राजस्थान विधानसभा में हंगामे पर भड़के वासुदेव देवनानी, बोले- अभद्र इशारों का प्रदर्शन शर्मनाक
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राजस्थान विधानसभा में हंगामे पर भड़के वासुदेव देवनानी, बोले- अभद्र इशारों का प्रदर्शन शर्मनाक

Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने राजस्थान विधानसभा में नियमों और परम्पराओं के विपरित प्रतिपक्ष के हठधर्मिता वाले व्यवहार को बेहद दुःखद बताया है. उन्होंने कहा कि विधानसभा जैसे पवित्र व गरिमापूर्ण सदन में किसी सदस्य के द्वारा आसन की ओर अभद्र इशारों का प्रदर्शन शर्मनाक है. 

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Jaipur News: विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने राजस्थान विधानसभा में नियमों और परम्पराओं के विपरित प्रतिपक्ष के हठधर्मिता वाले व्यवहार को बेहद दुःखद बताया है. उन्होंने कहा कि विधानसभा जैसे पवित्र व गरिमापूर्ण सदन में किसी सदस्य के द्वारा आसन की ओर अभद्र इशारों का प्रदर्शन शर्मनाक है. विपक्ष की तरफ से ऐसे सदस्य का पक्ष लेना बेहद निन्दनीय है और ऐसे सदस्य का बचाव किया जाना भी अशोभनीय है. देवनानी ने कहा कि आसन द्वारा सदस्य का निलंबन किये जाने का कदम सदन की गरिमा की रक्षा के लिए उठाया गया. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने लगातार आसन के निर्देशों की अवहेलना की है. प्रतिपक्ष के सदस्य का सोमवार को सदन में व्यवहार और प्रतिपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का बचाव संसदीय परम्पराओं की अवहेलना की पराकाष्ठा है.

सदन में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा उदार रुख दिखाते हुए आसन से पांच बार प्रतिपक्ष नेता को नियमों के तहत विषय उठाने और व्यवस्था दिये जाने के लिए कहा गया. विधानसभा की तरफ से कहा गया कि इसके बावजूद भी विधान सभा में प्रतिपक्ष का हठधर्मिता का प्रदर्शन करते हुए वेल में आना, सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं है. उल्लेखनीय है कि सदन में प्रतिपक्ष नेता द्वारा उठाया गया विषय कोर्ट में विचाराधीन है. राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के तहत कोर्ट में विचाराधीन विषर्या पर सदन में चर्चा की अनुमति नहीं होती है. अदालत में विचाराधीन विषयों को बार-बार सदन में उठाया जाना नियमों ही नहीं परम्पराओं के भी विपरित होता है.

विधानसभा की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि, राजस्थान विधान सभा में सोमवार को विधायकों के अनुभवों और नवाचारों पर विचार के दौरान विधि विभाग ‌द्वारा 12 जिलों में कुछ लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजकों की नियुक्ति के सन्दर्भ में 27 जुलाई को हुए आदेश में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के उल्लेख का विषय प्रतिपक्ष नेता द्वारा व्यवस्था के प्रश्न के नाम से उठाया गया जो कि नियमों के विपरित था. राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 294 के तहत यह व्यवस्था का प्रश्न ही नहीं था. विधान सभा सदन में किसी विषय को उठाने से पूर्व राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 295 के तहत लिखित में विधान सभा के प्रमुख सचिव को सूचना दिये जाने के बाद ही कोई विषय सदन में उठाया जा सकता है.

विधान सभा से जारी बयान में कहा गया कि सदन में चल रहे गतिरोध के दौरान ही विधायक मुकेश भाकर द्वारा आसन के प्रति अशोभनीय व्यवहार और हाथों के इशारे से अमर्यादित प्रदर्शन किया गया, जो विधान सभा में सन 1952 से लेकर अब तक के इतिहास में ऐसे किसी व्यवहार की नजीर नहीं है और प्रतिपक्ष नेता का भी बैल में आने की परम्परा नहीं रही है. इसकी प्रतिपक्ष नेता व प्रतिपक्ष विधायको को घोर निन्दा करनी चाहिए, ताकि विधान सभा सदन की गरिमा और पवित्रता कायम रखी जा सके. विधान सभा के सभी सदस्यों का सदन की पवित्रता व गरिमा को बनाये रखने का महत्वपूर्ण दायित्व होता है.

विधानसभा से जारी बयान में कहा गया कि प्रतिपक्ष द्वारा सदन में नियमों और आसन के निर्देशों की अवहेलना करके सदन संचालन में व्यवधान डालना और अपमानजनक भाषा के प्रयोग किये जाने के मामले गत दिनों में अनेक बार हुए है, जो आसन द्वारा सदन की समृद्ध परम्पराओं के अनुरूप स्वीकार योग्य नहीं है. पूर्व में भी प्रतिपक्ष नेता ‌द्वारा आसन को धृतराष्ट्र कहना, विधायक शांति धारिवाल द्वारा सदन में सभापति को धमकाया जाना और अपशब्द के उपयोग किये जाने के साथ प्रतिपक्ष ‌द्वारा लगातार नियमों की अवहेलना उनका लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और संसदीय परम्पराओं में आस्था नहीं होना प्रदर्शित करता है.

Reporter- Shashi Mohan

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