JJM हेराफेरी: जलदाय विभाग में पहले घटिया काम के लिए कमेटियां बनाई,फिर रास्ते से वापस बुलाई
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JJM हेराफेरी: जलदाय विभाग में पहले घटिया काम के लिए कमेटियां बनाई,फिर रास्ते से वापस बुलाई

JJM हेराफेरी: जलदाय विभाग में पहले घटिया काम के लिए कमेटियां बनाई गई फिर रास्ते से वापस बुला लिया गया. जानिए पूरा मामला क्या है.

JJM हेराफेरी: जलदाय विभाग में पहले घटिया काम के लिए कमेटियां बनाई,फिर रास्ते से वापस बुलाई

जयपुर न्यूज: जलदाय विभाग में पहले घटिया पाइपों,टंकियों के करोड़ों के निर्माण कार्यों की जांच के लिए कमेटियां बनती है.फिर इसके बाद रास्ते से जांच टीमों को बुला लिया जाता है.पीएचईडी के उपसचिव गोपाल सिंह ने जांच कमेटियों के आदेश निरस्त करने के बाद सवाल खड़े हो रहे है कि क्या जांच के नाम पर जलदाय विभाग में खेल तो नहीं चल रहा? 

क्वालिटी कंट्रोल ने जांच की,इसलिए रास्ते से बुलाया

जलदाय विभाग में पहले जांच के नाम पर कमेटियां बनी,फिर इनके कुछ दिन बाद कमेटियों के आदेश निरस्त कर दिए और वो भी केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन में.उपसचिव गोपाल सिंह ने आदेश जारी कर कमेटियों को निरस्त कर टीमों को रास्ते से वापस बुला लिया गया.उपसचिव गोपाल सिंह ने जी मीडिया से बातचीत में सफाई देते हुए कहा कि विभाग में कार्यों में जांच के लिए चीफ इंजीनियर क्वालिटी कंट्रोल को लगा रखा है.हमे लगता है की कोई टीमों के द्धारा शीघ्र जांच की है तो उस आदेश को निरस्त किया गया.

ये तीन मामले,जिसमें जांच टीमें रास्ते से लौट आई

केस 1:चुरू सर्किल के सरदारशहर खंड में डीआई की जगह एचडीपीई पाइपलाइन डालने व कम स्ट्रेंथ की टंकियां बनाने को लेकर विभाग को शिकायत मिली.इसके बाद उपसचिव ने इन कार्यों की क्वालिटी कंट्रोल व विजिलेंस टीम से जांच करवाने के लिए चीफ इंजीनियर को आदेश दिया.चीफ इंजीनियर के आदेश निकालने के बावजूद सितंबर के पहले सप्ताह में उपसचिव ने आदेश निरस्त कर दिया.

केस-2:पोकरण डिविजन में घटिया कार्य को लेकर शिकायत मिली.उपसचिव ने 25 अगस्त को जांच कमेटी बनाने के लिए चीफ इंजीनियर को पत्र लिखा. जांच कमेटी के मौके पर जाने से पहले ही उपसचिव ने 7 सितंबर को प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए आदेशों को निरस्त कर दिया.

केस-3: चूरू खंड में पाइपलाइन व टंकियों में घटिया निर्माण सामग्री को लेकर शिकायतें मिली. उपसचिव ने चीफ इंजीनियर को इन कार्यों की जांच करवाने के लिए जांच कमेटी गठित कर क्वालिटी जांच करवाने को कहा लेकिन इन आदेश को 10 दिन बाद ही निरस्त कर दिया.गोपाल ने कहा कि तीनों की मामलों में क्वालिटी कंट्रोल ने जांच कर दी थी,इसलिए आदेश निरस्त किए.

क्या फिर से कमेटी द्धारा जांच नहीं की जा सकती?

लेकिन यहां सवाल ये खडे हो रहे है कि क्या जांच कमेटी बनाने से पहले पता नहीं था कि इनकी जांच हो चुकी,क्या जांच कमेटियां किसी के दबाव में आकर तो निरस्त नहीं की? क्या फिर से कमेटी द्धारा जांच नहीं की? जा सकती है?

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