटकार लगाई. महापौर डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने निर्देश दिए कि हर बीट पर सफाई कर्मचारी और जमादार का नाम हो.
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बता दें कि किस्मत की धनी मानी जानी वाली सौम्या गुर्जर आज दो साल में तीसरी बार यहां मेयर का पदभार ग्रहण करेंगी. एक बार जीतकर जबकि दो बार कोर्ट के आदेशों पर मेयर की कुर्सी संभालने वाली सौम्या गुर्जर के लिए पिछले साल का वक्त बड़े कठिन दौर से गुजरा.
सरकार की ओर से दो बार पद से हटाए जाने के बाद भी वे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ते हुए सरकार को आइना दिखाती रही. ये तीसरा मौका था, जब सौम्या ने सरकार को कोर्ट के जरिए झटका दिया. कुछ इसी तरह की कहानी उनके पति राजाराम गुर्जर की है. जब 2019 में स्वास्थ्य निरीक्षक से विवाद के बाद राजाराम गुर्जर को करौली सभापति के पद से निलंबित कर दिया था लेकिन 7 माह 23 दिन बाद फिर से हाईकोर्ट के आदेश के बाद शहरी सरकार को चलाने की चाबी मिली थी.
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राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद जयपुर में मेयर उपचुनाव में आए बड़े टि्वस्ट ने एक बार फिर जयपुर नगर निगम ग्रेटर की सत्ता की चाबी सौम्या गुर्जर के हाथ थमा दी. जयपुर मेयर के अपने 730 दिन के कार्यकाल में 309 दिन के संघर्ष में निकालने के बाद आखिरी सौम्या गुर्जर की किस्मत ने उनका एक बार फिर एनवक्त पर साथ दिया. ऐसा नहीं है कि सौम्या के मेयर बनने के बाद ही उन्हें सत्ता में रहने के लिए संघर्ष करना पड़ा. इस कुर्सी तक पहुंचने से पहले भी उन्हें अपनों का ही विधायकों का विरोध भी झेलना पड़ा था लेकिन तमाम परिस्थितियों से लड़कर वे मेयर भी बनी. डॉ. सौम्या गुर्जर फ्लैशबैक में जाये तो 10 नवंबर 2020 को जब जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मेयर का चुनाव हुआ था. तब सौम्या को टिकट देने पर जयपुर के मौजूदा और पूर्व विधायकों ने विरोध जताया था लेकिन मेयर के पति राजाराम की संगठन में अच्छी पकड़ होने और भाजपा पदाधिकारियों का सपोर्ट मिलने के बाद उन्हें एनवक्त पर विधायकों के विरोध को नजरअंदाज करते हुए मेयर का 2020 में प्रत्याशी बनाया गया.