सर्जरी से पहले मरीज को बार-बार मिर्गी के दौर आते थे, जिसके कारण अस्थाई रूप से उनकी आवाज भी कुछ देर के लिए चली जाती. यह सर्जरी सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. के. के. बंसल (Dr. K.K. Bansal) के नेतृत्व में की गई.
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Jaipur: राजधानी के नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल (Narayana Multispeciality Hospital) में विज्ञान (Science) और आस्था का एक अनूठा संगम देखने को मिला. 57 वर्षीय सेना से रिटायर्ड हवलदार रिडमल राम के होश में रहते हुए जटिल ब्रेन ट्यूमर सर्जरी (Brain tumor surgery) की गई और इस दौरान वे गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) का जाप कर रहे थे.
सर्जरी से पहले मरीज को बार-बार मिर्गी के दौर आते थे, जिसके कारण अस्थाई रूप से उनकी आवाज भी कुछ देर के लिए चली जाती. यह सर्जरी सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. के. के. बंसल (Dr. K.K. Bansal) के नेतृत्व में की गई.
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ऐसी ही एक सर्जरी 2018 में डॉ. के. के. बगल द्वारा की गई थी, जहां 30 वर्षीय कम्प्यूटर अकाउंटेंट हुलास मल जांगीर के ब्रेन ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला गया था, जब वह हनुमान चालीसा का जाप कर रहा था. ऐसी अनूठी न्यूरो सर्जिकल प्रक्रिया को अवेक कैनियोटोमी या अवेक ब्रेन सजरी (Awake Brain Surgery) के नाम से जाना जाता है और देश में अब तक ऐसे बहुत कम ही मामले रिपोर्ट हुए हैं.
मरीज पर था लकवा होने का खतरा
रिडमल राम को बार-बार मिर्गी के दौर आते थे, जिसके कारण अस्थाई रूप से उनकी आवाज भी कुछ देर के लिए चली जाती थी. आवश्यक जांचें कराने पर लो ग्रेड ब्रेन ट्यूमर की डायग्रोसिस हुई. बेन के स्पीच एरिया में ब्रेन ट्यूमर ऐसी जटिल जगह पर था कि मर्जरी से मरीज की बोलने की क्षमता जा सकती थी और लकवा होने का भी खतरा था. फिर मरीज को नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर लाया गया, जहां सीनियर न्यूरो सर्जन एवं ब्रेन ट्यूमर सर्जरी एक्सपर्ट डॉ. के के बंसल ने सफलतापूर्वक ब्रेन ट्यूमर को मरीज के होश में रहते हुए निकाला.
विश्वभर में प्रचलन में है अवेक कैनियोटोमी नामक नवीनतम तकनीक
दिमाग के देखने, बोलने या शरीर की मुख्य गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले हिस्से में से ट्यूमर को निकालने के लिए अनेक ग्रेन सर्जरी या अवेक कैनियोटोमी' नामक नवीनतम तकनीक विश्वभर में प्रचलन में है. इस केस में ट्यूमर दिमाग के उस हिस्से में था, जहां से बोली एवं शरीर की मुख्य गतिविधिया नियंत्रित होती है. यह सर्जरी इसलिए भी चुनौतिपूर्ण थी क्योंकि मर्जरी के दौरान छोटी सी गलती भी हो जाने पर मरीज बोलने की क्षमता खो सकता था. सुनने, समझने और आदेश की पालना करने की क्षमता को जांचने के लिए न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पृथ्वी गिरी एवं डॉ. मथुपण पॉल ने मर्जरी के दौरान मरीज को बार-बार अपनी उंगलियों, पैर आदि को हिलाने का आदेश दिया.
मरीज के होश में रहते हुए निकाला ट्यूमर
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. के. के. बंसल ने बताया कि सामान्य ब्रेन सर्जरी में मरीज को बेहोश कर दिया जाता है. अनेक ब्रेन सर्जरी में मरीज की प्रतिक्रिया की लगातार निगरानी की जा सकती है, जिससे सर्जन को मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों को बिना नुकसान पहुंचाए सटीक स्थान का पता लगाने में मदद मिलती है. इस केस में मरीज को गायत्री मंत्र का जाप करने एवं आदेश अनुसार अपने उंगलियों को हिलाने के लिए कहा जाता रहा. उसकी तुरंत प्रतिक्रिया से हमें सर्जरी को सुरक्षित रूप से अंजाम देने में सहायता मिली जब भी हम गलत हिस्से को छेड़ते थे तो मरीज को स्पीच अरेस्ट हो जाता.
चार घंटे तक ऐसे हुई सर्जरी
सर्जरी के बारे में और बताते हुए नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल जयपुर की जोनल क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. माला ऐरन ने कहा कि चार घंटे चली इस मर्जरी में हाई एंड माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल हुआ, जिससे ब्रेन एरिया को बारीकी से देखने में मदद मिली. ऐसी सर्जरी देश में केवल चुनिन्दा केन्द्रों पर ही की जा सकती है, जिसमें अनुभवी न्यूरो सर्जिकल टीम की आवश्यकता होती है. नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल जयपुर के फैसिलिटी डायरेक्टर बलविंदर सिंह वालियाने कहा कि हमें खुशी है कि हम नवीनतम तकनीकों के माध्यम से मरीज का सफलतापूर्वक इलाज कर सके और अब वह सामान्य जिंदगी जी सकता है.