Right to Health Bill: सड़क पर चिकित्सकों के आंदोलन के बीच सदन में पास हुआ राइट टू हेल्थ बिल
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1620581

Right to Health Bill: सड़क पर चिकित्सकों के आंदोलन के बीच सदन में पास हुआ राइट टू हेल्थ बिल

Right to Health Bill: सड़क पर चिकित्सकों के आंदोलन के बीच सदन में राइट टू हेल्थ बिल पर चर्चा हुई. निजी चिकित्सकों के समर्थन में  सरकारी चिकित्सक भी उतर गए हैं. सदन में राइट टू हेल्थ बिल पास हो गया है.

 

Right to Health Bill: सड़क पर चिकित्सकों के आंदोलन के बीच सदन में पास हुआ राइट टू हेल्थ बिल

Jaipur: स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक 2022 पर आज सदन में चर्चा हुई. लेकिन इस बिल के विरोध में पिछले 2 दिन से प्रदेश के निजी चिकित्सक आंदोलन कर रहे हैं. सड़क पर चिकित्सकों के संग्राम के बीच आज सरकार ने इस बिल पर सदन में चर्चा करवाई. जिसके बाद राइट टू हेल्थ बिल पास हो गया है. विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वह बिल के प्रावधानों के विरोध में है. सोमवार को बिल के विरोध में विधानसभा घेराव करने पहुंचे चिकित्सकों पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया था. जिसमें कुछ चिकित्सकों को चोटें भी आई. 

उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पॉइंट ऑफ इंफॉर्मेशन के जरिए यह मामला सदन में भी उठाया. जिसके बाद चिकित्सा मंत्री की विरोध कर रहे चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल से भी चर्चा हुई लेकिन उसमें कोई हल नहीं निकल पाया.

निजी चिकित्सकों के साथ आए सरकारी डॉक्टर

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आंदोलन कर रहे निजी चिकित्सकों को अब सरकारी डॉक्टर का भी साथ मिल गया है. मेडिकल कॉलेज टीचर एसोसिएशन ऑफ राजस्थान और राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर एसोसिएशन सहित अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ की ओर से आज सुबह 9:00 से 11:00 बजे तक 2 घंटे का कार्य बहिष्कार करने की घोषणा की गई. वहीं चिकित्सकों पर किए गए लाठीचार्ज के विरोध में एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड) ने आज सुबह 8 बजे से संपूर्ण कार्य बहिष्कार कर दिया हैं. जार्ड के अध्यक्ष नीरज दामोर ने कहा कि बिल वापस नहीं होने पर हड़ताल भी की जा सकती है.

इन प्रावधानों का है विरोध

राइट टू हेल्थ बिल को लेकर निजी चिकित्सकों के संगठन का कहना है कि राइट टू हेल बिल का मकसद केवल वोटर को लुभाना है क्योंकि इस बिल से नागरिकों को कोई भी अधिक स्वास्थ्य लाभ होता नहीं दिख रहा है. इस बिल से डॉक्टर और मरीज के संबंध खराब होंगे उनके विश्वास में कमी आएगी और उपचार की क्वालिटी में भी कमी आएगी. सभी का स्वास्थ्य का अधिकार सुरक्षित हो यह सरकार की जिम्मेदारी है. नागरिकों को अधिकार है. लेकिन इसे निजी चिकित्सकों व चिकित्सालय पर थोपा नहीं जा सकता है. संगठन का कहना है कि बिल में इमरजेंसी में मरीज का बिना शुल्क जमा किए, उपचार करना होगा. लेकिन बिल में इमरजेंसी की परिभाषा को स्पष्ट नहीं किया गया है. ना ही चिकित्सालय को भुगतान किस तरह से किया जाएगा इस बारे में भी कोई स्पष्ट प्रावधान है.

ये भी पढ़ें-

राजस्थान से हरीश चौधरी और दिव्या मदेरणा समेत इन नेताओं को कांग्रेस दे सकती है बड़ी जिम्मेदारी, देखें नाम

राजस्थान में नक्सलवाद के बीज ! मेघवाल बोले- आदिवासियों को मुख्यधारा में नहीं लाया तो माहौल बनेगा हिंसक

Trending news